Saturday, June 27, 2020

इर्ष्या का आलू hargovind tembhre 003


बहुत दिवस पयले की बात आय एक बार एक साधू आपरो शिष्यगीनं संग आश्रम मा शिक्षा ज्ञान दान को कार्य करत होता l एक दिवस साधू महात्मा बिचार करीस की अज आपरो शिष्य इनकी परीक्षा लेये पायजे l गुरुजी न सब शिष्य इनला आदेश देयीन,की सकारी सब जन आपरो संग एक एक आलू आनो अना आलू पर जेकी सबलक ज्यादा गुस्सा करसेव उनको नांव वोन आलू पर लिख स्यान आनो, जेतरो लोग इनकी तुमि गुस्सा करसेव सबको नांव का आलू आनो l गुरूजी को आदेशानुसार सब शिष्यइन दुसरो दिवस कोनी न एक आलू, कोनी न दुय आलू, कोनी न तीन आलू ,कोनी पांच आलू, कोनी सय असा सबन आपरो हिसाबलक आलू रोज आनत लग्या l असो काम पुरो सात दिवस तक सब न नांव लिख्या वाला आलू आणत होता l मग गुरुजी न एक दिवस सबला बीचारिस की तूमला येन सात दिवस मा कसो अनुभव आयेव सांगो सबन आपरी आपरी कहानी सांगणं लग्या,कोणी कसे मी परेशान भय गयव गुरुजी,कोनी कसे आलू बास मारण लग्या सेती जी, कोणी कसे तरास आवसे गुरुजी l तब गुरुजी कसे यव सब मिन तुमला शिक्षा देन लाईक असो करेव,मात्र सात दिवस माच तुमला आलू बोझ लगन लग्या त सोचो तुमि जेन व्यक्ती की गुस्सा करसेव त उनको बोझ को असर तुमरो दिमाग पर कसो होत रये 
येको कारण तुमरो मन नही लग अना बाकी का काम बी बरोबर नही होत रहेत l

बोध: अगर तुमि कोनी संग प्यार लक हासी खुशी नही बोल सको त उनको लक नफरत बी नही करे पायजे नही त आलू जसी गत होय जाये सबकी l
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प्रा.डाँ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो. दासगांव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४

फुटी किस्मत varsha patle rahangdale 003

 ः
रामु नावको एक टुरा रव्हसे .उ बहुत गरिब रव्हसे.रोज किलोभर कमायके आनसे तबच वोको घर चुलो पेटसे.एक दिवस उ कामपर  रेल्वे को पटरी पटरी जात रव्हसे तब ऊ देखसे की वोको सामने एक बँग पडी दिससे पयले वोला लगसे की कोणीकी बँग पळी रहे पर वोको मनमा जरासो लालच पैदा होसे की,का रहे यन बँग मा देख लेसू.मंग रामु पयले इत उत देखसे की वोला कोणी देखत नही अना चुपचाप वन बँग ला उचलसे.जरासो घबराय जासे रामु की वोला कोनी देखीन त नही.रामु एक सुरक्षित जागा परा जायके वन बँगला खोलसे. रामु जसो बँग खोलसे तसोच.....पयले त रामु ला आपलो डोरा पर बिस्वासच होय नही ......पर घडीभर स्तब्ध रहेव परा वोला समज मा आवसे की या हकी आय.वन बँग मा पैसा की बींडल की बींडल रव्ह सेत .जब रामु पैसा मोजसे त वन बँग मा पुरा दसलाख रुप्या रव्ह सेत .
      रामु सोचसे मोरी किस्मत चमक गयी.जब बी भगवान देसे छप्पर फाड के देसे.मंग रामु आव नही देख ना ताव नही देख अना ज्या ट्रेन आवसे वन ट्रेनलका शहर जासे.कारण वोला लगसे की गावको लोगला शक होय जाये की यतरा पैसा रामुजवळ कसा आया.अना रामु सोचसे की शहरमा जाऊ त वहा वोला कोनी वळखनको बी नही.शहर पोहोचेव को बाद ऊ पयले अच्छो दुकान मा जायके आपलो साठी चांगला कपळा,चप्पल अना अजून दुसरी वस्तू लेसे.मंग आपलो साठी एक खोली देखसे जेको मा वोला रव्हनो रव्ह से.रामु बिचार कर से की आता ऊ एखाद धंदा खोले अना आपली पुरी जींदगी शहर माच बिताये.
      रामु जवळ आता पैसा ,अच्छो घर सबकुछ भय गयेव पर वोला आता असो लगत होतो की मोरी अमिरी मी गावको लोगइनला देखाये पायजे म्हणून वन एक पार्टी ठेईस गालको आपलो यार दोस्तसाठी अना सबला फोन करके बुलाईस.
       रामु को पार्टी को दिवस आयेव .सकाळी रामु आंगपाय धोयके तयार भयेव अना गावको दोस्तइनकी बाट देखन बसेव.वोतरो माच घर की दरवाजो की घंटी बजी रामुला लगेव गावमाका वोका दोस्त आया रहेत म्हणून रामुन खुशी खुशी दरवाजा खोलीस त का देखसे.देखके रामु सुन्न मय गयेव कायलाकी दरवाजो पर पुलीस उभा होता अना उनको मंग काही लोक बी उभा होता.रामुन उनला कहीतरी देखी होतीस.वय सब लोग एकसंगमा कवन बस्या यव उच आय जेन आमला नकली नोट देईस अना सामान लेईस.यतरो माच रामु को गावका वय दोस्त बी आय गया जीनल रामु न पार्टीसाठी बुलाई होतीस.रामु उनखो सामने आपलो अमिरी को प्रदर्शन करणार होतो पर वोकी सपा नाक कट गयी.
      रामु डोस्काला टो़गऱ्या मा टाकके खाल्या बस गयेव अना बिचार करन बसेव की हे भगवान यव का भय गयेव.आता पुलीहला लगत होतो की नकली नोट छापने वालो को गँग मा रामु शामील से.रामुन सबला जानला सांगीस अना पुलीस ला पुरी बिती घटना सांगीस.पर वय त पुलीस आत मानेत तब ना! 
   रामूला पुलीस न कस्टडी मा लेईस अना मार मार के विचारपुस करीस.रामु न सब सांगीस की वा बँग वोला कहा मिली.कसो उ शहर आयेव.मंग पुलीस न तहकीकात करीस त पता चलेव की वन दिन वहा लका नकली नोट छापने वाली गँग वन ट्रेन लका गयी होती अना पुलीस को भेव लका बँग पटरी परा फेक देई होतीन.तरिपण रामूला सजा भयीच.


बोध-हमेशा किस्मत सहजासहजी नही पलटं वोकोसाती मेहनत करनोच पळसे


✍वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी (आमगांव)
गोंदिया

दोस्ती kalyani patle 003


एक गाव मा दुय डॉक्टर अन एक दुश्मन रवत होतो. उनको गाव मा नहानसो लैब होतो. वय हमेशा लैब मा काहि ना काहीं केमिकल बनावत रवत होता. एक दिन डॉक्टर न असो केमिकल बनाईस की जेन आदमी को अांग पर संड्यो वोन मानुस न कोनीला हात लगईसत वू जर जाए. एक दिन केमिकलकी जाच करता करता वू केमिकल डॉक्टर को आंग पर संडयो. डॉक्टर जेन सामान ला हात लगाव वू सामान जर जात होतो या बात वोको पड़ोसी दुश्मनला मालूम भई. वोन येको फायदा उठावन की कोशिश करीस . दुश्मनन खुद जायके दूसरो को घरला आग लगाईस, अन डॉक्टर को नाव लेन बस्यों. सब गांव का लोग डॉक्टर ला अंड- संड बोलान लग्या, गारी देन लग्या. डॉक्टर ला समजत नवतो की ये सब का कसेत करके.तब एक गांव वालो न सांगीस का तुमी न आग लगायात करके तुमरो दुश्मन सांग. 
      तब डॉक्टर को दिमाग मा आयो का वोला सबक सिखायो पाहिजे. उनन एक उपाय सोचीन अन आग लगने वालो तेल सुगंधित तेल आय करके दुश्मन ला बिकीन. दुश्मनन वू तेल हात पर लगाईस तब वू जेन सामान ला हात धर वहा आग लग. वोला काही काम करता नहीं आवत होतो,वू जहा हात धर बस वहा आगच-आग . लोक वोको नाव लक बोंबलन लग्या अन मारन लाईक वोको मंग धावन लग्या. तब वोला डॉक्टर की याद आई अन मला बचाव करके उनला हात-पाय जोड़न लग्यो. काहेकि येको लक बचनकी दवाई डॉक्टर जवरच होती. डॉक्टर न आपरो दुश्मनला बचाईस तब दुश्मन ला आपरो गलती को अहेसास भयो.तब पासुन दुय दुश्मन दोस्त बन गया.
     येको बोध असो नीकल से की-
         दुश्मन भी कभी कभी अच्छो दोस्त बन जासे.
       
         -सौ. लता पटले
          दीघोरी, नागपुर

श्रधा/अंधश्रधा y c choudhari 003


        एक गाव आम्ही बिह्याला गया होता .चांगलो समाज जुड़ेव होतो.थाटमाटलं बिह्या भयेव.काही बराती आपापलं साधनलं आपलं गाव गया .जिनकं जवड़ साधन नोहोतो वय रातमा रुक्या होता. सकारी सब चाय नास्ता करश्यानी बरात रवाना करनकं तय्यारीमा लग्या होता.
ओतमाच एक बाई चिलाई ना जोर जोरलं रोवन लगी पोटला हात थरश्यान बस गयी.सब बराती घबराय गया.ओन बाईला बिचारीन त कोनिकी नजर लगी अशी कव्हन लगी .डाँक्टरला बुलावो क़ोनी कव्हत मांत्रिकला बुलावो .आमरं गावमा एक चांगलो नजर उतरावनेवालो सेओको काम फेल होय नही सक कव्हन लग्या .सबकं संमतीलं ओला बुलायकन आनीन .ओनं बाबाजीनं आपली तंद्री देखीस ,बाहेरको लगीसे कव्हन लगेव. आयकश्यानी सब थक्क भय गया .ओकसाठी एक टोटका करनोपड़े कव्हन लगेव.वा बाई जमिनपर लोर गयी ना गड़बळ्या मारनलगी. ऊ मांत्रिकबाबाजी
आपलं तयारीमला लगेव
एकपाव कणिक को बाहुला बनाईस ,आर्धो गंगार पानी ,ना ओनबाहुलाला बाईकं आंगपरलं पाच बार उतारश्यान गंगारकं पानीमा ठेईस .ओकपर एक गोल मड़का झाकीस .मग ओकपर तनिस पेटाईस काही टाईममा .भुड़ुक भुड़ुक असोआवाज आवन लगेव .मांत्रिक बाईला बिचारं आता पोट दुखनो  कसो से .देखो कसो आवाज करसे.बाई उठकर बस गयी चांगलो लगसे कव्हन लगी.सब झन अचंबित भय गया  वा बाई मस्त हासन ना बोलन लगी.मांत्रिकबाबाजीकी वाहवा करन  लग्या. 
        योव टोटका आमला पटेव नही .आम्ही मांत्रिक
संग हुजत करन लग्या .योव आवाज बिना बाहुला लक भी आय सकसे पर बाबाजी माननंला तय्यार नोहोतो .मंग पुन्हा तसोच बिना बाहुलाकी .प्रर्क्रीया .क-या थोड़ टाईममा तसोच भुड़ुक भुड़ुक आवाज आवन लगेव .मांत्रिक बाबाजी खजीलं भय गयोव. अखिन ओन बाईको पोट दुखनो सुरू भयोव .मग डाँक्टरला बुलाईन, गँसकं 
गोलीलं आराम भयोव.मांत्रिक बाबाजी वहालंखजील होयश्यानी 
चली गयेव.

(वैज्ञानिक कारन-तनिस जरे पासुन बाहुलापरं झाकेव मड़कामाकी हवा  पानीमालं
बाहेर निकलत होती मुहुन भुड़ुक भुड़ुक  असो आवाज आवत होतो.)

कहानीको शिक-मांत्रिक पर विस्वास नोको ठेवो .डाँक्टरकी दवा करो.

वाय सी चौधरी
गोंदिया

सोच समझकर मांगे पाहिजे dhanraj bhagat 003


           एक समय बात आय , एक गांव मा दूय संगी /मित्र दिवस बूड़ता को बेरा गांव को चंडी नामक टेकरा पर फिरन ला निकल्या। 
             टहलता - टहलता दुहि जन की आपस मा चर्चा चली की, पहिलो मित्र न् भगवान ला प्रार्थना करिस की, हे भगवान मोला अगलो जीवन असो पाहिजे की " मोला सिर्फ धन भेटत रव्ह..! भेटत रव्ह..!" " कोनोली देनो भी नोकों पड़" या  मोरी इच्छा पूरी करो भगवान 
          दुसरो मित्र न् भी भगवान ला प्रार्थना करिस की, हे भगवान "मी हमेशा देतो रव्हू"....! देतो रव्हू....! मोरो जवर जो भी रहे     बाटत रहू या इच्छा पूरी करो भगवा 
           कालांतर मा दुहि मित्र मर् गया। काही दिवस को बाद ओन् दुहि मित्र को एकच गांव मा  दुसरो जनम भयेव .....!
           पहिलो मित्र को इच्छानुसार आजीवन भिकारी को घर् जन्मेव ।
             दूसरों मित्र को इच्छानुसार आजीवन अमीर को घर् जन्मेव।

 तात्पर्य:- असो की जसी जेकी भावना तसो तसो प्रतिफल जसो भिकारी लक काहीच अपेक्षा नही रव्ह , वोकि अपेक्षा याच की भेटत रव्ह.....! भेटत रव्ह.....!
देतो रव्हू ,दान धर्म को भाव ठेयेव लक अमीरत्व प्राप्त होसे ।
        सकारात्मक सोच मा फायदा येव से प्रगतिपथ पर जानला मार्ग प्रसस्थ रव्ह् से ना नकारात्मक सोच मा मनुष्य पतन (रसातल)को दिशा मा जासे।
     "सही सोच सही दिशा"

धनराज भगत 
आमगांव/ बाम्हणी
9420517503

लालच D. P. Rahangdale 003


              एक गावमा एक पंडीत आपल परीवार सहीत रवत होतो. ऊ रोज भगवान की पूजा करत होतो. एक दिवस भगवान प्रसन्न भयेव. पंडीतन भगवान जवर खूप लारो धन मांगीस. भगवान  न ओला  तथास्तू कहिस। अना सांगिस की सकारिस उठश्यान अांग पाय धोवजो अना मुंडन करजो। ओको बादमा एक डंडा धरश्यान लपाएकर बसजो। मंग सकारी जो तुमरो घर पहले आए ओला डंडा मार देजो त ऊ सोनो को मूर्ति मा बदल जाए। सोनो बिकजो ना धनवान होजो .दूसरों
दिवस सकारी उठेव, आंग पाय धोइस अना भाली ला बुलायश्यान मुंडन करिस। अना डंडा धरश्यान बसेव।भाली न बिचार करिस, पंडित न पहले आंग पाय धोईस ना मंग मुंडन करिस , काई तरी घोर से मणृन भाली बी झाड़ को आडप लूकायश्यान देखन बसेव।
   घड़ी भर मा पंडित घर एक भिकारी आयेव,ओला पंडित न डंडा मारिस त ऊ भीकारी सोनो की मूर्ति बन गएव। येव देखश्यानी भाली ला बड़ो अचरच भयेव ओला लालच सुटी। दूसरों दिवस ओन भी  पंडित सारखोच भिखारी ला डंडा मारिस त ऊ भिखारी मर गयेव । भाली ला फासी की सजा भई.

सिख: लालच लक होसे दूर्गती. लालच बुरी बला से.
           जेको कर्म को फल ओलाच भेट्से.

✍️डी  पी  राहांगडाले
      गोदिंया

ममता की भुक dr sekhram yelekar 003


दसवी बोर्ड को निकाल लगेव, राजेश दसवीमा होतो दसवी क् परीक्षामा वु नापास भयेव होतो. वक् माय ना अजीला बहुतही धक्का बसेव. उनला बहुत घुस्सा आयेव, उनला लगत होतो का उनको टुरा राजेश मेरीटमा आये पन सप्पा उलटोच भयोव होतो. राजेश क् अजीन तीरप् नजर लक् बहुत घुस्सा लका राजेशकन देखीन गारीगलोच करीस ना आपल् कारलक फिरनको बहानालका बाहार चली गयेव. राजेश खाल मान टाकस्यानी उगोमुगोच होतो. वु कोनसंगच बोलत नोहतो. राजेश बहुत हुशार टुरा होतो पन नापास भयोव मनुन सप्पा गुरुजीइनला धक्काच बसेव होतो. राजेश को यव मुकोपन सदाशिव गुरुजी ला अटपटेवसारखो लगत होतो. गुरुजीन राजेशला बहुत खबर लेइन पन वु काहीच सांगत नोहतो. वन्  अनपानी बी सोड देवी होतीस. गुरुजी समझदार होता. उनन आपली फटफटी कहाडीन ना राजेशला बसनला सांगीस, राजेश गाडीपर बसनला तयार नोहतो. गुरुजी परेशान भया. उनन राजेशक् काकाजी क् मदतलका जबरदस्तीलक गाडीपरा बसाईन वक काकाजीन मंगलक राजेशला धरस्यानी ठेयीस. गुरुजीन गाडीला किक मारीस ना वरकीक् डॉक्टरक दवाखानामा लीजाइस. डॉक्टरन् दवाई इंजेक्शन देईस, सलाईन लगायीस. राजेशला जरासो साजरो लगत होतो पन वु काही बोलनला खाली नोहतो. सदाशिव गुरुजीन डॉक्टर ना वको काकासंग घुनुळघुनुळ करीन ना गुरुजीन राजेशला काऊन्सिलर क जवर लिजायीन. काऊन्सिलरन राजेशला बिचारेपर राजेश काहीच सांगत नोहतो. काऊन्सिलरन राजेशला आपलोसो करीस ना मंग राजेश धीरु धीरु सांगन बसेव त् गुरुजी ला धक्का च बसेव. "सर मोला आबबी गणित को पेपर देयात त् पुरो पेपर सोडाय देसु. मोला पास होनको नोहतो, मी गणित को पेपर पुरो सोडायव ना पेनलका काट मारेव मनुन मोला  शुन्य गुण भेट्या. आमर् घर् सब सुविधा सेत पन आपलोपन की कमी से. मोला अभ्यास करनला बढीया खोलीसे, सब सुविधा सेत पन मोला कोन संग बोलनकी उजागरी नाहाय. मोरा अजी मोर् संगी भाईला घर आवन नही देत, मोर् संग बोलन नही देत. मोरा अजी मोर संग बोलत नही ना मोला बोलन बी नही देत. घरमा पावना आयात् उनक् संग बी बोलन नही देत. मोला लगेव का मी नापास भयेपरा मोरा अजी मोला  बिचारेत का,    बेटा भयेव, कसोकसो नापास भयेस? मी सालभर माय ना अजीसंग रहिवासी ना बिचबिचमा बातचित करु, पन मोर नशिबमा यव सुखबी नाहाय. मी नापास भयेव तरी मोर् अजीन मोर् संग बात नही करीन, गारी देईन ना घुस्सालक चली गया. मी पास भयेव रवतो त् मोठ क्लास मा, मोठ् कॉलेज मा अॅडमिशन ना मंग मायबाप पासून दूर. या कल्पनाच मोला बेचैन करत होती. मनुन मी  नापास भयेव." गुरुजीन ना काऊन्सिलर  अवाक भय गया. राजेश क् अजीला तुरंतच बुलाईन. राजेशला ना मंग वक अजीला समजाईन. राजेश क् अजीला सप्पा समज मा आयेव. आब् राजेश क् घराको वातावरण आनंदी बनेव होतो. राजेशला मायबापक् ममताकी भुक होती वा पुरी भयी. राजेश अभ्यासला लगेव, वन् दसवी की परीक्षा डबल देयीस ९४ टक्कालका पास भयेव. राजेश बहुत शिकेव ना मोठो नामांकित डॉक्टर बनेव. 
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 डॉ. शेखराम परसराम येळेकर
दिनांक २३/६/२०२०

तिथा mahendra patle 003


     "अवो! मरी वो माय, धावो गा बुगी." असी राधाबाई जोर जोरलक रोवन लगी. वोकी या आवाज आयकके राधेश्याम बाबाजी धावतच रांधनखोलीमा आयेव. यहा आयके देख् से त्, राधाबाई तलामलात पडी होती. वोको हातपर दारकी गंजी संडी होती. हात दारलक मखाय गया होता. यव सब अवतार देखके राधेश्याम बाबाजीन् राधा शहानीमायको हातपर थंडो पाणी सोडिस ना वोला कव्हन लगेव, " अवो राधे, जरा चुलोका तिथा त् देख लेतिस साबूत सेत का नही त्." यव आयकेवपर राधाबाई अनखी रोवन लगी. रोवता रोवताच कव्हन लगी "यहा जीनगीको चुलोकाच तिथा येता सुधारेवको बाद भी बिगड गया त्, येन् मातीको चुलोका तिथा काहा तग धरेत." राधाबाई की बात भी खरीच होती. ये बोल आयकके राधेश्याम बाबाजीको भी डोरामा पाणी आय गयेव.
      तीस साल पहिले राधाबाईको लहानसो संसार बहू सुखी होतो. एक ठन टुरी सरिता, ना एक अती लाडको टुरा रमेस. दुय राजा राणीको संसारका वोय दुय सुंदर फुल होता. येन् सुंदर फुलइनला सही तरिकालक परिपक्व करनको काम राधाबाई पुरो इमानदारीलक करत होती. संसार चुलोका दुय नवा तिथा दुय नवा घर बसावनला तैयार भय गया होता. दुहिला राधेश्यामन् चांगलो शिकायी होतीस. सरिता वकील बनी होती त् रमेस डॉक्टर. चुलोको तिथाला जसो रोज सरायके पक्को करसेत तसोच पक्को करनको काम राधाबाई ना राधेश्याम बाबाजीन् करी होतीन. पर का भयेव, उच्च शिक्षण लेनसाठी दुही बहिनभाई मायबापलक अलग  रह्या ना वाहाको वातावरणमा आपली नवी जीवनशैली बनाय लेईन. आता वुनला मायबाप गावठी लगन लग्या होता. उनकी बोलीभाषा, परंपरा, चालीरिती सब उनको नजरमा 'आउटडेटड' भय गया होता. म्हुन कभी सरिता त् कभी रमेस वुनला कव्हत "ओ पापा, व्हाट दिस नानसेंस यौर पोवारी लैंग्वेज ऐण्ड यौर फुलिस रिलेटिव्हज." खरी बात होती उनकी....मुंबईमा शिकेव रमेसला कसी पसंद आये पोवारी बोली ना वोय खेडुत पोवार रिस्तेदार. वोको उठनो बसनो त्, 'हायप्रोफाईल' लोगइनमा होतो. येको साठी राधेश्यामन् बाप म्हुन का करीस, त् काही नही..... सिरीफ राधेश्यामन् वोको दस एकर जमीनमालक चार एकर जमीन बिकके टुरा टुरीको शिक्षण, सरिताको बिह्या ना रमेससाठी नागपूरमा दवाखानो खोल देयी होतीस. 
       सरिता बिह्या करके आपलो घर खुश होती. वोको नवरा विद्याधर चांगलो घरबांधकाम व्यवसायी होतो. पुणेमा वोको धंदा जोरदार चलत होतो. धंदामा अगर बखेडा उभा भया त् विद्याधर पैसा देयके काम सलटाय टाकत होतो. काही समय सरिता भी लढाईमा उतरत होती, ना आपलो कानुनी दावपेचलक समोरको पार्टीकी खटिया खडी कर देत होती. इत् रमेशको हॉस्पिटल नागपूर शहरमा जोरदार प्रसिद्ध होतो. रमेसला आपलो आई, बाबुजीसाठी समय देनो भी मुस्किल भय गयेव होतो. असोमाच वोको हॉस्पिटलमा काम करनेवाली डॉक्टर श्वेता पाटील सोबत वोका सूत जुड्या, ना एक दिवस बात जब बिगड्त चली त् वोन् डॉ. श्वेता संग 'कोर्टमैरिज' कर लेयिस. या बात जब राधेश्यामला पता चली त् उनको बहुत मुंडा खराब भयेव. "पर जातकी टुरी मांगके मोरो संमतीबिना तू शादी करेस त् मोरो घरमा तोला जागा नाहाय." असो कहके वोय वाहालक निकल्या ना सिदो आपलो गाव् बबई आया. वोन् दिवस पासुन उनको ना रमेसको लगाव खतम भय गयेव. इत् विद्याधरको काममा थोडो नुकसान भयेव त् वोन् भी सुसरोकर पैसासाठी तगादा लगायीस. जब् राधेश्यामन् पैसा देनला मना करीस त् वोन् सरिताला पुढ् करके सुसरोपर संपत्तीसाठी 'केस' करीस ना अर्धी जमीन वाहालक लेयके वा बिकिस. वोका जो पैसा आया वोय आपलो धंदामा लगायिस. यव 'केस' लढता लढता राधेश्यामका 'केस' पांढरा भय गया होता. दुही औलादन् वोको चांगलोच उद्धार करी होतीन. रिस्ता नाता भुलके वोय पैसामा चुर भय गया होता. राधेश्याम जब भी राधाबाई संग एकोबारोमा बिचार कर्; तब् वोला जरुर सांग, "राधे चाहे चुलोको तिथाइनला केतो भी सराय पोत कर; वोय एक कालमर्यादाको बाद साथ छोड देसेत, कारन उनकोपर बाहेरको तपन पानीको भी असर जरुर होसे." 
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✍महेंद्रकुमार ईश्वरलाल पटले(ऋतुराज) मु. किडंगीपार पो. ता. आमगाव जि. गोंदिया
भ्र. क्रं. ९५५२२५६१८९
ता. २३/०६/२०२०

दोस्ती chhaya pardhi 003


    एक बार की बात आय ,एक केकडा समुद्र  को किनारो किनारों  चलत जात होतो. बिचं  बिच मा जरासो ऊभो रहश्यान मंग पलटकर आपलो पाय को निशाण देखकर बडो खुश होत होतो.
    घडीभर चलकर अदिक उभो रहकर मंग पलटकर आपलो पाय की सुंदर डिझाईन देखकर खुश भयेव वोत्तोमाचं समुद्र की जोर की लहर आई ना केकडा को पाय की सुंदर डिझाईन मिटकाय गई…….
      केकडा ला लहर पर  लगित गुस्सा आई ना वोन कहीस, " हे लहर मी तोला साजरो दोस्त मानत होतो ना तून मोरो पाय की सुंदर डिझाईन मिटकायेस, मोरी खुशी तोला देखी नहीं गई.".....
    येको पर लहर न कहीस,,," वय देख उतन पाय को निशाण देखकर् ढीवर केकड़ा धर रहया सेती, वय तोला भी धर लेयेती मुन मी तोरो पाय का निशान मिटकायेव". येव आयकर केकड़ा ला पश्चाताप भयेव.

सच बात से की आपुंन सामने वालो को बात ला आपलो सोच को अनुसार  गलत समझ लेसेजन पर सिक्का का दूय बाजू रवसेत ।

सीख :  मन मा बदी (वैर) आननको को बाटा आमीन सोच समझकर निष्कर्ष कहाडे पाईजे।

✍️सौ. छाया सुरेंद्र पारधी

Thursday, June 25, 2020

बरसात sharda chaudhari 15


  (चाल--चंदन सा बदन)
              

गरमी  से छटी हवा बोवंन लगी                            बिजली भी करं से चमचमं                                   अभारं मा आया बादल कारा                                  देखो आयी से बरसात को मौसमं  ll 
फुलवारी महकी चिडीया भी चहकी
जंगल मा नाचं से मोर छमछमं 
कोयार भी गाना गावंन लगी 
देखो आयी से बरसात को मौसमं ll
 तरा-बोडी भरी नदी भी भरी
जबं आवन बसेव पाणी जमजमं
मेंडकी भी रात मा टर्रावन लगी
देखो आयी से बरसात को मौसमं ll
लगी हरणी धावन देखो कसी बनबन
माती की सौंधी खुशबू सुंघकनं 
इन्द्रधनुष मा सेती सातं रंगं 
देखो आयी से बरसात को मौसमं ll
अज येव कास्तकार खेती को तारणहार
देख पाणी की बाट जो हरदमं
चलेव नांगर ला बैल जोतकरं
देखो आयी से बरसात को मौसमं ll
बखर को मंगं चली किसान की घरवाली
घमेल पावडा अना बिजाई समं
धुरो पर आता लगाये तोरं
देखो आयी से बरसात को मौसमं ll
लहानसा ये टुरा दिल का सेती खरा
पाणी को संग से इनको पिरमं
कागज की नाव बनावणं बस्या 
देखो आयी से बरसात को मौसमं ll
                                 शारदा चौधरी
                                       भंडारा

Tuesday, June 23, 2020

बरसात vandana katre 15


बरसात
दिल मा छाय जासे बरसात को महिना
हिवरो सिवार सुनावसे चैतन्य को गांना ।।

मोर कि केकावली, भेपका कि टर टर
किसान कि सुरू भयी खेत मा मर मर ।।

सण इनकि फुलवारी नाचसे हर मन मा
द्रोपदी को किसना धावसे घर घर मा ।।

नदी, झरणा, तरा, बोडी होसेती तृप्त
ताजी तवानी होसे अचेतन बि सुप्त ।।

शारदा माय कि वीणा छेडसे सप्त झंकार
रस्ता, पहाड, चोवसे आरसपानी हार ।।

झगडा भुलस्यान टुरु पोटू कागज को नाव संग
आई माई, मरदमाना काम मा भया दंग ।।

कौल ,झाड इन पर लंपटन बस्या बेला
रंग रंग को पान अन फुल इन को मेला।।

चित्रकार ला मिल्या चित्र को आकार
इंद्र धनुस न करिस सबको मन साकार ।।

रिमझिम, टिपटिप, मुसला केता सेती रूप
बरसात होसे परमेश्वर को परम स्वरूप ।।

एकच से प्रार्थना वरुण राजा तोरो जवर
वोलो दुसकार पाडन कि नको लगो नजर ।।

प्रकृती को उपकार बरसात कि से सवगात
वचन से आमरो नहि करजन प्रकृती पर आघात ।।

वंदना कटरे "राम-कमल"
गोंदिया

बरसात dr.shekhram yedekar 15


 बरसात

बढीया मीरुग को वारा, मोर फोडसे टाहो
आये तुफान पानी, मोऱ्या संभालकन ठेवो

भरो मीरुग मा खारी, नोको कवोजी हो हो
टाको धुरापर माती, वडगा संभालकन ठेवो

राबसेव कास्तकारी,   तुमी बेरापर च जेवो
आंबीलसंग पीवनला, रायता संभालकन ठेवो

भयी सेत हिवरी बांदी, खेती का गुण गावो
परा लगावनसाती, मजुर संभालकन ठेवो

आये बरसात को पानी, पानी मा खेत् जावो
नोको वला होवोजी, मोऱ्या संभालकन ठेवो

सरसर आवसे पानी, धुरा पारीलक जावो
काटा गोटा चिखलमा, संभालकन पाय ठेवो

लगे बरसात को पानी, अदरककी चाय पीवो
सगडी पेटावनसाती, काडी संभालकन ठेवो

डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर

बरसात varsha rahangdale 15

 बरसात

आयेव आयेव मोसम बरसात को
बळीराजा हातमा धर कासरा  बइलको।।

सारो जग को अन्नदाता अना कर्ताधर्ता तू
कस जमिन अना सोनो पीकाव आता तू।।

करजो धरतीमायकी आपलो मशागत
मिले जनपुण्य की बळीराजा तोला सवलत।।

खेतशिवार हिवरा हिवरा दिसेत बरसातमा
चार चांदा लगेत तोरो आंनद अना मनमा।।

खूद खासेस नोन,मिरचा की चटणी अना भात
दुसरो को पोट भरनकी से तोरी या जात।।

रातदिवस कष्ट करके अनाज पीकावसेस
न थकता,न बोलता सदा खुश तू रवसेस।।

वर्षा पटले रहांगडाले

बरसात chiranjiv bisen 15


               बरसात
              
तीन ऋतु माल् एक ऋतु आय बरसात, 
थंडी, गर्मी अना तिसरो ऋतु आय बरसात. 
गर्मी क् बादमा सबला रव्हसे बरसात को इंतजार, 
गर्मी ल् मिलसे राहत, आवसे खुशी की बहार. 

बरसात की रव्हसे खेतीला बहुत जरूरत, 
किसान चातक वानी देखसे बरसात की सुरत. 
भारत मा बारीश होसे केवल बरसात क् ऋतुमा, 
बरसात मा बारीश नही भईत् सब मिलसे खाकमा. 

खेती को काम सुरू होसे बरसात क् घातमा, 
खार भरनो, प-हा लगावनो सब होसे बरसात मा. 
मिरूग, अळदळा, फुक, फुंडरूस, असरका सब, 
मघा, पूर्भा, उतरा, हत्ती आत बरसात का नक्षत्र. 

अखाडी, जीवती, राखी, कानुबा, पोरा, गणेश, 
सब त्योहार बी आवसेत अना सावन मा महेश. 
छोटा बच्चा बी लेसेत बरसात को मजा मनपसंद, 
पानी मा खेलनको, कागज की नाव चलावन को आनंद. 

                 रचना - चिरंजीव बिसेन 
                                 गोंदिया 
                          

बरसात chhaya pardhi 15



( चाल: चांदणं चांदणं झाली रात )
बरसात
रिमझिम, रिमझिम आईं बरसात
धरती माय जेकी, देखत होती बाट

       हिवरों हिवरों रूप निखरेव गा
       अंकुर धरतिला  फुटेव गा
जंगल झाड़ ना, झाड़ भया हिवरागार
रिमझिम, रिमझिम आईं बरसात
धरती माय जेकी, देखत होती बाट।।१।।

      जीवजंतुला जीव फुटेव गा
      नागोबा भी सरपट सुटेव गा
भेपकिला, भेपकीला आयेव जोर खास
      रिमझिम, रिमझिम आईं बरसात
      धरती माय जेकी, देखत होती बाट।।२।।

     कारा कारा बादर गरजसेत
     मोर भी बनमा नाचसेत
पशु पक्षी मा, पक्षीमा आईं नवीन जान
     रिमझिम, रिमझिम आईं बरसात
     धरती माय जेकी, देखत होती बाट।।३।।

      किसान मन मा खुश भयेव गा
      नांगर धरकर खेतमा गयेव गा
मन मा, मनमा ओको बड़ो उल्लास 
     रिमझिम, रिमझिम आईं बरसात
     धरती माय जेकी, देखत होती बाट।।४।।

     खारी दोरी भई  झटकन
     पऱ्हा लगाइस   सटकन
नहीं मेहनतमा, मेहनतमा ओको आट
     रिमझिम, रिमझिम आईं बरसात
     धरती माय जेकी देखत होती बाट।।५।।

     आयेवं सन बाई अखाडी को
     गढकालिका माताला सुमरण को
माता की कुरपा, कुरपा बरसे बाई सब पर
    रिमझिम, रिमझिम आईं बरसात
    धरती माय जेकी देखत होती बाट।।६।।

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

बरसात को मौसम kalyani patle 15


बरसात को मोसम

बरसात की पहली बारिश, सब को मन ला भावसे,
आय जासे हरियाली, जो सब को मन लुभावसे।।

सुखी पड़ी धरती, बरसात मा मुस्कुरावसे,
खेती किसानी वालो ला येनच दिन मा काम रवसे।।

हल चलावसे किसान खेत मा, बैल गाड़ी झीकसे,
मेंढक को टर-टर आवाज लक, जन-जन मा उमंग उठसे।।

बरसात को मोसम मा झर-झर पानी आवसे,
नदी-नाला होय जासेत तृप्त, धरती की प्यास बुझावसे।।

बरसात को मोसम मा,सबईतनी रवसे पानी,
बरसात लक बचन लाईक, सब लोक इनन आपरी छतरी तानीन।।

कारा बादल छाया देख मोर पंख फैलावसे,
मेंढक को टर-टर अन मोर को पंख लक प्रकृति मा सुंदरता अावसे।।

किसान इनको मनला बरसात को मोसम भावसे,
तबच या दुनिया खुशी लक रवसे।।

बिजली कड़कड़ासे, बादल गड़गड़ासे, सागरमा उठसे उफान,
सब होय जासेत दंग देखके प्रकृति को उफान।।
    
       कु. कल्याणी पटले
        दिघोरी, नागपुर
        

बरसात की याद dr.hargovind chikhalu tembhare 15

बरसात की याद

मोला बी लगी से एक साद,
कबं आवसे बरसात ll

तपन की बहुत झेल्या उन्हारो भर साथ,
मोला आवसे बरसात की याद ll

बांधी मा फुट पड़ गयी कास्तकार
 करे बिचार,मोला बी आवसे बरसात की याद ll

नदी, नाला,सुख गया बंद भय गई
पानी की धार,मोला बी आवसे
 बरसात की याद ll

समुद्र बी कसे वरुण देव लक
 पुकार है, प्रभु बुझाय देवो सबकी प्यास ll

धरती माय तप रही से बरसात की 
आस मा, हिरवो हिरवो रुप धरे
बरसात को बाद मा ll

रिम झिम रिम झिम बरसात की 
सबला लगी साद ,
मोला आवसे बरसात की याद ll 

खेती ला सजावन की सबला लगी 
से आता साद, सबला आवसे बरसात की याद ll

पानी बचाओ अभियान ला देवो
 साथ,सबला आयी से बरसात की याद ll

जब तक से महत्व संसार मा पानी
 को,तब वरी महत्व से मनुष्य को वाणी को ll
*************************
प्रा.डॉ. हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४

बरसात D.P. Rahangdale 15


बरसात
           
हरसाल  एक  सालमा  तिन  दिवस  आवसेती ।
उनलाच  हिवाळो, उनहाळो ना बरसात कवसेती।।

हिवाळोकी थंडी,उनहाळो की भारी से तपन ।
बरसातको पाणी पळेव ,जितऊत खपनच खपन ।।

बरसात रोहणी पासून सूरू होसे ना हतीवरी रवसे।
खेती बाड़ी को काम भी बरसात माच आवसे ।।

पाणी लका जंगल हिरवा भया हिरवो भयोव रान ।
जसी हिरवी शाल आंगपर,कोयार करसे गूनगान ।।

बरसात सूरू भई की ,मेंडकाभी टरायकन बोलसे ।
जिव जंतूला ऊलहास  आयेव, सरप भी डोलसे ।।

बरसातमा सण आवसेती,अखाळी,जिवती,नागपूजा ।
राखी  ना  ,कानूबाको सण,पोळाला बैलकी पूजा ।।

बरसात चांगली भई त सबक मनमा खूशयाली बहू ।
कधी पळेव सूका,सूकेव थूका कसे कोण घर  जाऊ ।।

डी. पी. राहांगडाले
  गोंदिया

बरसात की घात lata patle 15



बरसात की घात

बरसात की का सांगु बात,अजबच रवसे येको घात,
कपड़ा वारे पाहिजे कयके रव से चिंता, भया काव काम करके घर लक चिल्लासे कुंता।।
                   
घर सीवो,डोंगी लगावो पानी घरमा धरसे धार,  
खेतमा पानी भरसे त बनावसेती पार।।

मोरया बरसादी की पडसे गरज,
परा लगवता लगावता गानाकी निकालसेती नवी नवी तर्ज। 
चिखलमा आवसेे मजा परा लगावन,
अचार संग रोटी बन्यार संग रवन ।।
             
चीखल माका गेंडवर पायपर चग सेत्त,                 गुदगुदी लगसे त पाय झटकट भागसेत।।

बीजली को कड़कड़ाटलका लग से डर,
झोपडी मा परासेत अांग कापसे थर थर।
                       
बरसात को पानी मा भरसेती गावका तलाव,
किसान कसे चल आता मोटर लगाव।।

बरसात होसे तब आव से किसान को जान मा जान,
पानी पड़से तबच पिकसेती खेत मा का धान।।
        सौ. लता पटले
        दिघोरी, नागपुर

ऋतु की महिमा y.c. Chaudhary 15


ऋतू की महिमा

बारा महिना सालका
 ऋतूकी महिमा और से।
रिम झिम  बरसातकी
सबका ढोला भरदेसे।।

उंचो उंचो झाड़इनकी
महिमा काही और से।
वाफ समुद्रको पानीकी
धारला यहा आनसे।।

हिरव हिरव खेत की
विपुलता काही और से।
एक दाना लगावोत
हजार दाना करदेसे।।

बरसातमा नाला पानीकी
खड़ खड़ाट काही और से।
नदी नालामा पानीच पानी।
सजीव सुष्टी जन्म लेसे।।

बादरमा  ढग आवनकी
बिजकि चमक काही और से।
ईंद्रधनुषका सात रंगहे
मनमा उत्साह भर देसे।।

निसर्गकी महीमा न्यारी
सुंदरता काही और से।
सबको संचालक सुर्य
उर्जा सजीवला देय देसे।।

वाय सी चौधरी
गोंदिया

बरसात swati turkar 15


              बरसात
 (धरती बारिश की राह देखती हुई)
बाट देखसु तोरी, 
जेको संग मा जुड़ी सेत मोरो हॄदय की डोरी।
उनहारो मा तप गई सेव,
आयकर बुजाय दे तहान  मोरी।
बहुत भयव यव बादर बदरी को खेल ,
बरस जाय आता वार रही सेत खारी।
बेटा तोरो (किसान) देख रही से बाट, 
कब जुपु नांगर बख़्खर ना कब धरु पाथ।
तोरो परा टिकी से इनको जीवन की आस,
नही आए बरसात त ये होय जायेत ये उदास।
बरखा नही आए त धरा को मतलब कहाय, 
तोरो बिना मोरो काही मोलच नहाय।

स्वाति तुरकर

बरसात को मजा ku. mohini patle15


बरसात को मजा

बरसात आय किसान को साथी,
उजवल करसे किसान को घर की बाती।।

बरसात मा इस्कुल जानला आवसे तरास,
तब इस्कुल का मास्तर निकाल सेती आमरो परा भड़ास।।

बरसात को पानी मा खेल्योलक आमला आवसे मजा,
माय-बाप न देखीन त देसेत आमला सजा।।

बरसात मा खेल-खेलकर कपड़ा होसेती गंदा,
माय कसे काम सेती, नको बढ़ावो धंदा।।

बरसात मा आवसे कानोबा पोरा,
माय बनावसे तेलरांधा, खानला भेटसे मोला।।

बरसात माच आवसे राखीको सन,
नवा कपड़ा डाक सेज, मस्ती करसेज सब जन।।

  कु. मोहीनी पटले

बरसात mukund rahangdale 15



बरसात

मिल गयी गरमीलका राहत जेकी होती सबला बाट
देखो मावशी बाई आय गयी बरसात !!१!!
 
आम्ही कास्तकार ला खेती ला नवरी सारखी सजवन 
की लगी से आब आस
 बादल को गर्जन आयक शान जंगलमा नाचसे मोर!!२!!

जहाँ नी नजर वाहा परा पाणीच पाणी देखो बरसात
को कमाल लक तेज भय गयी से नदी की चाल!!३!!

 मसरी पकडण साठी  धिवरफेकसेती जाल
नाचण लग्या कास्तकार भरनागरणी खारखोदाई भय गयी चालू!!४!!

 देखत होतो इंद्र देव चालूआय गयी देखो
 बरसात कास्तकार को खेत मा लहराया बजरा गहू धान!!५!!

मुकुंद रहांगडाले 
दत्त वाडी नागपूर २३

Thursday, June 18, 2020

मन बोली को मंदिर


मन एक मंदिर से,
जीवन को नीर से ll

मन को अंदर बी एक मंदिर से,बिचार लक अधिर से ll

मन करे आत्मा की पुकार,
बिचार करे समाज को बिचार ll

शरीर करे देह रूप को बिचार,
देह कहे येवच मोरो संसार ll

आत्मा करे देह मुक्ति को बिचार,
मन करे माया रूपी संसार को बिचार ll

चिंतन करे समाज को बिचार,
व्यक्तित्व करे समाज की
पहचान ll

जीवन होये वोको महान, जो माने समाज ला मंदिर समान ll

विनाश करे समाज को व्यक्ति नादान, जो समझे समाज लक खुद ला महान ll

सामाजिक जिवन आय व्यक्ति की सही पहचान,काज समाज को करो महान ll

बोली भाषा की देन महान, भाषा देसे जग सन्मान ll

जो तोड़े बोली भाषा की पहचान,
नही भेटे कही व्यक्तिला मान ll

जागो जागो पोवार बंधुओं महान,
पोवारी बोली भाषा आय आमरी पहचान ll
************************
प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४

आंबागढ किला || ambagarh fort tumsar ||

          आंबागढ किला भंडारा जिले के तुमसर तहसिल मे आता है। तुमसर से यह किला लगभग १० किमी दुर  है। यहां पहूंचने के लिए निजी वाहन से ही पहूंचा जा सकता है। यह किला सातपुडा पर्वत श्रृखलओं की एक पहाडी पर स्थित है। इस किले पर लगे एक लेख से पता चलता है की इस किले का निर्माण गोंड राजा बख्त बुलंदशाह के सुबेदार राजाखान पठान ने जंगल मे शत्रु से बचाव के लिए वर्ष १७०० मे करवाया था। इस किले का निर्माण बहूत ही कलात्मक रुप मे किया गया है। बख्त बुलंदशाह के पुत्र चांद सुल्तान की पत्नी रणकुंवर का वास्तव्य कुछ काल इस किले मे रहा, उनका स्नानघर भी हूआ करता था जो आज भी जर्जर हालात मे दिखायी देता है। गोंड राजाओ के बाद मे यह किला मराठाओ के अधिन चला गया, उस समय इस किले का उपयोग कैदखाने के रुप मे किया जाता था।
              पवारी ज्ञानदिप पुस्तिका के अनुसार रघुजी भोसले के शासन काल मे आंबागढ किले का किलेदार पोवार मोतीप्रसादसिंह ठाकुर थे। उस समय इस किले का उपयोग कैदखाने के लिए किया जाता था। इस किले मे एक अंधियारा कमरा भी है जिसमे कैदियो को रखा जाता था। इस किले मे एक कुआ है जिसके बारे मे किले के बाहार लगे बोर्ड पर लिखा गया है की उस कुऐं का पाणी जहरिला हूआ करता था, गंभिर कैदियो को वह पाणी पिलाया जाता था जिससे उनकी मृत्यु होती थी। 
            इस किले के बारे मे स्थानिक बताते है की इस किले से एक सुरंग ऐसी है जो सिधा नागपुर के किले मे निकली है लेकिन हमारे खोज मे यह सुरंग हमे दिख नही पायी। शायद वही अंधियारे कमरे से वह सुरंग होते हूये नागपुर निकलती होगी। यह किला गोंड, मराठा, ब्रिटिशो के काल मे एक मुख्य किला हूआ करता था, ३२० वर्ष बाद यह किला अब जर्जर हो चुका है। लेकिन महाराष्ट्र शासन द्वारा इस किले को पर्यटन योग्य रुप दिया गया है। इस किले मे पर्यटक नगण्य संख्या मे आते है इसलिए यहां आने पर शांती प्रतित होती है। एक दिन की पर्यटन यात्रा के लिए यह किला परिपुर्ण है।

                          - सोनू भगत
                mob - 8928162789

Monday, June 15, 2020

मोहतुर sonu bhagat 14



           मोहतुर 

आयेव तीज ला करसा को सन्
कास्तकार को हर्षित भयेव मन्

बरखा की पहली बूंद पडी भुपर्‌
महक उठी धरती चहूओर सुंगध 

तीज को दिवस जुपिस बखर्
गयेव खेतपर सजी आरती लेयकर्

जोडिस हात ईश्वरला उम्मिद लक्
करीस मोहतुर पांच मुठ धानलक्

पानी पड़ेव रिमझिम फुहार धरतीपर्
नीकलेव अंकुर वापी खारी सरसर्

परहा भयेव खात टाकीस घातपर्
निकलेव सोनो खेतमा पात पातपर्

कटाई की करिस मोहतुर नवो धानलक्
हर्षित भयेव मन नवो खीर को बासलक्

कटेव धान बांधिस बोझा तनीसको बंदलक्
भई चुरनि खुश किसान धरती को पुनलक्

- सोनू भगत सोनसावली

मोहतुर vandana katre 14


मोहतुर

बैसाक को वनवा पेहरावसे अंगार को हार
हिवरी हिवरी धरती माय भय गयी से बेजार।।1

किसान इनको डोरा भर आय गईसे पानी
वसु माय को सेवा साती सुरु कमर कसनी ।।2

बळीराजा न मनमा ठेइसेस मोठो संयम
देखसे मोहतुर कि बाट निभावनो धरम ।।3

मिरुग मा आया आता कारा कारा बादर
बिनती आयकीस न करन बसेव आदर ।।4

दुनिया को पोसिंदा बखर संग भयव तयार
झुंझुरका गयव खेत, करिस मोहतुर पार ।।5

पुंजा करकन माय कि फेकीस मुठभर धान
बखर चलायकन मांगीस मयनत को दान ।।6

धरती माय कि सेवा मा च बितसे कारी रात
दुसरो को पोट भरन साती मोहतुर लक सुरुवात ।।7

मोहतुर को कलस मा भर जासे मोती कि रास
गरिब को घर मा बि होसे उजारो कि आरास ।।8

खेती साती किसान मानसे मोहतुर जरुरी
जिवन मा आय जासे मंग श्रद्धा न सबुरी ।।9

वंदना कटरे  "राम-कमल"
गोंदिया
१४/०६/२०२०

मोहतुर varsha patle rahangdale 14


मोहतुर

अज मी कविता को मोहतुर करेव
पोवारी भाषासाठी आत्मा अर्पण करेव
जन्म मिलेव पोवारी जातमा सुंदर मोला
पोवारी साहित्य साठी जरासी पेरणी करेव।।1।।

खार पेरके भय गयी से पोवारी की   बढिया
जरासी नांगरणी,बखरणी करू कसु मी
धानला अंकुर आयो परा बांधीमा मंग
पोवारी को पऱ्हा एकसारखो लगाऊ कसु मी।।2।।

पोवारी की लहलहाती फसल आये समाजमा
खीलखीलाये,आनंदीत होये पोवारी जगमा
सोनोवानी सुंदर दिसे अना निरंतर  रहे
पोवारी भाषा सबको मनमा अना तनमा।।3।।

मोहतुर सद गयी से आता पोवारी भाषा की
जनजनमा रूज गयी से जड आता पोवारीकी
समाज मा जरूरी से एकता,एकरूपता,लिखाण
तबच पाझर फुटे जगमा पोवारी साहित्यकी।।4।।

वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगांव
जि.गोंदिया
मो.नं.8669092260

मोहतुर dr. shekhram yedekar 14


 मोहतुर (प्रारंभ)

आयी तीज रे, सजावो खेती
किसानक् मनमा, से हुहहुर
बखर जुवाडी, तयार ठेवो
लगो काममा, करो मोहतुर

पोवारीला बी, से सजावनो
पोवारीला नोको, धाडो दूर
बोलनसाती जोशा बढावो
नोको लाजो, करो मोहतुर

अज नही सकारी करबीन
अस् बिचार ला ढकलो दूर
सकारको बिचार सोड देवो
लगो काममा, करो मोहतुर

संधी जीवनमा आवतच रवसे
जसो नदी नालाला आवसे पुर
पयलेच बंधारा बांधकन ठेवो
लगो काममा, करो मोहतुर

हात गुंडकन नोको रहोजी
करो आलसला चकणाचुर
प्रेरणारुपी  दिवो जरनदेव
लगो काममा, करो मोहतुर

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर
 नागपूर ९४२३०५४१६०
दि. १४/६/२०२०

बळीराजा Y.C. Chaudhary 14


बळीराजा

तनला उर्जोक्क्ती
मनला या शांती।।
सजीवला सक्ती
देसे या धरती।।

         भारत को किसान
         मुहुन से महान।।
         धरतीकी तहान
         मोहतुर करश्यान।।

तिजको यव पर्व
पुरो करो कार्य।।
पेरनीकी या बेला
श्रम बळीराजाला।।

        जलकी या फुवार
        हिरवो योव शिवार।।
        एक बीजका हजार
        भरसेती ना कोठार।।

नक्षत्रकी किमया
निसर्ग की छाया।।
धरतीकी या माया
सब स्वःनंदी भया।।

       वंदना गडकालीका
       ढोला भरदे सबका।।
       बेटा भारत माताका
       वंसज राजा भोजका।।  

वाय सी चौधरी
गोंदिया

मोहतुर chhaya Pardhi 14


         मोहतूर

उन्हारों मा झवरावसे पड़से गरमी की मार।
रोवसेखाकसे उतरसे ओको हिरवो सिंगार।।

हिरवी शालू जरसे खोबा वोला जागनजाग।
चातक सरिसी बाट देखसे सूर्य ओकसे आग।।

नहीं आव जबवरी मिरुग को पानी की धार।
धरतीपर सब सजीव को पानी से पालनहार।।

आईं आईं देखो मिरूग की पयली या फुहार ।
नाच उठ्या धरती आयेव निसर्ग को तारणहार।।

फुट्या नवंकुर धरती को रूप देखो हिरवोगार ।
मोहतुरसाती सजेव बखर किसान भयेव सार।।

धरीस धान, बीजबोहनी अना आरती कि थाल ।
दस कुडो की भरीस खार खुशिला नहीं ठिकान।

पानी बरसेव, सरेव पऱ्हा मिलेव वोला समाधान।
दिवारी आई सोनो सरीखो काटन आयेव धान ।।

मोहतूरकी आणीस चरू,डोकरीला खीरको मान।
काटिस धान भऱ्या पोता खुशिला वोको उधान ।।

करिस कडही नारेनपुडी मानिस धरतीको आभार।
नही हट मेहनतला किसान खरो जग को आधार।

सौ. छाया सुरेंद्र पारधी

मोहतुर Chiranjiv Bisen 14


            मोहतुर
               
पोवार समाज का किसान 
करसेत तीज क् दिन मोहतुर, 
जमीन को उपकार मानन साती
पुजा करन को से दस्तुर. 

तीज क् पहले क् रातमा 
बखर धरस्यार जासेत खेतमा, 
आरती, नारियल, अना बिजाई, 
का धान रव्हसेती संगमा. 

खेत की करसेत सेंदुर, कुंकू, 
नारियल, अगरबत्ती ल् पूजा, 
जेक् हातको मोहतुर रव्हसे 
वु सबसे पहले फोकसे बीजा. 

वोक् बादमा सबजन 
फोकसेत एक एक कर बीजाई, 
आखिर मा बख्खर चलायो
जासे फोककर बीजाई. 

काही लोक खार भरनक्
भारीच करसेती मोहतुर, 
पर धरती माय की पूजा 
पोवार किसान करसेत जरूर. 

मोहतुर आय धरतीला 
फसल चांगली देनसाती प्रार्थना, 
धरती क् उपकार की 
मून सब करसेत प्रार्थना. 

  रचना- चिरंजीव बिसेन 
           गोंदिया.                   
मो. नं. ९५२७२८५४६४

मोहतुर D.P.Rahangadale 14

मोहतूर

खेतीक काम ला सूरवात करनला मोहतूर कसेती ।
धरतरी मायकी  पूजा  सब  कासतकार  करसेती ।।

लगी  बरसात, रोहणी भी गई,मिरग भी लग गयेव ।
पयलो मोहतूर खार भरनको, ओला तयार भयेव  ।।

भई तयारी,काहाळीस बखर ओला जूपीस जूवाळी ।
बखरला भ-या, ना बारती,ना सिंगरा बैलकी जोळी ।।

चूंगळीमा धरीस धान,ना चाऊर,बिजबोहनी हातमा ।
गळूमा पाणी,ना कूकूकी पूळी,धरशान गयेव खेतमा ।।

जूपीस बखर,जोळीस हात धरतरी की पूजा करीस ।
पाच  कूळो की खार  बखरल का पटणारीच भरीस ।।

दूसरो मोहतूर परा धरन को पाच मूठ खार की पूजा ।
लगाईस पराडार,परा सरेपर आखीर बजाईस बाजा ।।

तिसरो मोहतूर धान काटनको चरू धरशान आयेव ।
करीस चूरणी, धान का  पोता , मनमा  खूश भयेव ।।

असा खेतीका तिन मोहतूर,धान पिकावनकी आशा।
पळेवथेंब,निकलेवकोंब,नहीत बोंबचबोंब की दशा ।।

डी पी राहांगडाले 
    गोंदिया
 ९०२१८९६५४०

किसानी को दस्तूर Dr.Hargovind Chikhlu Tembhare 14

   
किसानी को दस्तुर

रिमझिम बरसात से न्यारी,
माटी की खुशबू से बहुत प्यारी ll

भाऊ आता मिरुग न बी लगाईस हाजरी,
आता करो मोहतुर की तैंयारी ll

खारी भरबिन, बोवार पेरबिन,
चल भाऊ अज मोहतुर करबिन ll

सब पोवार होय जावो तैयार, आयव आता खेती को त्यौहार ll

धरती माय  की पूजा करबिन,
अन्नदायानी को ऋण खंडबिन ll

पोवार समाज की शान से,
खेती को दस्तूर मा मोहतुर को
मान से ll

जसो पोवारी भाषा बोल मधुर,
तसो जरूरी से करनो मोहतुर ll

करो पोवारी खेती का दस्तूर,
भेटे मान वंदना तुमला जरूर ll
**********************
प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो. दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४

खेति की समस्या Chiranjiv Bisen 001


    
तातोबा -  राम राम भाऊ. 

राघोबा -  राम राम राघोबा, आव बस. 

तातोबा - भाऊ, मी येव खबर लेन् ला आयेव होतो का, आता मिरूग लग गई सेत् खार भरे पाहिजे का?

राघोबा -  हव मिरूग त् लग गयेव, पर पानी जादा नही आयी से, थोडो पानी अनखी आवन देहे पाहिजे. 

तातोबा - पर मिरूग मा खार भरे पाहिजे असो पुराना लोक कसेती, बिघडत नही खरा. 

राघोबा - बरोबर से पर मिरूग अनखी आठ दिवस से, पानी कम आयीसे, आब् खार भरेव ल् खारला अंकुर आय जाहे. अना बादमा तपा तपेव त् खारी वार जाहेती. 

तातोबा - तुमी कब भरो? 

राघोबा - दुयक् दिन बाट देखेव क् बादमा भर बी कसू. 

तातोबा - ठीक से मी बी दुयक् दिवस बाट देख लेसु. पर पानी जादा आहे त् चिखल खार भरनो पडे. मोरी सपाई खारी बाही सेती. 
राघोबा - तसो त् होसे. खेती मा सब निसर्ग क् कृपा पर रव्हसे. आपलो काम सिर्फ कर्म करन् को से. बाकी फल देनो ऊपर वालो क् हात मा से. 

तातोबा - होजी, तसो त् सेच. अच्छा मी चलुसू. राम राम जी. 

राघोबा - राम राम जी. 

                     - चिरंजीव बिसेन 
                                  गोंदिया

संवाद D.P.Rahangdale 001


(रंगू आपल लहानस टूरा ला धरशान किरतन मा गई)

टूरा:- माय माय मोला पेसाब लगी
रंगू :- एतर लोक मा तसो नही कवन बेटा.
टूरा:- मंग का कहू त
रंगू :- माय गाना गावूका कवन . मंग मी समज जावून,
टूरा :- ठिक से माय ,
(टूरा ला मालूम भयेव,का पेसाब ला गाना कसेती,एक
   घन वू मामाक गाव गयोव ना मामाजवळच सोयव
    रातक १० बजे )
टूरा :- मामा मामा गाना गावू ,
मामा:- भाशा ऊगो रव ,यंधाका कोणी गाना गावयेती,
टूरा :- मोठी तलफ आयी मामा रयशान नही होय,
माना:- गाना गावसेस त गाव भाशा , पर मोर कानमाच
           गाव,
टूरा :- मामा जरा कान त मोर जवर कर, मी धिरूलकाच
        गाना गावूसू , तब ०००००००००००

डी पी राहांगडाले 
    गोंदिया,

धान की बिजायी Dr.Hargovind Chikhlu Tembhare 001


धान की बीजायी 

गणू :- आवो आवो राम राम जी 

मनू:  भाऊ जय राम जी की भाऊl

गणू: कितन लक आयत जी भाऊ बहुत दिवस मा पाय वाकडा भया आमरो गांव कन l

मनू: अं.. बटा बीजयी लाईक फिर रयी सेव जी भाऊ l

गणू: काहे तजी ऐन साल बीजाई को धान नही ठेयात ?

मनू: ठेयव होतो भाऊ आता का सांगू मोरी अक्कल काम नही कर रही से l

गणू: पयले चाय पीवबिन मग गोष्टी, बाई कूरसी आन मोठ्या गण हव बाबूजी, चाय ठेवजो दुय कप?

बेटी: बसो मामाजी मी पटकन चाय आनुसू l

मनू: बाई को बिया जमेव काही खबर बतीम आयीती का?

गणू: सामने को साल देकबिन जी भाऊ, खबर रहे त संगो जी टूरा की बाई अउंदा तेरावी मा सिक रयी से आमरयांन बाई l

मनू : होजी एक मोरो नजर मा टूरा से जी टूरा बाका से कमाई वालो से l

गणू: होका जी भाऊ दिवारी कन संगो देकबिन तसो बिया निपटाय देबिन आंमऱ्यान बाई ला त तुमी ना देक लेयात आता l

बेटी: थोडी शरमायी न आयी चाय धरो मामाजी,बाबूजी चाय l

मनू: एक हजार दस की से बीजायी चले का भाऊ रब्बी की आय पयलो करास की l

गणू: बाका होये जी जरा कमी पाणी की जमीन से हलको कम दिवस को धान लगाउंन कसू जी l

मनू: दिवारी को जवर जवर कट जाये धान जी जमे, केतरोक होना त जी l

गणू: पाचक कुडो की खार से कमी जास्ती ला सयक कुडो देय देवो जी भाऊ l

मनू: होजी..आपरो कास्तकार जवर होना,मी का कसू वोन बात पर ध्यान ठेवण जी भाऊ l

गणू: होजी आपरी घर की बात आय आमी नही त कोन जोडे बिया मी सांगुण l

मनू: बाई पोथंडी आन भला,कुडो बी  आन्नजो पटंग पर रहे l

बेटी: यव धरो बाबूजी,मांडव.. l

गणू : धरो जी भाऊ सय कुडो धान होय जायेत l

मनू: होजी तुमरो बहुत बहुत धन्यवाद जी भाऊ आता जासु बसो आता तुमी राम राम जी l

गणू: जय राम जी की भाऊ...पर ध्यान वोन बात पर ठेवॊ जी..l
***********************
प्रा.डाँ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो. दासगांव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४

दिवस बदल्या Y.C. Chaudhary 001


          

(सखाराम ना तुकाराम आपसमा बोलसेत)
सखाराम-आता देखो भाऊ कसा कमी खर्च मा बिह्या होसेती.

तुकाराम-बरोबर कहेस भाऊ देखावा होतो .आम्ही काही कमी नाहजन. सब काँपीटेसनमा बिह्या करत.

सखाराम- खरीच कयात ,सामुदायीक बिह्या करो मुहुन समाजका पुढारी सागत होता .पर कोनिकी टोपी कोनिक डोस्कामा आवत नोहोती.

तुकाराम-आता कसा कमी लोक आवसेत कोनीच नाराज नही होत.

सखाराम-मोरी तीन बिह्यामा हालत खराब भय गयी भाऊ .कर्ज बाजारी भय गयो.बिह्या करता करता दुय एकर जमिन चली गयी.आता येंदा कसा लोक बिह्या कमी खर्चमा करसेती .

तुकाराम-समय समयकी बात रव्हसे सखाराम भाऊ.असा दिवस रह्यात सबकिच आर्थिक प्रगती बढे.आता टुरा- टुरी ईंजिनिअर ना डाँक्टर होसेती.
काही दिवसमा कलेक्टर होयती समया बदलतो रव्हसे .समयक संग संग चलो.

सखाराम-होना पुढभी अशीच प्रथा रहेत ठिक से .नहित घाव पलेव ना बैध विसरेव अस़ोच होय.

तुकाराम-मी भी आपलं नातीनको बिह्या असोच कमी खर्चमा करु ना बच्या पैसा जवाईला देय देवू .

सखाराम-खरी कयात आमरं समाजमा सामुहिक बिह्या होय नही सकत, ना लोक बिह्या सामुहिक कर नही सकत. आता हे चांगला दिवस आया सेती.
ना डिजे ना घोड़ा,ना नाचनो कुदनो।
टाईमपर लगिन लगसे,बदलं गयो जमानो।।

तुकाराम-आता असोच योव लाँकडाउन रहे पाहिजे असो मोला लगसे.

सखाराम-हो ना मोलाभी तसोच लगसे .चल मोरंसग आब अकरा बजेको बिह्या से.
तुकाराम- चलो.
(दुई जन जासेती)

वाय सी चौधरी
गोंदिया

बटवारा Dhanraj bhagat 001



 _(पिता /बाबूजी  :- रामकिशन, मोठो बेटा :- विवेक, मंजलो बेटा :- प्रेम, लहान बेटा :- विनोद सरपंच :- नरेशजी गौतम)_ 

 विवेक :- "बाबूजी ! पंचायत जमा भयी, सरपंच साहेब आय गया, आता तरी हिस्सा बटवारा कर् देवो।"
 सरपंच :- "काहे , रामकिशन भाऊ जब् एक मा रहेके निभनो संभव नाहाय त् औलाद ला बेगरा कर् देव । बेगरचार ( विभक्त) करनोच् ठीक रहे , रोज - रोज को खट - फ़ट ल् दूर?"
 रामकिशन :- ठीक से...!
 सरपंच :-  आता सांगो, रामकिशन भाऊ, तुम्ही कोनतो बेटा जवर रव्हो?
 विवेक :- अरे, एकोमा पुछन की का बात  से? बाबूजी /पिताजी,च्यार महीना मोरो जवर रहेत, च्यार महीना  
प्रेम (मंजलो भाई)जवर ,ना च्यार महीना *विनोद* (लहान भाई) जवर रहेत।
 सरपंच :- चलो, तुम्हरो रव्हन को फैसला त् भय गयेव, आता जमीन जायदाद को भी लगेव हात कर् लेव बटवारा !
 रामकिशन :- चुपचाप सबकी बात आयक कर एकदम चिल्लाय उठ्या..!
" कोनसो फैसला?"
आता मी करू फैसला, तुम्ही  तिनही भाई (औलाद) मोरो घर ल् निकल जाव !!!!
      च्यार महीना को पारी - पारी लक मोरो जवर रव्हो। ना बाकी को महीनाइनको  इंतजाम तुम्ही खुद करो.....!
 मी जायदाद को मालिक आव । 
( तिनही बेटा ना पंचायत रामकिशन जी को फैसला आयक कर(आश्चर्यचकित) तोंड देखत रहे गया,जसी काही नवीन बात भय गई....)
 येला कसेत फैसला/निर्णय
 टिप :- फैसला औलाद न् नही माय - बाप न् करे पाहिजे ।
धनराज भगत 
आमगांव
15/06/2020

पोवारी सत्याग्रह chhaya pardhi 001


सखू: आवणा रखु बाई बसो ना.

रखू: कसो चल रही से तूमरो समूह , जितन उतण पोवारी इतिहास,साहित्य अना उत्कर्ष समूह की चर्चा से.

सखू: तुमला भी मालुम भयेव का त बाई.

रखु: हो ना, आता काहाय त  पोवारी सत्याग्रह  सुरू से कसेत.
मोला त काहीच नहीं समजेव.मी गांधीजी को सत्याग्रह आयके होतो.

सखू: बाई आमी वैनगंगा का पोवार/ पंवार आजण ३६ कुर वाला…..कोण त कवत होता ,आता पोवार को एकच नाव ठेईसेन खरा….

रखु: या बडी चिंता की बात से, अामरी पहचानच बदल गई,

सखू : हो ना, मुनच सब  पोवारी सत्याग्रह कर रह्या सेती. आपलो पूर्वज की पहचान टिके पयिजे मून.

रखु : येव तो मस्तच काम कर रह्या सेती सब न साथ देये पायजे.
तबच त आमरी पहचान रहे समाजमा।

सखू: हो ,हो,सब साथ देये पायिजे.

सौ. छाया सुरेंद्र पारधी

Friday, June 12, 2020

मोहतुर


पोवारी किसानी को आय यव दस्तुर,
खेत जवर हो या दूर सब करसेत
मोहतुर ll

खरी दोरी पेरणी का आता दिवस
नहात दूर,
सब करो आता मोहतुर ll

बईल जोडी संग बंखर जुपो
जरूर,
सब पोवार करसेती मोहतुर को
दस्तुर ll

आज को दिवस धरती माय ला नमावॊ जरूर,
सब मिल कर करो मोहतुर
जरूर ll

मिरुग लग गाय एक पानी पड गयव जरूर,
खारी भरण को पयले मोहतुर
करो जरूर ll

पोवारी खेती को यव मोठो से
दस्तुर,
सब गांवन गांव मा करो मोहतुर ll
*************************
प्रा.डाँ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगांव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४

राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य मा पोवार समाज की आर्थिक स्थिति dhanraj bhagat 001



          भारतवर्ष मा पोवार समाज प्राचीन काल पासून प्रसिद्ध से। येन् समाज मा सम्राट विक्रमादित्य, राजा भृतहरि, राजा भोज सारखा महापुरुष ना महान शासक भया।
          पोवार मूलतः राजवंशी आय।अगर पुरातन इतिहास देखेंव जाय त् वैनगंगा तटिय 36 कुल को पोवारों की आर्थिक स्थिति सम्मानजनक रही से। पोवारों को शरण मा गांव को गरीब जो भी आव् ओकी मदत करनो मा समाज अग्रेसर रव्ह , ब्राम्हण, गोंड ,गोवारी, हल्बी या अन्य मंग बिह्या हो या अन्तिमसंस्कार येन् सब कार्य ला संभालत होता।
          आझादी को पहेले भी जमींदार मालगुजार महाजन ना किसान इ. होता।    तीक्ष्ण बुद्धि,ना दूरदर्शिता को कारण आमरो समाज  गांव को गांव मा छोटा मोटा व्यवसाय साथोसाथ दूध को भी व्यवसाय करत होता। जो  व्यक्ति दूध खरेदी करके जात होता ,त् हिसाब ध्यान मा ठेवन साठी चूलो पर की *काइ* लक टिक् करत होता। 
          आमरो समाज मा *ठलवा* नही को बराबर होता। *धुरकुरी* जरूर रह्या पर *धावक्या* नहीं रह्या, ना कोणी पोवार न भिक मांगिस। 
             कालांतर मा मोठो मोठो किसान की हालत गंभीर होत चली। मालगुजारी, पटेली, ना महाजनी को लोप भएव को बाद काही न् सम्भालीन काहिं नही संभाल सक्या। 
           आर्थिक स्थिति नाजुक होन का कई कारण सेती।नौकर चाकर को अभाव, सरकार को पॉलिसी अंतर्गत 2/-(दूय रूपया) किलो अनाज भी भेटन लगेव।जे पहेले नौकरी करत ,ओय आता  खेती बटई /अधिया (50-50) करण लग्या।
            अज को सध्यास्थिति मा आमरा पोवार भाई न व्यापार, ना सरकारी नौकरी पर अच्छी पकड़ जमाइन सेन। एडुकेशन ला मुख्य आधार बनायकर प्रायवेट सेक्टर मा भी चांगलो स्थान प्राप्त करीन ना आपली आर्थिक स्थिति सुधारनो मा कामयाब भया।
            आता वू समय आय गयेव की प्रत्येक व्यक्ति न् समाजोत्थान साठी काहिना काही योगदान देहे पाहिजे।

        धनराज खुशाल भगत
              "योगक्षेम"
        आमगांव/बाम्हणी
          09/06/2020
         9420517503

उपकार कोणपर करे पायजे hirdilal thakre 001


एक घनघोर जगंल होतो,,,, जगंल मा जगंली जानवर को बसेरा होतो,,,,, जगंल मा पाळीव प्राणी भी चरत होता,,,,, एक कपाट मा शेर शेरनी को बसेरा होतो,,,, उनका लाहान लाहान पिल्लु बी होता,,,,,, एक दिवस शेर शेरनी शिकार को खोज मा बहुत दुर निकल गया होता,,,,,, वापस आवन ला चार पाँच दिवस लग गया,,,, ,इत पिल्लु की हालत बहुत ही नाजुक भयगयी होती,,,,, येव सब द्रुश्य देखत होती एक सेरी,,,, वोन् सेरी ला शेरनी को पिल्लु की बहुत ही दया आय गयी,,,,, वा सेरी वोन शेर शेरनी को पिल्लु ला रोज आपलो दूध पीवावन लगी,,,,,, चार पाँच दिन मा उनकी हालत बहुत ही सुधर गयी,,,,, खेलन कुदन लग्या, मानो जसी उनला नवी जिन्दगानी मील गयी,,,,,,
          शेर शेरनी जब वापस आपलो कपाट मा आया,,,,, उनला कपाट मा सेरी दीसी,,,,,, सेरी ला कपाट मा देख शेर शेरनी बहुत ही खुश भया,,,,,, आपलोला अज आयतीच शिकार मील गयी,,,,,, शेर वोन सेरी पर झपटने च वालो होतो की पिल्लु सामने आया,,,,,, तुमरो गैरहाजरी मा येन सेरी न आमला दुध पीवायके आमरी जाँन बचावने वाली माता आय,,,,,,, पिल्लु का शब्द आयक कर शेर शेरनी को डोरा मा अश्रुधारा बहन लग्या,,,,,, सेरी न आमरो पिल्लु ला दूध पीवाय कर आमरो परिवार पर बहुत ही मोठो उपकार करीस,,,,,, शेर शेरनी न वोन सेरी ला निर्भय होय कर रव्हन को आश्वासन देयकर पक्की दोस्ती भयगयी,,,,,
           शेर शेरनी व सेरी सगं सगं मा फीरत होता,,,,,, कभी कभी त शेर को पाठपर उभी होयकर सेरी उच्चो उच्चो झाड का पाना खात होती,,,,, येव द्रुषय देखकर एक कबुतर ला बडो मोठो आश्चर्य लगेव,,,,, कबुतर न सेरी ला शेरनी व शेर सगं दोस्ती को कारण खबर लेईस,,,,, सेरी न कबुतर ला पुरो व्रुतांत सागींस,,,,, एक दिवस उदिंर का पिल्लु दलदल मा फस्या होता,,,,,, उनला वोन दलदल लक बाहेर निकलता आवत नोहोतो,,,,,,, कबुतर को ध्यान मा आयेव की येन नाजुक परिस्थिति मा इनकी मदत करे पायजे,,,,,,, कबुतर न उदंरा को पिल्लु ला बडो आराम लक बाहेर निकालीस,,,,,, उदंरा को पिल्लु ला बहुत ठंड लगी होती,,,,,, कबुतर न आपलो पंख को अदंर ठेयकर गर्मावत होती,,,,,,,, काही समय बाद उदंरा को पिल्लु ला सुरक्षित जागापर लीजान साती कबूतर न भरारी मारन को प्रयास करीस,,,,, कबुतर ला भरारी मारताच आवत नोहोतो,,,,,,,, कबुतर न आपलो पंख ला देखीस त पिल्लु न कबुतर का पंखच कतर टाकीन,,,,,, कबूतर ला बडो दुखः भयेव आघात भयेव,,,,, कबुतर कसोतरी वोन सेरी वरी पहुचकर आपली दुखःभरी काहानी सागींस,,,,,,, उपकार त तु बी करेस उपकार मी बी करेव पर मोरो सगंमा येव अत्याचार कसो भयेव??
          सेरी न कबुतर ला बडो महत्वपूर्ण मार्गदर्शन करीस,,,,,, कभी भी उपकार शेरदिल इंसान पर करो, उदिंरदिल इंसान पर नही,,,,,, शेरदिल इंसान कभी कोणीकोच ऊपकार भुलत नही हमेशा याद ठेवसेत,,,,,, शेरदिल इंसान हमेशा निस्वार्थ भाव लक रव्हसे,,,,,,, उदिंरदिल इंसान कभी भी कोणीको उपकार याद नही ठेव,,,,,, स्वार्थी इंसान हमेशा उदिंरदिल रव्हसेत आपलो मतलब साती जिवन जगसेत ,,,,,,,,अज येन कहानी लक समज मा आयेव की निस्वार्थी इंसान हमेशा दर्यादिल शेरदिल रव्हसेत,,,,,, मोरो लीखनो मा समजावनो मा काही गलती भयगयी रहे त मोला लाहान भाई समजकर माफ करो जी याच मोरी नतमस्तक विनंती से जय राजा भोज जय माहामाया गडकालीका,,,,, 

                    !!! लेखक!!! 
          श्री हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे 
पोवार समाज एकता मंच परिवार पुर्व नागपुर 

आमरो पोवार समाज की संस्कृती kalyani patle 001


     आमरो पोवार समाज की संस्कृती सब समाज लक अलग से.पोवार की चलीरिती, संस्कृती, परंपरा हर भाग मा पोवार समाज को अलगच अंदाज से.पोवारी संस्कृती मा अापरो लक नहान रहो का मोठो हर कोनी को मान सम्मान करीयो जासे. आपरो सुसरो, भासरो इनको सामने सेव डाकनो, उनको आदर करनो असी आपरो पोवार की संस्कृती से.
     परंपरागत तरीका लक हर त्योहार मनायो जासे.पोवारी समाज मा पहिले पासुनच बिह्या का नेंग-दस्तुर सब समाज लक हटके सेती. सबदुन पहिले टुरा- टुरी इनला दुुई पक्ष का मोठा मानवाईक देखन ला जासेती मंग दुई पक्ष ला रिश्ता मंजुर रहयो त कुकू लगावनी/देठ खानी/फलदान होसे. बादमा दुई पक्ष का मोठा मानवाईक बसकर बिया की तारीक पक्की करसेती. बिया मा १२ डेरी को मांडो, जामुन की डगाल अन मोवई को झाड की लगुनडेर को बडो महत्व रवसे.
         हरद को दिवस नवरदेव/नवरी ला हरद लगावन को पहिले मातामाय ला हरद  चढावसेती. बिजोरो की बारात अावसे. बारात वापस गयो पर नवरदेव/नवरी ला काकन बांध्यो जासे, हर नेंग-दस्तुर का गाना गावसेती. काही आयी-माई माती खंदन जासेती न टोपली मा माती आन सेती. अहेर होसेत,नवरदेव/नवरीला हरद लगसे मंग उनको अांगपाय धोवायो जासे अन मंग नवरदेव/नवरला सजायो जासे। नवरदेव की बरात नीकल्यो पर धुर धराई होसे अन बरात रवाना होसे. नवरदेव की बरात नवरी को घर जायो पर भी बहुत सा दस्तुर होसेत. असा बहुत दस्तुर आपरो पोवारी संस्कृती मा होसेत. पहिले आपरो पोवार मा खासर की बरात जाती. बियाच नहीं त खेती किसानी भी परंपरागत तरीका लक करियो जासे.
        आपरो समाज का लोक साहित्य, कलामा भी निपुन सेती. पड्यार पासुन दोरी बनायके डिजाइनदार खाट बिननो, परसा की छाल को बरू लक चराट बनावनो, बेरू को कमची लक टट्टा बनावनो असी बहुत सारी कला आपरो समाज को लोकइनमा पारंगत से. डंड्यार खेलनो, डरामा करनो, कुटनो घनी गाना गावनो, परा लगावाने घनी, धान काटनो घनी गाना गावनो असो भी  कलाइनमा आपरी संस्कृती निपुन से.
        तसोच आपरा पोवारी का त्योहार भी अलगच रव सेती. अखाड़ीला बुल्या भज्या बनावन को रिवाज से. पहीलो सनला आपली कुलदेवी माता-माय जवर पूजा कर सेती.
       तसोच कानोबा, पोरा, नवरात्री मा नऊ दिवस बाडी की पुजा करनकी प्रथा से. आपरो समाजमा हर त्योहार मनावन को एक अलगच अंदाज से. आपरो समाज मा हर सन त्योहार मा सुवारी, सुकुडा अन बड़ा को भाजी को जादा महत्व से.असी से आपरी पोवारी संस्कृति.

     कु. कल्याणी पटले
       दिघोरी, नागपुर

कला y.c. Chaudhari 001


      आम्हरो पोवार समाज बहचते क्षेत्रमा प्रगतीसील से खेती, करनकी कला बागायत खेती करनकी कला ,येकमाभी प्रगती कर रही से.
राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराजको लिखेव भजन से"एकतरी अंगी असु दे कला नाहितर काय फुका जन्माला""
जीवन जगनसाठी एकतरी कला आपलमा रहे पाहिजे ओनं कलाकं माध्यमलं आपली प्रगती कर सकसेजन. असा बहुत कलावंत आपलं समाजमा सेती.आपलो ना आपलं समाजको नाव चमकावसेती.
घोडा पलनो ,घोड़ाला नाच शिकावनो, घोडा नचावनो. बिह्यामा नचावनकी कला, या कला आर्थिक स्थिती बड़ावसे .
       आम्हरो समाज खेतीको काम बहुसंख्यामा करसे मुहुन गाय ,बैल, भस, सेरी पालसे .
  खेतीला जोड़धंदा होसे.याबात आपलं समाज मा दिससे.
        आपलो समाजका पट प्रेमी शकर पट बंद होय पासुन बैल पालनो कमी करदेईन .नहित आमरचं समाजकी जोड़ी पटमा जास्त दिसत .
सब क्षेत्रमाआपलो समाज दिससे
जब आमरो समाज मनमा ठान लेसे वा बात पुर्ण करकन देखावसे. 
बौद्धिक क्षमतामा कमी नाहाय .आम्हरं गोंदिया शहरमा हरेक चौकमा आम्हरं समाजकं डाँक्टरका बोर्ड लग्या दिससेती.
या चांगली बात से.
       आम्हरं झाड़ीपट्टीमा संक्रात, दिवाळी होयपर संगीत नाटक होसेती. उनला संगीतदेन साठी गायक, तालरक्षक, स्वरसक्षक कलावंत आम्हरं समाजका नवयुवक सेती.
संगीत नाटकमा काम करनेवाला
कलाकारही सेती मा. शेखर पटले प्रसिद्ध अष्टपैलु कलाकार से. ओन एक मराठी सिनिमाभी तयार करीसेस "लाल चुडा"
नावको .आपलं समाजमा सुंदरता से.संधी मिळेतं सिनेमा क्षेत्रमा प्रगती कर सकसे.
   ...कलावंत समाज आपलं कलाकं माध्येमलं आपलो ना आपलं समाजको नाव चमकाय सकसे.
असो बहुतेक क्षेत्रमा आम्हरो समाज कलावान,प्रगतीशील से.
माता गडकालीकी क्रपा बरसती रहे, योव समाज प्रगती करत रहे!

जय राजा भोज ,जय पोवार समाज. 

वाय सी चौधरी
गोंदिया
न्यु गजानन काँलोनी
गोंदिया

आत्मविस्मृति munnalal rahangdale 001


                समाज संगठण क् द्वारा समाज को सर्वंकष विकास होन साठी कोशिश होय रही से. समाज बंधु खुटी उपाळ करन क बजाय सकारात्मक साथ देनो जरूरी नही त अती आवश्यक से.  
             आमरो इतिहास पराजय को इतिहास  नोहोय, सतत संघर्ष को इतिहास  आय.  पर,समाज जब-जब आपली गौरवशाली परंपरा भूल जासे, ओको विस्मरण होसे,तब-तब आपल समाज मा विद्यमान रव्हनेवाली, विद्या,कला, संगीत,  संस्कृती भुल जासे, तब-तब  समाज की अधोगती ,अवनती,  होसे. 
          ओको परिणाम   आमरो समाज अज भी सब बातमा मंग से, आमरो समाज अज भी,व्यक्तीगत  विकास का क्षेत्र सोडशारी क्षण भंगुर विकास क् मंग धाय रही से, जसो- राजकारण. जबवरी 20% राज कारण व 80% समाज कारण नही करत, तबवरी समाज को विकास नही होय सक.
           आमरो समाज समूह मा रव्ह से,पर संगठीत नाहाय.आमर समाज मा श्रेष्ठ धार्मिक अधिष्ठान, दिव्य संस्कृती, सुपीक जमीन,भगवान राम,भगवान श्रीकृष्ण, शिवाजी महाराज,  राजा भोज सारखा महान आदर्श राजा रयशारी भी भीरूता को भाव, साहस को अभाव, दुसरोको   तोंड देखनकी भावना, पनप रही से.समाज को विकास करन को रहे त्,  समाज की आत्मा जगावनो पड़े. इसतो (अग्नी) परा पडी राखड,आरसा पर पडी धुल गंदगी की सफायी करन की आवश्यकता हे.
                आत्म सम्मान, अस्तित्व की जाणीव करण साठी स्वामी विवेकानंद जी एक कहाणी हमेशा सांगत. 
          एक धनगर ला जंगल मा मेंढी चरावता चरावता सिंह को लहानसो बच्चा  भेटेव,दुय चार दिवस मेंढी लका दुर ठेयीस.ना मग  मेंढी क् करप मा सोड देयीस.सिंह को बच्चा    करप क् संग ,बसनो उठनो,जंगल मा चरण ला  जाय,मेंढी सारखो आवाज करत होतो.
        एक दिवस,  जंगल मा मेंढी चरत होती, सिंह आयेव, दुय मेंढी ला उठाय कर लिजात होतो,ओतमा ओकी नजर, सिंह क् पिल्ला पर पड़ी.ओक मनमा आयेव, यव सिंह को पिल्ला, मेंढी क् करप मा मेंढी क् संग  कायला खाल्या मान टाकशारी कसो चलसे. ?
  सिंह न् मेंढी ला सोडीस, सिंह क  बच्चा ला धरीस. सिंह न् खबर लेयीस "अरे तु कोण आस? सिंह को बच्चा घबराय गयेव, त् त्,फ् फ् करन लगेव,.सिंह न ओला तरा(जलाशय) जवळ लिजाइस,ओको चेहरा पानी मा देखाइस,"देख  तू सिंह आस? मेंढी कायला बन सेस?छाती तान,मान उची कर,व जोर लका गरज, "
           सिंह क बच्चा क ध्यान मा आयेव ,मी भी सिंह आव. आत्मग्लानी की भावना मर गयी, वीरत्व,पौरूष जागेव,  मी भी जंगल को राजा आव.
            तशीच परिस्थिती आमर समाज की भय गयी से.आम्ही अमृत का टुरा आजन,आम्ही राजा भोज का वंशज आजन, आमर मा मार्गदर्शन की ताकत से. येव भाव जगे पायजे.
                  समाज संगठण समाज मा जागृती निर्माण करन साठी,समाज मा आत्मगौरव ,आत्मसन्मान, की भावना निर्माण करण साठी,आत्मविस्मृति नष्ट करण साठी,  प्रयास रत , कटीबद्ध सेती. परिणाम सकारात्मक आय रह्या सेती 

           प्रा.मुन्ना रहांगडाले 
133, ओंकार नगर मानेवाडा रिंग रोड नागपूर

Sunday, June 7, 2020

निलकंठ महादेव dr. Hargovind tembhre 13


      🌻भोले बाबा🌻

कैलाश का सेव तुमि निवासी,
बन ग्यात सबका स्वामी ll

तिनलोक का तुमि स्वामी,
सब देवन मा सेव दानी ll

गरो मा सर्प की माला न्यारी,
धारया सेव जटा मा गंगा प्यारी ll

डम डम डमरू बजाये भंडारी,
कर सेजी मोरो भोला नंदी की सवारी ll

मोरो भोला से महेश,
पूजा करो तुमला भेटे यस ll

बेल फूल चंदन की भेट चढाओ ,
दूर कर देये विपदा मोरो भोला की शरण आवो ll

कण कण मा से भोला समायव,
शिवअमृत वाणी को करो गायन ll

ओम नमः शिवाय को जाप करो,
दुख दर्द सब दूर करो ll

बाबा भरफनी का दर्शन सेत अनमोल,
जीवन को आय अमृत घोल ll

सच्चो मन लक जो भक्त पुकारे,
भोले बाबा नैया पार लगये ll

 हर हर महादेव को नारा गावो,
महादेव की अलख जगावो ll
**********************
प्रा.डॉ. हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४

निलकंठ महादेव chhaya pardhi 13


ऋषी दुर्वासा शिवदर्शनला शिष्यसंग भया प्रस्थान
रस्तामा दूर्वासाला इंद्रदेव भेट्या ऐरावतपर सवार

पारिजातक की दिव्य फुलमार इंद्रला देइन उपहार
फुल मामूली समजके इंद्रन ठेईस ऐरावत परा मार

ऋषी दूर्वासा भया क्रुद्ध अना देईन इंद्रदेवला श्राप
ऐश्वर्य, लक्ष्मी गई सोडके ऋषि अपमान को पाप

अहंकार नष्ट भयेव इन्द्र को ऐश्वर्य भयेव तार तार
इन्द्र पस्तायेव करिस दुर्वासा ला विनती बार बार

सागर मंथन करेपर ऐश्वर्य प्राप्त होये सब एकसात
देव,दानव करीन मंथन एकको बसकी नोहती बात

मंदार पर्वत बनेव घोटनि, चराट वासुकी नाग
पाठपर धरीन मंदारला स्वयम विष्णु भगवान

समुद्र मंथन सुरु भयेव देवदानव लगावसेत बल
रत्न चवदा निकल्या,रत्न पहलो विष हलाहल

देव दानव घबराया कोनी नहीं तयार विष पिवन
तबं आया उमा महादेव सबको बचावन जीवन

विषको प्याला उतरेव गरोमा भडकी अंगार ज्वाला
देव दानव अचंबित गरोला उमाको हात की माला

कंठ मा जम गयेव विष हलाहल निली भई काया
नीलो रंगको भयेव कंठ नीलकंठ महादेव की माया

✍️ सौ.छाया सुरेंद्र पारधी.

निलकंठ महादेव D. P. Rahangdale 13


देव ना दानव मा पहेले भई लळाई मनमानी  ।
निलकंठ महादेव की अजबगजब से कहानी ।।

दूही करका सैनिक मारेगया नूकसान भयेव भारी ।
संधी करीन दूही जनन करीन सागर मंथन की तयारी ।।

मंदराचल की रई बनाईन वासूकी सरप को नाळा ।
विषणू भगवान कासव बनेव चलेव वाहां घूसाळा ।।

सागर मंथनमा निकलेव हलाहल जहेर मोठो भारी ।
देखशानी हलाहल जहेर ला हिंमतच सबकी हारी ।।

तब सब देखनबशा महदेवकर बिनती करसेती भारी ।
तूमरबिना कोणी नाहाय आता  देवईनको हितकारी ।।

पियीस हलाहल महादेव न ओक गरोमा अटक गयो ।
ओन जहर लकाच महादेव को गरो निळो भयेव  ।।

ओनच निलकंठ महादेव की मानता करे दूनियासारी ।
महिमा ओकी निराली से पूजा करसेती नरनारी  ।।
                         ××××××××
डी पी राहांगडाले
      गोंदिया
9021896540

निलकंठ महादेव vandana katre 13


ऋषी शाप लक गयव इंद्र को राज
दैत्य भया खुस ,करीन आपलो साज
चिंता मग्न देवता न करीस बिनती
विष्णु को हातमा आता होती गिनती ।।1

समुद्र मंथन कि कल्पना भयी उजागर
मंद्रचल कि मथनी न वासुकी को दोर
क्षीरसागर मा होता चौदा रत्न को भंडार
दैत्य न दानव करन बस्या दिल मा चिंतन ।।2


सबसे पयले निकल्यव हलाहल रत्न
देव दानव मा मचेव मंग कोलाहल
हलाहल को आग मा भया लाई लाई
कैलास पर गया सब बिनती करन लायी ।।3

शिवशंकर न करिस भक्त कि चिंता दूर
उनको सुक साती पिवन बसेव जहर
गटागटाकरिस विष को जहर प्रासन
कंठ भयव निरो नहि करिस अनसन ।।4

शंकर भया आता नीलकंठ महादेव
तिन लोक मा महान नहि दुसरो देव
ओम नमः शिवाय जाप को से मंत्र
दूर करसे महादेव बिगड्या सप्पा तंत्र ।।5

वंदना कटरे "राम-कमल"
गोंदिया
०७/०६/२०२०

निलकंठ महादेव kalyani patle 13


            भोला भंडारी

कसेत जेला भोला भंडारी,
वोकी महिमा सबलक न्यारी।

निलकंठ नाव पड़यो तोरो
कालकुठ विष होतो प्यारो।

शृष्टी पर आयी जब विपदा भारी,
विष पिवनारो तुच जटाधारी।

गंगा ला देयोस जटा मा स्थान,
हिमालय पर्वत को बढायोस मान।

हर संकटला टारने वालो,
कामारी पड़यो नाव तोरो।

नंदी की से तोरी सवारी,
काल को भी काल सेस तु भारी।

अनेक नाव लक सेस तु अलंकृत,
परमपिता परमेश्वर सेस तु जग मा विस्तृत।

घोर तपस्या लक तोला जगाईन,
त्रिकालदर्शी नाव देईन।

तपस्या करती जब भी तोरी,
प्रसन्न होयके वरदान देत होतोस तु मोठो-मोठो।

असो होतोस तु भोला भंडारी,
तोरी महिमा सबलक न्यारी।

      कु. कल्याणी पटले
       दिघोरी, नागपुर

निलकंठ महादेव pankaj jugnu 13

              
ओ! कैलाश वासी नीलकंठ महादेव 
सब देव‌ मा तू  सेस सबले मोठो देव 

सुरपति भयो, दुर्वासा को कोप भाजन      
सप्पा  वैभव,लक्ष्मी वोला सोडके गईन    
समुद्र  मंथन  ले  होये  धन  की  पूर्ति 
इन्द्र अना बलि साथी संग भिड़  गईन ।। 

भयी  तैयारी  तबा समुद्र  मंथन  की  
कासव  रुप  धरयो   विष्नु भगवान
पाठा मा धरकर  मंदराचल गिरी ला
देवता को  हित  कर ,बढा़यो  मान ।।

कासव  को  पाठ  मंदराचल धरकर 
वासुकी  नाग ला  घुसरन  बनाइन
चौदा  रतन  ,धनवंतरी अना लक्ष्मी
समुद्र ले मथके  ,तबा बाहर आइन  ।। 

अमृत को पयले हिट्यो भारी हलाहल   
वोको  प्रभाव  ले अंधेला  भय  गयो 
हिम्मत कोई मा नई, हलाहल धरन की  
देवता इन को समूह कैलाश मा गयो ।।

तबा  जगती  को  जीवन रकसा  खातिर 
गरो मा समाय  लईस हलाहल  ला देव 
कंठ भयो नीलो  हलाहल को  प्रभाव‌  ले 
तबले शिवको नाम पड़्यो नीलकंठ महादेव ।।

ओ!  कैलाश  वासी  नीलकंठ महादेव 
सब  देव‌ मा  तू  सेस  सबले मोठो  देव ।। 

रचनाकार - पंकज टेम्भरे 'जुगनू'
  परसवाड़ा , बालाघाट

निलकंठ महादेव y.c. Chaudhari 13

                 मंथन

यन शिव शंकरला कोनी कसेती भोला।
ॐ नमःशिवाय, मंत्र से तरनला।।घु।।

         रई मंदार की बनी
        दोरी सरप की तनी
जहर प्राषन क बारी, विनती कैलासपतिला।।१।।

         भयोव समुद्र मंथन
         निकलेव जहर भारी।
पियीस महादेवन, निलकंठ नाव येला।।२।।

       शिरपर बहसे गंगा
       रव्हसे पियेके भंगा।
अलमस्त बैल वालो,गणेश क पिताला।।३।।


     रत्न हे मंथन माका
     सबक सेती हे कामका  
अमरूत यव देवईनला,सुरा या राक्षसला।।४।।

      मंथन  करो समाज को
      उच्च विचार प्रगती को
होये विकास सबको,विष्व विजय करनला।।५।।

वाय सी चौधरी
गोंदिया

निलकंठ महादेव dr sekhram yelekar 13


निलकंठ महादेवा नमुसु मी तोला
पारबती को साथी जय शिवभोला

करुसु मी देवा आब् आराधरा तोरी
पृथ्वी पर आव देवा कर नंदी सवारी

कंदर रह्या  यहान  सब भक्त तोरा
संकट आयेव भारी घबराइ से धरा

कोरोनाक् कारण धुम मचीसे भारी
घरक् बाहेर जानकी नही उजागरी

तुनच पियेस देवा जहरको प्याला
आस पुरी कर देवा जय शिवभोला

खोल तोरा डोरा सुन त्रिशुल धारी
मिटाय देना देवा कोरोना  बिमारी

संहारकर्ता शिव तोरी महिमा न्यारी
कायी त् कर देवा हटाव या बिमारी

येंज्यान भक्त तोरा लिला देखेत तोरी
धाव धाव महादेवा त्रिशुल सर्प धारी
******
डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर ७/६/२०२० मो ९४२३०५४१६०

निलकंठ महादेव chiranjiv bisen 13


कैलास निवासी शिव से भोला भंडारी, 
करसे हमेशा नंदी की सवारी. 
कार्तिकेय अना गणेश को आय पिता, 
संग सदा रव्हसे पत्नी पारबती माता. 

महादेव से अवढर दानी, 
त्रिशूल धारी महा पराक्रमी. 
गरो मा रव्हसे नाग की माला, 
पहन से हमेशा मृगछाला. 

मस्तक पर विराजसे चंद्रमा, 
जटा माल् निकलसे माता गंगा. 
हात माको डमरू बजसे डम डम डम, 
शंकरजी करसेत तांडव छम छम छम. 

समुद्र मंथन मा निकल्या चौदा रत्न, 
चांगलो साती सबन् करीन प्रयत्न.
हलाहल विष बी निकल्यो वहा ल्,
सब घबराय गया विष होतो जहाल. 

महादेव न् पिईस वु हलाहल, 
वोक् बदन मा विष ल् भई हलचल. 
महादेव को गरो निलो भय गयो, 
वोक् ल् उनको नाव निलकंठ भयो. 

जहर को असर कम करन साती, 
निलकंठ पक्षी की वहा ल् भई उत्पत्ति. 
मून निलकंठ पक्षी ला मान्यो जासे शुभ, 
दसरा क् दिवस वोको दर्शन से अति शुभ. 

                 रचना - चिरंजीव बिसेन 
                                  गोंदिया
                          दि. ७/६/२०२०

Wednesday, June 3, 2020

ईर्ष्या/ द्वेष : मन पर बोझ, Shri Dhanraj Bhagat 002

ईर्ष्या/ द्वेष : मन पर बोझ
          ३०/४०साल पहेले परिवार का बुजुर्गों द्वारा आपलो नाती नतरुईन ला दंतकथा सांगण को रिवाज होतो।दंतकथा म्हणजे काहाय?
              दंतकथा म्हणजे एक व्यक्ति द्वारा सांगी गई मौखिक कहानी दूसरों न् तीसरो ला परंपरागत पुनरावृत्ति को क्रिया ला दंतकथा कसेत।

          असी आयक़ी गई कहानी /दंतकथा प्रस्तुत कर् रही सेव। 
           एक साधुबाबा/ महात्मा न् आपलो चेलाइनला कहिस की जब् सकारी प्रवचन आयकन आहो त् आवन भारी एक झोर्या /थैला मा चांगला मोठो साइज का आलू पर  नाव लिखकर आनो जिनकी तुम्ही जेतरो लोकहीन घृणा कर् सेव । सहिमा चेला   दुसरो दिवस आलू धरके आया। कोनी पाच ,कोनी न आठ ,दस आदि.
          आता साधुबाबा/ महात्मा जी कहिन की एक हप्ता वरी ये नाव लिख्या आलू खाता - पिता सोता - जागता तुम्ही जहा भी जाव् हमेशा आपलो जवर ठेवो। चेला काही  समझ नही पाया । साधुबाबा /महात्मा जी को कव्हनो का से। परंतु साधुबाबा को आदेश को पालन करनो जरूरी समझिन। दूय - तीन दिवस बाद चेलाइन न् आपस मा शिकायत करनो सुरु कर् देईन। जिनका आलू जास्त होता ओय बहुत परेशान होता। जसो - तसो सात दिवस बिताईन,ना साधुबाबा को शरण मा गया। साधुबाबा न् कहिन की आपापली आलू की  थैली बहार निकाल कर् ठेवो तब चेला शांत भया।
          *साधुबाबा* : तुमला एक हप्ता को अनुभव कसो रहेंव? चेलाँ द्वारा आपबीती ,आलूनकी बदबू की परेशानी, मानसिक त्रास, आदि. सब न् सांगिन तब् सबको बोझ हल्को भयेव।
          *साधुबाबा* : येव अनुभव मी तुमला *शिक्षा*  देन ला करेव होतो।
          जब् एक हप्ता मा तुमला आलू बोझ लगन लग्या तब् सोचों, बिचार करो की जिनकी ईर्ष्या,नफरत कर् सेव उनको केतरो तुमरो मन पर बोझ होत रहे,मन ना दिमाग की कसी हालत होत रहे। या ईर्ष्या तुमरो मन अनावश्यक बोझ पडसे। वोको कारण तुमरो मन मा भी बदबू भर जासे ठीक ओन आलुइन सारखो..... एकोलाइक आपलो मन ला येन् हीन भावना लक बाहर निकाल लेव।
          अगर तुम्ही कोनीला प्यार नही देय सको त् कम से कम नफरत/घृणा/द्वेष नोकों करो, तबच तुमरो मन स्वच्छ, निर्मल ना हल्को बनेव रहे,नहीं त् जीवन भर इनला डुवारता - डुवारता तुमरो मन ना तुमरी मानसिकता दुहि बीमार होय जायेत।

धनराज भगत 
आमगांव/ बाम्हणी
९४२०५१७५०३
०२/०६/२०२०

पोवार समाज की दरियादिली, Shri Hirdilal Thakre 002


      !! पोवारी इतिहास साहित्य एंव उत्कर्ष!! 
                    प्रतियोगिता साती 
           !!! पोवार समाज की दरियादिली!!! 

              स्नेही श्री आदरणीय जी,,, सबला,,, हिरदीलाल ठाकरे को,,, सादर प्रणाम,, जय राजा भोज,,, एक घटना मोला याद आयी,,,, पारडी पुर्व नागपुर मा,,,, भांडेवाडी मा स्नेही श्री आदरणीय घनश्यामजी यादव रव्हसेत,,, उनको परिवार मा,,, एक पत्नी,,, एक टुरा,,, दुय बेटी सेत,,,, सुखी सम्रुध्दि परिवार होतो,,,, एक बेटी को बिह्या भयगयेव,,,,, एक बेटी कुवारी से,,, घनश्यामजी यादव,,, मोल मजुरी करके,,,, आपलो जिवन व्यापण करन् लग्या,,,,, जिन्दगानी को चढाव ऊतार मा,,,, दुखः दर्द को असो प्रसंग आयेव,,,, घनश्यामजी यादव को टुरा,,, चि, संजय घनश्यामजी यादव,,,, बिमारी लक ग्रस्त भयगया,,,,, गरीब मायबाप,,,,, पैसा लगाय लगायकर त्रस्त पुरो परिवार भयगयेव,,,, नागपुर को मैडिकल मेयो हास्पिटल मा भी इलाज चालु होतो,,,, पर काही आराम नही भयेव,,,, प्रायवेट हास्पिटल त अनाब सनाबच टोडं फाडत होता,,,, कोणी हास्पिटल 4 लाख त कोणी 5 लाख असो प्रकरण चालुच होतो,,,,, सब बहुत ही परेशान होता!!
           घनश्यामजी यादव की मुलाकात,,,, आमरो पोवार समाज एकता मंच को कार्यकर्ता सगं भयी,,,,, आपस मा चर्चा करता करता,,,, चर्चा शुरू भयी परिवार की,,,,, घनश्यामजी यादव न आपली दुखःभरी बात अनिलजी ठाकरे जवर सागींस,,,,, अनिलजी ठाकरे न,,, हिरदीलालजी ठाकरे ला सागींस,,,, हिरदीलालजी ठाकरे न,,, येन घटना की पुरी जानकारी,,, स्नेही श्री आदरणीय सुनीलजी बिसेन,,,, अध्यक्ष पोवार समाज एकता मंच,,, इनला सुचित करनो मा आयी,,,, पोवार समाज एकता मंच की साप्ताहिक मीटिंग,,,, हर सोमवार ला होसे,,,, हिरदीलालजी ठाकरे न ,,,,मीटिंग मा उपस्थित सप्पाई कार्यकर्ता को सामने येव प्रस्ताव ठेईन,,,,, मानवसेवा याच ईश्वरसेवा,,,,, येन विषय पर हिरदीलालजी न मार्गदर्शन करीन,,,,, सबकी इच्छाशक्ति प्रगट भयी,,,, घनश्यामजी यादव की मदत करन साती सामने आय !!
            संजय घनश्यामजी यादव अना उनकी पुरी मैडिकल रिपोर्ट,,,, वानाडोगंरी हिगंणा मा,,,, सर्वोच्च डाक्टर ला देखावनो मा आयी,,,,डाँक्टर को सल्ला नुसार,,,,, पेसेंट ला दुय तीन दिवस टेटमेटं देनो मा आयेव,,,, वाहा पोवार समाज एकता मंच का अध्यक्ष स्नेही श्री आदरणीय सुनीलजी बिसेन अना समस्त कार्यकर्ता उपस्थित होता,,,, वाहा को डाँक्टर न भी हात वोर्या कर देइस,,,, तरी पोवार समाज एकता मंच न हार नही मानीस,,,,, अना तुरत हास्पिटल को डायरेक्टर ला जायकर मिल्या,,,,, ऊनको ध्यान मा या बात आयी,,,, जब पोवार समाज सगंटन आपलो जवाबदारी पर,,,,, दुसरो समाज को बच्चा साती आपलो अथक प्रयास करसे,,, मी एक डाँक्टर सेव,,, मोरो भी कर्तव्य बनसे,,,,, येन टुरा साती काही ना काही तरी ऊपाय करे पायजे,,,,,, 
           डाँक्टर न आमला सबला आपलो केबीन मा बुलाईस,,,, तुम्ही जो समाजसेवा करन को बिडा ऊठायात,,,, येला मोरो कोटी कोटी अनंतकोटि सलाम,,,,,जाव तुमरो कल्याण होये,,,,, तुम्ही येन क्षेत्र को आमदार को एक लेटर आन देव,,,, हिरदीलालजी न बिलकुल तुरंत,,,, स्नेही श्री आदरणीय लीलाधरजी पटले अध्यक्ष हिगंणा सगंटन,,,,, स्नेही श्री आदरणीय आदर्शजी पटले ,,,,भारतीय जनता पार्टी युवा अध्यक्ष हिगंणा,,,,, श्री आदरणीय लोकेशजी चव्हाण इनको सगं संपर्क करके,,,,, आमदार, स्नेही श्री आदरणीय समिरजी मेघे को लेटर मिलेव,,,, 
            संजय घनश्यामजी यादव को 4 , 5 ,लाख को आँपरेशन सिर्फ 4000 500 , चार हजार पाँच सौ रु मा भयगयेव,,, पंधरा दिन बाद छुट्टी भयगयी,,,, घनश्यामजी यादव को खुशी को अंत नोहोतो,,,, पोवार समाज एकता मंच की साप्ताहिक मीटिंग,,,, बिडगाव को दुर्गामदिंर मा होती,,,,,, वोन मीटिंग मा बहुसंख्यक कार्यकर्ता अना सदस्य उपस्थित होता,,,,,, घनश्यामजी यादव न,,,, पोवार समाज एकता मंच का अध्यक्ष ,,,,,स्नेही श्री सुनीलजी बिसेन ला मीटिंग मा बोलन की परवाणगी मागीस,,,,, घनश्यामजी यादव को कथन आयककर बस सबको डोरा लक अश्रुधाराच बह रही होती,,,,,,
              घनश्यामजी यादव न पोवार समाज को स्वाभिमान की,,, पोवार समाज को ऊत्थान की,,,, पोवार समाज को दर्यदिल की,,,,,, सरहना करता करता,,,,कहीस मी सिर्फ पोवार समाज को बारा मा आयके होतो,,,,, अज सक्षात आपलो डोरा लक देखेव की,,,,, पोवार समाज सही क्षत्रिय राजाभोज की वशंज आय,,,,,, परम आदरणिय राजाभोज ला अना ऊनको वशंज ला मोरो कोटी कोटी अनंतकोटि सलाम,,,,, स्नेही श्री आदरणीय सुनीलजी बिसेन ,,अध्यक्ष पोवार समाज एकता मंच इनको पुष्पगुच्छ देयकर स्वागत करनो मा आयेव,,,, कुलदेवी माहामाया गडकालीका सबको कल्याण करे!!
           पोवार समाज सगंटन की असीच एकता रहे त मोला लगसे की आपलोच पोवार समाज का अना दुसरो समाज का मोठो लक मोठो संकट भी पलभर मा हल होय सकसेत,,,, परहित की भावना ठेयकर सबको साथ समाज को विकास होय सकसे असो मोला लगसे!! 
               
                      !!! लेखक!!! 
         श्री हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे 
      मु, भजियापार, पो, चिरचाळबांध, 
      ता आमगाँव जिल्हा गोदिया माहाराषट्र 

नियम नही तोडनको randip bisne 002


कोरोना संकटकाल की बात आय.सोनु बांबे मां रवत होतो.रोजीरोटीसाटी सयरमां गयेव होतो.वको मायबाबुजी किसानीलका पोटपानी की व्यवस्था करत होता.
संसार बाको चालु होतो.येतरो मां कोरोना विषाणू कं प्रकोपलका जगभरमा हाहाकार मच गयेव.येको प्रकोप ज्यादा सयरमां होतो.मोबाईल टिवीपरा बांबे मा बडता पेसंट की बातमी झळकत होती तसीतसी सोनु की माय कापत होती.सोनु कं बाबुजीला कवत होती."अवो सोनुला फोन करकन बुलाय लेवो."
   सोनु कं बाबुजी नं सोनुला फोन करीन.सोनु नं बी पयलेच मन बनायलेई होता काऊन का भाजी आनाज बजार भलमार महंगाई मा होतो.
    पर इतन मालुम पडेव का सयलका आवनोवलो ला गाव कं बाहेर ठेवत होता.गाव मां रवन देनसाटी अनुमती नोहोती.असोमा का करबीन तं सोनु कं मामाजी की याद आयी सोनु कं मायला.सोनु को मामाजी राजकीय नेता होतो गाव लेवलपरा.उनला फोन भयेव.
सोनु कं मामाजीनं सांगीन मोरोपरा सोड देवो..जो होये वु देखो जाये.मी पुरी ताकद लगाय देवु.
      सोनुनं काहीबाही व्यवस्था करस्यान वु पहुच तं गयेव गावं पर  गावमां कोनती बात लपं नही.पोलीस पाटील ,आस्या वर्कर, सरपंच इनला मालुम पडेव.पुरी टिम आयी घरं.डायरेक्ट घरं कायला आयेस असा सपाई जन कवन लग्या.
      मंग का भयेव का सोनु की माय घबराय गयी न आंदर कं खोली मां जायकन भाऊला फोन करीस ना घटना सांगीस.गाव जवरच होतो तं वु पटकन पहुच गयेव.
      आयेव परा वनं पोलीस पाटील सरपंच ला सुनवनो चालु कर देईस.
        पोलीस पाटील सरपंच आपपलो घर चल बस्या.सरपंचला रातमाः फोन आयेव पोलीस थानालका.तुमरो गावं मुंबईलका एकजन आई से.वला क्वारंटाईन कर्यात का...?
सरपंच नं सांग देईस घडी घटना.पुलीस आयी अना वनं सोनुला पकडकन तहसील स्थानमां आन टाकीस.
      वंज्या क्वारंटाईनवला मंडली होता.अना इनला पुलिस लोगहीन नं ताकिद बी देईन.
      आसो यो कोरोना प्रकोप तं निमित्त आय.पर ध्यान लेवो.जीवन मां नियम पाळे पाह्यजे.

✍️रणदीप बिसने

भरम mahen patle 002


रात्रि आपलो समाप्ति को कगार परा होती । कारो कूट आसमान मा चान्दनी बी आब फीकी पडन लगी होती । वोतरो मा जंगल को राजा शेर का डोरा खुल्या । राजा न जंगल को किरकिर की आवाज को बीच मा जम्भाई लेइस अन आपलो पुरो शरीर ला सीधो करकर झुंझुरका को बेरा सैर सपाटा करन को मन बनाइस । राजा निकल्यव । फिरता फिरता कब जंगल को बाहर आय गयव पता च नही चल्योव । जनम भयव तब लका , कबी जंगल को बाहर की दुनिया , वोको देखनो मा नही आयी होती । जंगल को बाहर खेती, गाँव माका घर देखकर त् वोला बड़ो अजीब लग्योव । गाँव को बाहर झाड़ी मा लका फिरत च होतो , वोतरो मा सन्नाटा ला चिरके एक नवो च आवाज आयोव । गाँव मा लका कोंबडा आरवनो की आवाज होती ।  वोला आयककर जंगल को राजा शेर चकराय गयोव । वोन जिंदगी मा पयलो च बेरा असो आवाज  आयक़ी होतिस । शेर ला लगयव की का आय न कहाय नही । सबदुन बढ़िया जंगल मा जानो च अच्छो से । शेर न आव देखिस न ताव , जो परानो शुरू करिस त् थाम्बन को नाव च नही लेइस । रस्ता मा एक खेत मा एक गधा चरत होतो । वोकी नजर जंगल को राजा पर पड़ी । वोला लगयव की शेर वोला देखकर पराय रही से । वोला शेर की मजा लेन की सूझी । गधा जंगल को  राजा को मंग धावन लग्योव । गधा ला बड़ी मजा आय रही होती । वोला देखकर शेर पराय रहयव होतो येन बात की खुशी लका गधा अखिन जोर लका शेर को मंग धावन लग्योव । वोतरो मा  जंगल को राजा शेर ला लगयव की कोनि तबी वोको मंग आय रही से । वोन मंग देखिस । त् गधा वोको मंग आय रही से । शेर ला लगयव की वा आवाज येन प्राणी की होती । यव त् नाहंसो प्राणी से अना वु फालतू च पराय रही से । ऐला आज को शिकार बनावनो बेहत्तर से । शेर पट न्यारी वहाच पलट्यव अन जसो गधा पास मा आयोव वोला एकच पंजा मारकर वहाच समाप्त कर देइस । गलतफहमी अन बेअकली  मा गधा की  जान गयी । अगर गधा आपली ताकत  पहचान कर  रव्हतो  त  असो  नही होतो  ।

तात्पर्य : 
बिना कोनीला जाने , बिना पूरी परिस्थिति ला समझे , अंदाज नही लगाए पायजे ।

इंजी. महेन पटले

हिरा chhaya surendra pardhi 002


बोध (प्रेरणा)
लेख

जीवन मा हरेक पल मा आमी काही ना काही काही सिकत रव सेजन.सिकन की प्रक्रिया निरंतर चालू रवसे. आपलो आसपास असी बहुत सी गोष्टी रवसेत जेकोपासून काही ना काही बोध मिलसे.

एक दिवस रस्ता लका जात होती एक माणूस नाली म पडेव होतो.आसपास लोग जमा होता,बात करत होता, की "बटा रोजच दारू पिवसे," ना पडसे.नाली मा पडणे वालो भी आपलोला बोध देसे की मी पियेव ना पडेवं ,तुमि नोको पिओ.

झाड पासून नम्रता सिको ,जब झाड फल लक लद जासे ऊ झुक जासे. तसोच ज्ञानी माणूस नम्रता लक लदेव रवसे.

एक लहानसी माकडी जारवा बनावसे.. जब वरी वोको जारवा नहीं बन तब वरी वा निरंतर जारवा बिनंसे...ओकोपासून बोध मिलसे की आपून भी मेहनत निरंतर करे पाहिजे सफलता जरूर मिले.

✍️सौ. छाया सुरेंद्र पारधी

                             हिरा
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    एक बार की बात आय,ठंडी का दिवस होता मुन राजा न आपलो दरबार बाहर तपन मा लगाइतीस, वोत्तोमाच एक व्यापारी आयेव ना कवन बसेव,की "राजा साहब मोरो जावेड दूय वस्तु सेती एकदम सारखी,एक अनमोल हीरा आय, ना एक कांच को टुकड़ा, दुही मा लक असली हीरा ओरख्यात त अनमोल हीरा तुमरो,,नहीं त तुमला हीरा की कीमत मोला देनो पड़े". राजा बिचार मा पडेव,दरबार मा उपस्थित सब न कोशिश करीन पर कोनी सही सांग नहीं सिख्या,.
तब एक अंधरा बुड़गा बाबाजी दरबार मा आया ,ना हात लगायकर असली हीरा पहचानीस,राजा न जब बिचारिस की हीरा कसकस ओरख्यात , त बाबाजी न सांगिस, जो येत्तो तपन मा भी ठंडो होतो ऊ हीरा आय.जो गरम होतो ऊ कांच.

सीख: कठिन परिस्थिति मा भी माणुस न आपलो आपा नहीं खोए पहिजे .गुनी माणुस हर परिस्थिति को सामना शांतता लक करसे. तबच ऊ हिरा सरखो अनमोल बनसे.

✍️सौ. छाया सुरेन्द्र पारधी

धारासिंग y. C. Chaudhari 002


आमरो समाज कस्तकारी करसे.येकसाठी बैल जोड़ी पाहिजे.आम्हरं अजीला बैलकी चांगली पारख से ,लहान कान,खुर,टाकपुसटी,खोंडकर चढ़तो सिंह सारखो बाधा उ बैल जानोमा तेज रव्हसे असो उनको मत  .मुहुन मुंडीपारकं बैल ब्यापारी जवड़को सिंगरो सुंदर गोरा लेयकन आनीन.घरं एक मोठ सिंगको मुरदंग्या नावको बैल ला जोड़ भयोव.
       अजीला शंकरपट की भारी शौक .नांगर ,बखरला जुपनकं पहले दानपर पल्ला मारनको अशी अजीकी आदत होती.यव नाव चमकाये,असो कवन लग्या
असो योव गोरा खेदामा लखायश्यानी  पटमा खेदा करत होता.कोनतीही जोड़ येन गोराला कापत नोहोती हरपटमा पहिलो दुसरो नंबर आवत होतो मुहुन येकोनाव अजीन धारासिग  ठेईन.
तब पासुन सब लोक धारासिंग मुहून ओड़खन लग्या.
        आम्हरं झाड़ी पट्टीमा सब गाव संक्रात होयपर रात्री नाटक ना दिनमा शंकर पट असा
 मनोरंजन कार्यक्रम होसेती .येकं माध्यमलं
मांगाबारी, भेटभलाई,संगीभाईकी भेट को माध्यम होतो.
साकोली को शंकर ईनामी पट मार्च महिनामा ३ना४को फाईनल होतो .धारासिगला चांगलो जोड़ नोहोतो या बात आय सन १९८३की . खुंडसावरीकं डाँ रनदिवेक होड़ मारनेवाली जोडीसग  फाईनल होतो. एक बाजुला धारा ना दुसरं बाजुला बास बांधश्यानी खेदा करनोमा आयोव .एकटो बैल विजयी भयोव येला देखनला दुय तास पट बंद भयो होतो. ओनं पटला मी गयोव होतो.तब पासुन मालकको नाव चिंधुलाल चौधरी ना गावको डव्वा नाव प्रसिद्ध भयो.कोनतोही पट मा आखरी खेदा होत होतो .
दस सालवरी पटमा विजयश्री प्राप्त करनेवालो .तिन ढाल पचित करनेवालो पटप्रेमीको लाडला १९९३ला मर गयोव .अजीन पटप्रेमीला बुलायकन तेरवी करीन
असो होतो आम्हृरो पटको बैल धारासिंग

शिख--चांगला गुनी जनावरभी
मालीकको,गावको नाव प्रसिद्ध करसेती.

वाय सी चौधरी
गोंदिया
असो होतो आमरो पटको बैल धारासिंग

शील/चरित्र को जीवन मा महत्व munnalal rahangdale 002


          आमरो समाज मा सभी प्रकारका, जसो साहित्यिक, डॉक्टर, समाज कारणी, राजकारणी,कवी, कवयित्री, अभियंता, किरसान, सेती.मनुष्य जीवन जगण साठी शारिरीक शक्ती, बल आवश्यक से.सबमा महत्व को से चरित्र को.पैसा गयेव त्,काही नुकसान नहीं होय,शरीर को नुकसान भयेव त् काही तरी नुकसान होसे,पर चरित्र गयेव,चरित्र खराब भयेव त् हर बातको नुकसान होसे. 
        वैयक्तिक तसोच सामाजिक दृष्टिकोन लका, चरित्र की शुद्धता, समाज वैभव,अना मोठेपण को प्राण आय, असो लगसे. 
         विष्णू-पुराण मा हिरण्यकश्यप व कयाधु को टुरा भक्त प्रल्हाद की कथा से.भक्त प्रल्हाद की की कहाणी, /कथा चरित्र की महानता की कथा आय.भक्त प्रल्हाद आपल भक्ती भाव,भगवान की आराधना, पुण्य कर्म लका,इंद्र  पराजित भयेव. भक्त प्रल्हाद इन्द्र लोक को राजा भयेव. 
             इन्द्र, देवगुरु बृहस्पती क् जवळ गयेव,अन् इंद्र कव्हसे, "गुरुवर, मोरी अवस्था, पानी बिन मसरी सारखी भयी से,अवस्था फारच खराब भयी से.मोला आपलो राज सिंहासन परत भेटन साठी का करनो पड़े, तुम्ही च सांगो."
         बृहस्पती न कहीस " एक साधारण भिकारी को रूप धारण करो, ना प्रल्हाद क् दरबार मा "इच्छादान" क बेरा पर/समय पर जावो. भक्त प्रल्हाद इच्छादान क बेरा पर भिकारी जो मांग से, वोक् मांगणी नुसार दान देसेती. वोन बेरा परा ,प्रल्हाद को शील (चरित्र) मांगो . इन्द्र न तसोच करीस.
        प्रल्हाद न् खबर लेयीस " तुम्ही मोऽर शील लका च समाधानी/संतुष्ट काये सेव ?भिकारी इन्द्र न् कइस "मोर साठी येतोच भरपूर से". प्रल्हाद न् कइस   "ठीक," से. तसीच एक तेजवाली आकृती प्रल्हाद क् शरीर मा लका बाहेर आयी,व भिकारी इन्द्र क् शरीर मा समाय गयी .
             प्रल्हाद न् आकृती ला खबर लेयीस "तुम्ही कोन आव"? मोरो शरीर सोडशारी, भिकारी क शरीर मा प्रवेश कर सेस?  शील न्  उत्तर देयीस " मी तुमरो शील आव.तुम्ही मोरो दान भिकारी ला दान देयात, ओन् कारण साठी, मोला भिकारी क् शरीर मा प्रवेश  करन को से.
        ओक बादमा तेजस्वी, दैदिप्यमान, आकृती बाहेर आयेव. अखीन्  प्रल्हाद न खबर लेईस  " तुम्ही कोन आव? मोर शरीर ला सोडशारी जासेव ? मी तुमरो शौर्य आव. मी शील को नौकर आव.जबवरी तुमर जवळ शील होतो, तबवरी तुमरी सेवा करेव. शील चली गयी से.मी भी ओको मंग मंग जासू. येक वानी च अखीन काही तेजस् आकृती न्, प्रल्हाद क् शरीर को साथ छोड़ देइन.आखरी मा एक दैदीप्यमान तेजवाली स्त्री/बाई की आकृती बाहेर आयी. वोन् कहीस "मी तुमरी राजश्री, धनलक्ष्मी आव्.मी शील की नौकरानी आव्.एक साठी मी शील  क जवळ जासू.
         येको परिणाम स्वरुप, प्रल्हाद की संपूर्ण सत्ता, व वैभव नष्ट भय गयेव.इन्द्र ला ओको राज सिंहासन परत भेटेव.
           समाज कारण करन क् बारी समाज सेवक क् जीवन मा शील (चरित्र) को महत्व से.
बोध शीलवान/चरित्र 
वान ला सबच मान,सन्मान, यश,किर्ती, सपायी भेट से.बिना शील/चरित्र आमरो सपायी नष्ट होय जासे 
         प्रा.मुन्ना रहांगडाले 
133 प्रसारक ओंकार नगर मानेवाडा रिंग रोड नागपूर

कृष्ण अना गोपी

मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...