Thursday, July 30, 2020

पोवार chhaya pardhi

      पोवार

या धरती से अलबेली जहां वैनगंगा की धार
हवा मा गुंजायमान सेती यहा शौर्य का गान।
अग्निवंशीयको शौर्य की गाथा गावसे हर पात
माता गढ़कालिकाको से आशिर्वादको  हात।।

आबूपर यज्ञ करीन मुनिन् प्रगट्या क्षत्रीय पोवार
अग्निकुंड लक प्रगट भया नाव उनको परमार।
शस्त्रधारी क्षत्रिय प्रतापी चमकसे हातमा तलवार
वध करसे दृष्टो को जनजीवन को बनेव आधार।।

उज्जैनी महान विक्रमादित्य भृतहरी लक विख्यात
दसवीं सदीमा बसाइस बैरीसिहन् सुंदर नगरी धार।
मालवामा मूंज भोज न करिन साम्राज्य  विस्तार
भोजशाला बनाइस करिस ज्ञान को प्रचार प्रसार।।

विदर्भपर राज करीन मालवाधिस पोवार सरदार
आया धारलक जगदेव पोवार चालुक्यको दरबार।
विरयोद्धा जगदेव पोवार बन्या चांदा का महाराज
शासनमा उनकी जनता होती बड़ी सुखी खुशाल।।

मालवा पर आक्रमण करीन मुगल न जनता बेहाल
संकट आयेव भारी बिखऱ् गया मालवा का पोवार।
वैनगंगा किनारा पर आया सोड देईन नगरी धार
बंजर भुमी मा खेती करस्यार बन गया  किसान।।

सौ. छाया सुरेंद्र पारधी

पोवारी सत्याग्रह chhaya pardhi

पोवारी सत्याग्रह

आब पोवारी सत्याग्रह करन कि आईं पारी
पवार न पोवार परा चलाईस कुटील कटारी।।

आमला नहीं लगी भनक *पोवारला* पवार करीन
एकताको नावपर पहचान मिटावनकी बाट धरिन।।

आमरो पुरखाईनं कभी पवार नही लिखिन कहीं
उधारीको नाव आमरोपर आबं होय रहीसे हावी।।

उनको कारनामा की सजा भुगत रहीसे पोवारी
जात करीन पवार त कसी रहे तूमरी पोवारी बोली।।

छत्तीस कुल वाला आमी वैनगंगा तटीय निवासी
चलो जागो आता मोरा पोवार भाऊ ना भगिनी।।

साहित्य अना उत्कर्ष की करो मिलके तयारी
भाषा को सृजन अना संवर्धनकी करबीन वारी।।

नवीन साहित्यसृजन की जत्रा भरे मंग यहानी
पोवारी सत्याग्रहला  कलमकी धारदार वाणी।।

उबाल आमरॊ खून मा क्षत्रिय की या ललकारी 
अमर होये पोवार ना अमर आमरी मिठी पोवारी।।
सौ. छाया सुरेंद्र पारधी

शहाणी माय chhaya pardhi

शहाणी माय

राजू : आईं आईं, कोन आय त बुडगी शहानी माय आई से ,बडी सुंदर से देखनला,,, मिठो बोलसे ,,,कोण आय त कजाने….. कनाय रही से….जोर लक

शेवंता : कोन आय त  बेटा…. आऊसु मी,,,,बस कव उणला ,पाणी दे थंडो…

राजू : शहाणी माय बसो, खुरचीपरा ,,,,मोरी आई आवसे आब….

शेवंता : शहाणी माय मी ओरखेव नही  तूमला,,,पर असो लगसे मी तुमला लहानपण पासून ओरखुसू…

शहानी माय : बेटी थोडोसो दम धर,, आपलो दिमाग पर जोर दे…. तुमरा कोनी धारा नगर मा रवत होता का बेटी.??

शेवंता : हो ,,शहाणी माय आमरा पूरखा धारा नगर लक इतन आया होता,,,,,वैनगंगा को किनारो पर. याहानिच खेती बाड़ी करीन ना यहां काच भय गया.

शहाणी माय : बराबर कयेस बेटी…..तुमि छेतीस कुर् का पोवार इतन बस गयात ,,,,,,,अखीन काई याद अावसे का बेटी???

शेवंता : हो शहाणी माय,,,,,, आमरी छेतिस कुर वालो की एक बोलीभाषा से……. पोवारी

शहाणी माय : आता ओरखेस बेटी मी कोण आव त…..

शेवंता : शहाणी माय,,,, ओरखेव आब,,,,,तुमि आमरी पोवारी माय आव….पर तुमरी हालत कसि भई माय…...की ओरखु नहीं आवो... तुमला इलाज की जरुरत से माय….

    (....माय रोवसे……...)

शहाणी माय : हो बेटी,,,,,,आब मोरा टूरू सिक्या पढ्या ...पर आता मोला भुलन बस्या,, उनला शरम लगसे आब बोलनला…मुनआब मरणला टेकी सेव बेटी…..

शेवंता : नोको रोओ शहाणी माय …..आमी बचावबिन तूमला  ,राजू इतन आव बेटा... जाय वय डाक्टर इतिहासकार,,, डाक्टर साहित्यकार,डॉक्टर,,,,,डॉक्टर उत्कर्ष ला बूलाव जल्दी,,, अना उनको संग काका,काकी सबला बुलाव 

शहानी माय  : तोला मोरो आसिर्वाद से बेटी,,,,,

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

Monday, July 27, 2020

कोरोना पर चर्चा sharda chaudhary 03



कोरोना पर चर्चा

  चंदू  :    (नहानी घर मा आंग धोवता-धोवता गाना कय रही से )थंडो थंडो पानीलक आंग धोवनं ला पायजे गाना आवं या नोको आवं गावंन ला पायजे .
 कारंजा  :  कायला बोंबलं  सेस  तं रे लहानस्या? अना कायला ईस्तो मा हात देत रहेस कसू. रोज पोंगा फिरसे तरी माहीत नहाय का?सतगरम पाणी लक आंग धोवनं.
चंदू    :   हट शायनीमाय! आंग धोवंन साती पाणी मा हात टाकनो पडंसे, ईस्तो मा थोडाकच. 
कारंजा  :  आपलीच नोको हकालुस.करुणा का फरूना से तं थंडो चीज पासून बचों असो सरकार कसे खर्रा...
चंदू   : खर्रा नही शायनीमाय. ….खरा कवनं. अना कोरोना कवनं. सांग अणिक का सांगसे सरकार?
कारंजा   :   मोला तोरो सारखी अक्कल नहाय भाऊ,अप्पड सेव .पर लागुट से कसेती.  आमने-सामने रहेलक होसे खरा. मुन तोला कसू बकसा पर वोनं लंबू को सिनेमामा  देखू नोको मुन. 
चंदू   :   तसो नही शायनीमाय, बकसा नही टी व्ही कवनं अना लंबू नही अमिताभ कवनं.  अना तसो नही होय कोरोना.
कारंजा  :  आपलीच टेरी जुपसें,भयेव गियेव का नही तं चिरकत लं पराजो. बुरखा पांघरं सेती मंग ,ना कारो पाणी वानी सजा काटनो पडसें.
चंदू   :   मूनच शायनो हिजराय तोरं पर. बुरखा नही पीपीई किट कसेत वोला. पर गीता बाचेलक फायदा नहाय तोरं सामने. भेजा पर मार से  माय को.
कारंजा  :   का कयेस?मुस्कट मा हाणून. एक बारचं तोरो शायनो  नं ढकलीतीस तं गोटा पर आदळी होती मी.
चंदू: हा हा हा (बाहेर जान साती निकलंसे)
कारंजा  :  कहान जासेस तं मुस्का बांधस्यानी ? 
चंदू : मुस्का नही मास्क कवं सेती येला. गावं मा जासू. घुसेव भेजामा. 
कारंजा :   अना जासेस गावला घनचक्कर लगावंन पर हातला शेण ट्री लागायकर जाजो. नही तं तोरो अजी जवर कम प्लेट करून. मंग नोको कवजो मोला.
चंदू  :   घनचक्कर नोहोय गावमा चक्कर लगावन जासू. शेण ट्री नही सॅनिटाइजर कवनं.  डोकसा चाट टाकीस. कम् प्लेट नइ कम्प्लेन्ट कवणं.
कारंजा  :   बंदरा वानी कायला कीचासेस तं मोरो पर. डोरा नोको बटारुस, कालको कोल्ह्या अक्कल बाटसे .आमरो जमानोमा आम्ही मोठोईन को सामने चडीचूप रवजन.अन आता का चेंडक्या टर टर करं सेती. का करणं आता? अस्सल दुन सूद को लोबच लगं से.
( असो कयकर कारंजा माय ताटला भर भात खायस्यांन खटला पर सोय गयी. )
शारदा चौधरी 
भंडारा

कोरोना को दिन की बात lata patle 03


   कोरोना को दिन की बात
      

       आम्ही सब संग जेवन करन बस्या होता तब (लता) मीन कयो अवंदा कहीं जानो आवनों नहीं भयो,ना काहीं लेनो देनो भयो बस घर माच रह्या,

   येकों परा कल्याणी को बाबुजी कसे का करबीनत अवंदा कोरोना गुन कमाई भी नहाय अना काम भी नहात,
    
          मीन कयो (लता) मोला लगसे १०,२०, हजार रूपया रवतात मी नवा कपड़ा लेयके आनती, सब डाकता अना कहीं घूमन जाता,

          तब कल्याणी का बाबुजी कसेत तु आब काहीं लेन देन को बार मा बिचारच नको करूस,
 
         तब मी (लता) चुपचाप काम करन बसी. काम भयो पर बहार निकाली त का सांगु मला रोडपर २०००० हजार रूपया दिस्या, मी परात गई अना वय पैसा उठाय के आन्यो, मी बहुत खुश भय गई, मीन कयो पैसा ठेय देवू का?पर मीन सोच्यो इनला पैसा दिस्या त कहेती का ठेय दे, कमाई नहाय काम मा आयेती,
तब मीन सोच्यों चली जासु चुपचाप ना खरेदी करके आन लेसु मी गई अना सबसाठी कपड़ा लेयके अान्यो अना सबला कपड़ा डाकन लगायो, सब न नवा कपड़ा डाकीन सब नवा कपड़ा देखके खुश भय गया, सब नवा कपड़ा डाकके फोटो निकालन बस्या  कोनी डोरा तीरपा करके, कोनी जीभ निकालके, कोनी दुय बोट देखायके फोटु निकालत होता,
    
     फोटु निकालता निकालता जे हात  मा लक मोबाइल पद्यो त मोरी झोपच उघड़ गई, देखुसु त का यो सब सपनच होतो  काहीच सच नवतो.

              सौ.लता पटले
              दिघोरी, नागपुर

फुपा ना भजी D P Rahangdale 03


         फुपा ना भजी
                            
भजी :- फुपाबाई फुपाबाई, काहां चलीस घाई घाई,
           जरा उभी त रव.
फुपा:- भजो मोरो होय नवरदेव, कव मोरी बात 
          खयाल मा ठेव,दुय दिवस पयले        
          आवजो कव,मणुन जावुन कसु.
भजी :- बीहया त चार दिवस बादमा से येतरी जलदी   
           कायकी सेत?
फुपा :- मोला भी मालुम से, पर भाई साठी पच्या 
          की घऴी ना  भोवजी साठी जरीकी साऴी 
          लेवुन कसु.
भजी :- मोला भी बिहया ला जानो से पर कोरोना 
          से ना लगीन लगावन क बेरापरच जावुन 
          कसु.
फुपा:-तोरोत ठीक से बाई, कोरोना रव नही फोरोना
         रव, पर पयले काकन बांधनला जानो पऴेना.
भजी:- तोर संग मी भी आयजावुन तबत तु काकन    
          बांधजो ना मी गाना गावुन..............
           चलवो चलवो फुपाबाई काकन बेरा भई
फुपा :- काकन क बादमा अहेर भी होयती ओको 
           गाना भी कवनो पऴे,
भजी:- कहुनना.......
  तराक पारपर झाल-या आंबा,ओका कोवरा पाना,  
  भाईकी बहीन डोमनबाई, चल बाई मंजुना राती,
  नही आवु नही आऊ मंजुना राती,
  आवुन दिवक जोती,हातमा धरुन  पच्या की घऴी
    तोर मांडोमा शोभा दिसे भारी.
फुपा:-  चांगलो से बाई. आपुन दुही जनी संगज
            जाबीन. बिहया मा ज़ास्त लोक नही 
           पाहीजे काहेकी कोरोनाको भेव लगसे. 
           लाहान टुरुपोटु ना बुऴगा इनला लवकर 
           दऴपसे खरा.
भजी :- ओक साठी उपाय भी सेना. 
          बिहया मा पाच पन्नास च पाहीजे बराती
          ज़ास्त नोको बुलावो नहीत होयत घाती।।
          संगमा ठेवो मास्क नाकतोंड झाकन साती
          सुरक्षित अंतर ठेवो कोरोना से भारी अती।।
          कोरोना पासुन सबला मिल जाए मुक्ती 
          पार पऴे बिहया ना मण ला मिले शांती।।
                            
डी पी राहांगडाले 
     गोंदिया

समजदारी y c chaudhary 03


           समजदारी
(राधको प्रवेश हातमाको झाड़ू जमीनपर फेकत बससे)
राधा- मरगयी वो माय ,योव टोंगराको दुखनो  काही कमी नही होय. कायकी दवाई देसेती डाँक्टर बध्या .रती भरको फायदा नाहाय.

श्रीधर-काजक भयोव तवो ,काहे तोंड बजावसेस.

राधा-आता डाँक्टर बदबिन कसू, येन डाँक्टरकं हतमा बिमारी नही भेटी.तसोच दुखसे मोरो टोंगरा.

श्रीधर-आता डाँक्टर काजक करे तवो.प्राणायाम सांगी होतिस  ना .सकारी सुर्य प्रकाशमा बसजो कव.त तू... बससेसका कसू मी.

राधा-आता बस हद भय गयी तुम्हरी.डाँक्टर को नाव लेयव का काराका पिवरा होसेव.

श्रीधर-आताका डाँक्टरला प्राणायाम ना आसन की गोली देये. .एक एक गोली खात जाजो ना प्राणायाम भयोव कवजो.दुसरी गोलीमा लोमविलोम.सुर्य खाटपरा निगसे.

राधा-का कयात.गोलिभी मांगती परं , काजक करू भेटतं नही. ना सकारी झोप नही खुलं .

श्रीधर -कशी खुले ,मंग डी विट्यामिन कसी भेटे कसू मी.

राधा -तुम्हला कासे ,सकारी उठेव का योव एकच काम. नाक दाबनको .पडे़ काड़ीला हात नही लगावो.काही कयीस त मीरची झोंमसे.

श्रीधर-वारे वा !एक से कामवाली ,अखीन दुसरी ठेवना .पर तोंड नोको बजावू.चल तयारी कर ,आपलोला कासे तू कवजो वू डाँक्टर ,पर डाँक्टर सांगे तसो करजो का ?
राधा-चलोत सही.
(आपली तयारी करसेती दवाखाना जासेती)

वाय सी.चौधरी
गोंदिया

एक पत्र असो बी shekharam yedekar 03

एक पत्र असो बी
पत्ररुपी विनोदी संभाषण
(यव् पत्र मी मोर् मालुटोलावाल् जीजाजीला १९/९/९६ ला लिखेव होतो वु उनकच घर् भेटेव, वको पोवारी अनुवाद) 
                                       सिंदीपार  
                                  १९/९/१९९६
आदरणीय जीजाजी,
तुमला, शेखराम भाऊ येळेकर, करलका सा. न. वि. वि. 
मी पोराला तुमर् गाव् जावु कयेवत् इत् मोर् बाबुजीकी पोराक् दिवस मनमाने तब्येत बिघडी होती. जर क् माऱ्या(ताप क् माऱ्या) मोरो बाबुजी *बाबा गा बाबा गा* तसोच मोर् मायला *अ, बाब्या की माय, अव् कहान गयीस व्, अव् कहान गयीस व्* कयकन मनमाने कनावत होता. मोरी माय ना मी उनक् खाटजवरच बसकन रवत होता. तुमलात् मंग मालुमच से, मोर् बाबुजीला काही भयेवत् पुरो घर हिलाय टाकसेत.  मी खरी खुरीच सांगुसु, *मी खोटो नही बोलु, खोटो बोले वको पोट दुखे*
यन हालातमा मी तुमर् गाव् मी नही आयेव पन तुमी काय नही आयात, आमर् गाव्? तुमी त् आवनला पायजे होतो. आमी सप्पाई तुमरी कावरावानी बाट देखत होता. तुमर् साती आमी कटराई भेंडी, लवकी, बारमासी लसुन का पान ना कोहरा तोडकन ठेया होता. इतन बढीया *भेंडीकी कळी ना कोचईकी बळी* खानकी मनमाने मज्या आवसे.
 *जो बोले खोटो, वकी खराब निकले फोटो*
इतन पयले त (रोवणाक् बेरा) मनमाने पानी आयेव पन आब् त् पानीन् आवनको नावच् सोड देयीस. वको कारो टोंड भयेव. वऱ्याक बांदीको धान पोटऱ्या आय रही से, पन पानी नाहायत् मर रही से. वन् मारबतला, राई रोग, मासी मोंगसा लिजाय टाक गे मारबत मनुन गावका सप्पाई जन मनमाने बोंबल्या पन वा बी कारटोंडीच निकली, वन् रोगराई त् सोडो, मासी मोंगसाबी नही लिजाईस ना पानी बी नही पटाईस. कारटोंडी कहान की. 
*खोटो बोले वको पोट दुखे*
पानी आये पायजे मनुन मोरो कानोबाला नारेन कबलकन भयेव. मोर् मायन् त् पाच नारेनको फुलोरा बांधनको कबलीस. तुमला त् मालुमच से काही कबलनसाती मोरी माय बिलकुल कुचराई नही कर्. यतरो कबलकनबी वन् कानोबाला आमरी दया नही  आयी, रही रहे कहान बी, आपली पाऊल बजावत. काजरतीजला बी पाच नारेनको फुलोरा कबलकन भयेव तरी पानीको नावच नही. *खोटो बोले वको पोट दुखे*
गणपतीबाप्पा ला बी दया नही आयी, वु बी आपल् उंदीरपर बसकन रिकामोच आयेव. 
अशी बात से, तरी इतन गावकन मनमाने मज्या आवसे. जोर जोरलका बोंबलनला भेटसे, बंडरा खेदाळनला भेटसे, तरामा पोवनला भेटसे, जंगलमा हिंडनला भेटसे, हिड्डा(हिरडा) खानला भेटसे. मंग मज्या मज्या. तुमीच आव मनुन सागुसु, *जो खाये हिड्डा वको नही दुख नड्डा*, *खोटो बोले वको पोट दुखे* 
बडेगाववाल् बडोबाऊकी बी तब्येत बहुत दिसपासून खराब से कसेत. उनक् मुलाकातला जाऊ कयेव त् पिंडकेपारक् जंगलमा बाघको भेव सांगसेत, बाघसाती पिंजरा बी मंडाईसेन कसेत. साकोली करलका जाऊ कयेवत् साकोलीक् जंगलमा आस्वलको भेव सांगसेत. जीतन उतन भेवच भेव. काहीच समजमा नही आव्. का करसेव जान देव. 
आमर् खेतक् धुरा ला भेंडी त् मनमाने फरी सेत पन बंडराइनला झोमाळा झाेमी से. मनमाने आवसेत ना बुर बार करकन जासेत. एक दिवस त् बंडराक् भक्क्याइनको करप आयेव. मी उनला गारी देकन  *सुले रे सुले* कयकन उनला  खेदाळन गयेव त् , सप्पा बंडरा त मोर भेवलका पराया पन  एक भक्या दातकाळा काहाळकन खेकसेव ना मोरोच रगदा काहाळीस, मी त वक भेवलका पँटला पाय लगायकन मनमाने परयेव, ना पराता पराता खऱ्यानवाल् बांदीक खांडपरा पाय घसरकन झोडपासारको पळेव. मोरो टोंगराबी फुटेव. का सांगु, मनमाने रोयेवजी, मोरी गत मोलाच मालुम. जानदेव, का सांगु तुमलाआपली करम कहानी. अशी गोष्ट से जीजाजी. *खोटो बोले वको पोट दुखे*
जानदेव जो भयेवत् भयेव, पन पानी नही आयेव. 
*असी गोष्ट से मनुन, बंडराइनला पुष्टी से*
बडीबाईला ना तुमला नमस्कार
जय सिंदीपार, जय मालुटोला
तुमरोच
शेखर
शेखराम परसराम येळेकर नागपूर १९/९/१९९६ अनुवाद २७/७/२०२०

राखी vandana katre 20

       राखी

रिमझिम रिमझिम आयव पाणी
त्योहार आयी से आता रक्षाबंधन
पुनव को चांदा खबर लेसे मोला
कब जाजो तू भाईला राखी बांधन ।।

नहान नहान सेती रे मोरा भाई
निःस्वार्थ से रे उनको उ प्यार
सोनो चांदी की नहाय रे लालच
द्रोपदी को कृष्ण सरीकी प्रेमधार ।।

दीपक ज्योती की सजाऊन थाली
पिढो ला बी करून सुंदर आरास
रेशम की वा डोर बंधायके भाईला
जपुसू उ आपसी रिसता बहुत खास ।।
 
भाई को लंबी उमर की करुसू रे प्रार्थना
यवच से पवित्र बंधन को खरो सार
विपदा को रक्षा कवच से मोरो भाई
तकलीफ ला कर देसे हमेसा पार ।।

माय अजी का अनमोल सेती रतन
भोवजाई बी से माय घरको साज
आनंद भरेव सरावन सबला सांगसे
रक्षाबंधन से सब रिसता को सरताज ।।

हे !!सरावन पौर्णिमा को चंद्रमा 
तूच सेस खरो रक्षाबंधन को दुवा
कोनीला नहाय बहिण कोनीला भाई
भर दे तूच उनको जीवन मा पवित्र सेवा ।।


वंदना कटरे "राम-कमल"
गोंदिया
२६/०७/२०२०

प्रेम को बंधन mahendrakumar patle 20


    प्रेमको बंधन*

श्रावणको धारा संग्
आव् से राखीको सण
हातमा शोभ् से राखी
अनमोल प्रेमको धन

सुसरो घरलकक बहिन
आव् से राखी बांधन 
भुल्या बिसऱ्या वादा 
एक बंधनमा सांधन

टिका शोभ् से माथापर
जशी चंचल चंद्रकोर
आरतीको थालीमा दान 
देख् से हुशार चकोर

बहिनको हातकी मिठाई
रव्हसे अमृतदुन गोड
वोन् मोहक मिठाईसाती
घरमा मच जासे होड 

बहिनकी लज्जा रक्षाको
भाई कर् से पक्को वादा 
भाईको मनला मिल् से
बिस्वासकी शक्ती जादा

धागा नोहोय साधो यव
आय प्रेमको बंधन
भाई बहिनको रिस्ताको 
आय दमदार इंधन
महेंद्रकुमार ईश्वरलाल पटले(ऋतुराज), किडंगीपार 
ता. २६/०७/२०२०

राखी Devraj pardhi 20

      राखी

प्रीती का धागा मा प्यार उभर रही  से !
सारो जग मा सच्छो प्यार भाई बहीण को से !!

राखी त्योहार आय बहीण भाई को !
एकमा प्यार भरी से पुरो परिवार को !!

सालभर याद नही आये त चले भाई कि !
पर राखी करावसे याद भाई कि !!

लहान लहान भाई सब न कहीन!
राखी बांधे मोरी बहीण !!

राखी को आईसे येव त्योहार  !
सकाळी उठ के सब होये जावं तयार !!

धरती माई न चंदामामा ला इंद्रधनुष्य कि राखी बांधी सेस !
बिजली चमकाय के चंदामामा न रिमझिम पाणी कि झडी लगायि सेस !!

बहीण कसे भाई ला तोरो हात मा कि राखी मोला याच याद देये !
तोरो पर को दुःख ना संकट पहले मोला आये !!

देवराज भुरकन पारधी 
9545068090

अनमोल मोती राखी hargovind tembhare 20


अनमोल मोती राखी

भाई बहिन को प्यार को,
त्यौहार आय राखी को ll

तोला का सांगू सखी,
मोरो जवर से एक राखी ll

आय गयी जवर आता राखी,
कम दिवस सेत आता बाकी ll

भाई से मोरो दूर पठाय देसू राखी,
काहे की आता दिवस सेत बहुत कम बाकी ll

लहान पन मा खेल्या करया आनंद की मस्ती,
अज पठावो राखी ll

लहनो भाई की से पुकार,
बहिन पठावो अज से राखी को त्योहार ll

सब बहिन की से एक पुकार,
रक्षा करे भाई की भगवान ll


 भाई देसे वचन निभावन को प्यार,
अज से मोरो भाई को त्यौहार ll

सब बहिन ला नमन से बार बार,
स्विकार करो भाई को प्यार ll

भाई बहिन को कसो से प्यार,
येको प्रतीक आय राखी को त्योहार ll

प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४


राखी sharda chaudhary 20



          राखी

पुनवा की अलबेली घडी
बरसं से सावन की फुहार
बहीणभाई को संबंध बढावन
आयेव रक्षाबंधन को त्योहार

नारीयल कुमकुम चंदन मिठाई
बहीण नं सजाईस कंचन थार 
भाई ला लगावं से टिका 
मन मा उमडं से प्रेम अपार

 रेशम की डोरलक भाई को
कलाई मा बांधीसेस प्यार
बदली मा देसे भाई
रक्षाबंधन को उपहार

कोळी करसे समुद्र पूजन
करंन साती मच्छीमार
बाजालक भुजली लिजासेती
परदेसी अना कहार

सुरज-चंदा बिना जसो
सुनो से आभार
बहीण-भाई बिना तसो
अधुरों से परिवार

मेवाड की राणी कर्णावती पर
लटकी संकट की तलवार
राखी पठाईस हुमायून ला
मांगीस रक्षा को उपहार

विपदा आई भरी सभा मा
द्रौपदी को द्वार
लाज बचाईस कृष्ण नं
बनेव वस्त्र तारणहार

बहीण भाई को घर की तुलसी
येको लक महक से घरदार
मरतो दम तक बहिण को 
भाई पर रवं से अधिकार

सब रिश्तो मा अनमोल से
भाई बहीण को प्यार
बंधन से येव अति पवित्र
जुड जासे सब संसार

बहीण मांगसे लंबी उमर की दुआ 
भाई साती हर बार
जुग-जुग जीवजो मोरो भाई 
पाऊ मी तोरो दुलार

 यंदा को सालं कोरोना से
कसी आऊ येनं बार
राखी पठावून कुरियर लक
फोन पर लेवून समाचार

                   शारदा चौधरी 
                     भंडारा
  

राखी chiranjiv bisen 20


              राखी
               
राखी आय हिंदु धर्म को एक त्योहार, 
येको मा उमड आवसे भाई बहीण को प्यार. 
सावन क् पौर्णिमा ला आवसे येव त्योहार, 
मून राखी पौर्णिमा बी कहलावसे येव त्योहार. 

बहीण आपल् भाईला बांधसे प्यारल् राखी, 
भाई बी बंधवावसे बहीण क् हातल् राखी. 
भाई करसे बहीण क् रक्षा की आराधना, 
बहीण बी भाई क् लंबी उमर की करसे कामना. 

राखीला कोळी लोग समुद्रला नारियल देसेत, 
मून येला नारळी पौर्णिमा बी कसेत. 
राखी पासून वोय समुद्रमा लिजासेत नाव, 
आपल् मच्छिमारी क् धंदाकी करसेत सुरुवात. 

काही समाज मा राखी की बुजली पेरसेत, 
दुसर दिन वोय समूह लका बुजली सिरावसेत. 
असो राखी को त्योहार से महत्वपूर्ण, 
भाई बहीण क् प्रेम की कडी करसे पूर्ण. 

              रचना - चिरंजीव बिसेन
       परमात्मा एक नगर, गोंदिया.

राखी randip bisen 20

            राखी

बहिण भाई मां बंधी से रेशम की दोरी
प्यार दुलारलक् शोभसे कलाई तोरी

नारेन पौर्णिमा तिथी नारेन् को अर्पण
समुंदर किनारोपर सद्भाव लक् समर्पण

दौपदी को बांधेव् धागा देव कृष्णला 
संकटकाल मां जागेव् बहिन् बनी सबला

नारैन् पान करदोळा संग रक्षासूत्र कलाईमां
भाई देसे वचन् आऊ धावकन् संकटमां

राखी को डोर होये पाह्यजे पक्को वु
सैल ना होये बंधन खबरदारी लेत् जावु

माय देखसे कवतीक बांधत भारी राखी
बिचार मनमां करसे टुरो न् टुरी देखस्यानी

भाई नं बी ठेये पाह्यजे मान बहिन न् बी पान
टिके बंधन राखी को समृद्ध होये समाजजीवन

करू भाऊ संकल्प भाई बहिन् कं बिच प्रेम
खतम् करो गलत समज नमन् करू सप्रेम

रणदीप बिसेन
मु.कोराडी रोड,नागपूर

राखी chhaya pardhi 20


            राखी

राखी को रेशमी धागा, भावनाओं को समुदर
येव रिश्ता भाई बहिन को जगमा सबसे सुंदर।। 

श्रावण की रिमझिम फुहरमा पौर्णिमाको दिस
धरती न चंदामामाला इंद्रधनुषकी राखी बांधीस।। 

युद्ध मा श्रीकृष्ण की अंगठी भई खून लक लाल
द्रोपदीन आंचल को टुकड़ा देइस अंगठीला बांध।।

रंगबिरंगी राखी देखकर मन मोरो  ललचाय
राखी लेऊ कोनसी शोभे मोरो भाईको हात।।

दस दुकान फिरस्यार राखी लेयेव बाका सात
घरच अटायेव खोवा देयेव केशर इलायची टाक।।

करेव तयारी हाउस लक केरा को लेयेव घड़
आईं आपलो माहेरं मोरो टुरी पटीको  संग।।

सीता जसि भोवजी पाय धोएकर करिस स्वागत
सुंदर रागोंडी बनायेव आरास पिढोला सजावत।।

राम लकस्मन भाई मोरा बस्या सजायेव पीढोपर
सिरपर झाकेव दुपटी मंग करेव कुमकुम तिलक।।

हाथपर सोभ रेशमी राखीको बंधन जनम जनम
खेलसे मनमा बनकर चित्रहार आमरो बचपन।।

झाड़ लगाओ एकतरी राखीकी  याद जनमभर 
पर्यावरण को रक्षण करीबन सबजन मिलकर।।

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

राखी D P Rahangdale 20


                       
                       राखी 

भाई बहीनको प्यार क बँधन ला राखी कसेती 
माय घर जानसाठी राखीकी सब बाट देखसेती।। १।।

सबसे पयले लक्ष्मीन राखी बांधीस बलीराजाला
बंधन मुक्त करशान आनीस वीष्णु भगवानला।। २।।

संकट काल दुर्गावतीन हुमायु ला राखी धाऴीस
मदत करीस राणीला,भाईको धरम पाऴीस।। ३।।

पुरातन काल पासुन राखीक सणला सुरवात भई
बहीणला काहीतरी भेट देनकी प्रथा  चालु भई।।४।।

बहीणभाईक प्यार को बंधन मनमा भई भारी खुशी 
कोरोनाको भेवसे  भारी कसे जाउ कसी कसी।।५।।

मनुन बहीनन भाईला फोन लका संदेशा धाऴीस 
राखी नहीत सुत बांधजो,बहीनको धरम पाऴीस।। ६।।

भाईन भी  फोनपराच शुभ आशिर्वाद देईस
बहीण मोरी सुखी रवजो असो फोनपराच कहीस।। ७।।

डी पी राहांगडाले
     गोंदिया
9021896540                            

रक्षाबंधन kalyani patle 20



       रक्षाबंधन
सावन को महिना मा,
रिमझिम बारिश की फुहार,
देखो रक्षाबंधन को आयो,
पावन त्योहार।।

भाई को लंबी दुवा को,
त्योहार से राखी,
भाई करे बहीन की रक्षा,
वादा से बाकी।।

कच्चो धागा की,
पक्की डोर से राखी,
हर घर मा खुशी को,
उपहार से बाकी।।

लड़नो, झगड़नो,मनावनो,
भाई-बहिन को प्यार,
भाई-बहिन को प्यार ला,
बढ़ावन आवसे राखी को त्योहार।।

दुआ मांगसे हर बहिन,
हर साल आये राखी,
कलाई पर रेशम को धागा की,
मी बांधु राखी।।

बचपन की याद को,
चित्रहार से राखी,
रिश्ता मा मिठास को,
अहेसास से बाकी।।

तोड्यो लक भी नहीं तुट,
जो मन को बंधन,
वोन बंधन ला,
दुनिया कसे रक्षाबंधन।।
       
       कु. कल्याणी पटले
        दिघोरी, नागपुर

राखी y c Chaudhary 20



             राखी
              बंधन
( काव्य को प्रकार अभंग)

पुनवा राखीकी, लहर खुशीकी
आनंद जनमा  ,मावनही।।
लहान पनमा, खुशी या मनमा
बांधन हातमा, मोठीराखी।।

शारदा छापकी, मोठं गजराकी
मनगट भर ,शोभादिस।।
राखी होयपर,शोभं पुस्तक पर
विद्याकी या देवी,सरस्वती।

आता बजारमा, दुकानकी शोभा
रंगी बेरंगी राखी, दिससेती।।
यालेवूका वालेवू,खुश होय  भाऊ
महागच लेवू ,डिजीटल।।

अशी रित आता,बदल देखता
खुशिको महिना ,आयगयोव।।
प्रेमको बंधन,धागाच बांधनं
काहेला लेसेव, किमतीया।।

ध्यानमा ठेवनं ,पुरानो कथनं
द्रोपदीकी लाज,बजाईस।।
एकेक धागाकी,एक एक साड़ी
चिरहरन बेरा, पुराईस ।।

अशी राखो लाज, तब होसे काज
प्रित बहिन भाईकी,अजरामर।।
जेला  बाहिन नही,ओला बांधो राखी
प्रेमकी प्रचिती, तब होय।।

येन जमानोमा, राखीया झाड़ला 
 बनको  रक्षन,करसेती।
पर्यावरन शुद्ध, हवा होय शुद्ध
कार्य रचनाबद्ध,करो आता।।

चांगली शिकवन,देवो सुसंस्कार
परंपरा आपली ,जपोआता।।
धागा योव राखीको ,बंधुभाव को
सब रहो सुखी, याचराखी।।

जय राजा भोज,जय गड़काली
जय पोवार, जय पोवारी बोली।।

वाय सी चौधरी
गोंदिया

राखी shekhram yedekar 20


                 राखी

धुरपताको भाई भयेव, चक्रधारी किशन भगवान
धुरपता बी राखीला जात होती, वला राखी बांधन।। १।। 

बहिण भाईको पीरम देखावसे, यव राखी को सण
बढत रवसे यन् सणला, बहिण भाईको मान। २।। 

राखी को आयेव सण, भयेव उदास बहिण को मन
कशी बी करस्यान जावु कसे, भाईला राखी बांधन। ३।। 

कोरोनाकी महामारी, भयेव चल बिचल वको मन
धकधक लगसे वक मनमा, कशी जाऊ राखी बांधन? ।। ४।। 

एसटी बी वला चोवत नोहती, रस्ता बी चोव सुनसान
बंदोबस्त का पुलिस चोवत, नही चोयेव राखी को दुकान। ५।। 

राखीकोच बहाना रवसे वला, माहेरला जानसाती
कामधंदाला सदा जुपी रवसे, आपल् जिंदगीसाती।। ६।। 

मायक मनमा माया वकी, लग् वला जसो कुबेरको धन
हासी खुशीमा रवसे माय वकी, यकमा वको समाधान  ।।७।। 
**
भोवजीकच हातलका राखी बांधजो, नोको करु लहान मन
नही आव सकु भाई मोर्, आब् तोला राखी बांधन।। ८।। 

मनमा मोर् साती जराशी जागा ठेव, नोको ठेवुस उदास  मन्
सुत को बी धागा बांधेस तरी, होसे राखी को बंधन्।। ९।। 
(धुरपता- द्रौपदी, किशन- कृष्ण) 

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर नागपूर
२६/७/२०२०

Thursday, July 23, 2020

श्रावण chhaya pardhi 19

श्रावण
हासरो नाचरो थोडोसो लाजरो
नाचत आयेवं श्रावण साजरो।। ध्रु।।

सोनी को पायकी ढग की चाळ बज्
मातीमा सुगंध दाट जसो कास्तुरिको
मेघमा दिससे कारो निळो घनश्याम
टीप टीप बज पाणी सुर बासुरिको।।१।।  
       हासरो नाचरो थोडोसो लाजरो
       नाचत आयेवं श्रावण साजरो

रमत गमत रान हिवरो फुलावत
धराला शालू शोभ् नक्षीदार येव
लपत छपत अायेव् अमृत शिपत
श्रावण मोरो लग् जसो कृष्ण देव ।।२।।
          हासरो नाचरो थोडोसो लाजरो
          नाचत आयेवं श्रावण साजरो

आइसे इंद्रधनू येव अभार रंगण
बांधीसेस देवरायान सतरंगी तोरण
ढुक ढुक देखसे तिरीप कमान धरन
आईसे श्रावण जीव धराला फोळण।।३।।
            हासरो नाचरो थोडोसो लाजरो
           नाचत अायेवं श्रावण साजरो

नदीला आयेव पुर नाचत वा चल्ं
रूनझुन करत झरा मतवालो झरं
पक्षी को किलबिल मधुर गुंजण
घार वा आकाशमा भरारी मारं।।४।।
            हासरो नाचरो थोडोसो लाजरो
            नाचत आयेवं श्रावण साजरो

हिवरी भई खेती किसान हरसायेव
दिससे बरसात मा ज्योतिर्गमय देव
सन त्योहार लेकर श्रावण आयेव
मनमयूर नाच मोरो आनंद छायेव।।५।।
            हासरो नाचरो थोडोसो लाजरो
            नाचत आयेवं श्रावण साजरो

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

श्रवण मास sekhram yelekar 19


भयेपरा या अखाडी, 
आव जीवती को सण
यन जीवती पासून
चालु होसे सरावण।। १।। 

सरावण महिना मा
सण त्यौहार को मान
हिंदु संस्कृती न्यारी
कवो आरती भजन।। २।। 

भजन को ताल सूर
भक्ती भावला उधाण
माय धरती आयक् से
हिवरो शालु नेसकन।। ३।। 

आव पानीको शिरवा
घडी भरमा तपन
लपालुपी बी चलसे
असो महिना सरावण।। ४।। 

कास्तकार खुस होसे
जसो लग सरावण
कसो लहऱ्या मारसे
वको बांदीमाको धान।। ५।। 

हासी खुशी को महिना
चलो पक्को करो मन
सब मिलकन गावो
पोवारीका गुणगान। ६।। 
*****
✍ डॉ. शेखराम परसराम येळेकर १९/७/२०२०

श्रावण महिना chiranjiv bisen 19


 हिंदु पंचाग को पाचवो महिना आय सावन। 
येन महिना मा प्रकृति दिससे मनभावन। 

चारही बाजूला रव्हसे हरियाली की छावन। 
पानी की धार बरससे गंगाजल समान पावन। 

सब महिना ईनला श्रेष्ठ महिना से सावन। 
शंकरजी की पूजा अर्चना करनो महिना सावन। 

हिंदु धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार होसेती सावनमा। 
जीवती,नागपंचमी,रक्षाबंधन होसेती सावनमा। 

सबदून जादा हिंदी गीत सेती सावनपर। 
सावन का महिना, सावन के झूलोंने सावनपर। 

खेती बाडी को काम बी क-यो जासे सावनमा। 
कही कही अतिवृष्टि ल् नुकसान बी होसे सावनमा। 

बहू बयदी भी ससुराल मा रव्हसेती सावनमा। 
कमावने वाला लोग बी घर आवसेती सावनमा। 

सावन क् पानी मुळच् होसे, 
फसल ना पानी की समस्या हल। 
सावन क् बरसेव लकाच् किसान, 
पावसेत मेहनत को फल। 

             रचना - चिरंजीव बिसेन 
       परमात्मा एक नगर, गोंदिया.

श्रावण randip bisne 19


मास मां पुण्यमास सरावन् खास
न्यारो वको थाट करो जी उपवास

भक्तिभावपर्व चित्तसुद्धी अभ्यास
धुनो पाप दुर्व्यवहार को कयास

बरसात बादल गर्जन् को या मास
शिवजी ला पसंद भुल जावो त्रास

सन् त्योहार को मास बाजसे टार्
सेंदूर बुक्कालक् सजसे येव कपार्

राखी जन्माष्टमी पंचमी या सन्
देवदिकादी का भक्त जाती शरन्

किसान् कष्टकरी होसेती व्यस्त
कष्टसंग भक्ती लका होसेती श्रेष्ठ 

जितन् उतन् हिरवाई मनमां उल्लास
मन रमणीय होसे दुख होसे खल्लास

बेलपाती नारेन् बुक्का सेंदूर चढसे
शिवसंभूला जन मनभाव ओवारसे

असो सरावन् मास येको न्याय खास
बारीसपानी आनसे चेहरोपरा उल्लास

*************************
✍️रणदीप बिसने

श्रावण मास d p rahangdale 19


श्रावण  महीना खुशीसे मनमा जितऊत हीरवोगार।
घऴीभर मोठी तपन लगसे घऴीमा पाणी थंडोगार।।

वरत्या  देखो इन्द्र धनूस से सात रंगमा ऊ सुंदर्‌ ।
जसी तोरन बंधीसे वरत्या खुप दिससे मनोहर ।।

घऴीमा होसे अंधारो दिससे जसो दिवस बुऴजासे।
धऴीभरमा तपन निंघसे त दिवस वर्तया दिससे ।।

कावऴ धरशान भक्त नीकल्या कसेत हर महादेव।
कोणी मंदीर पुजा करसेत कसेत मोला सुखी ठेव।।

थंडीथंडी हवा चलीसे मनमा भई खुशी भारी।
श्रावणका गाना कसेती झुला झुल सेती  नारी।।

जितऊत हीरवोहीरवो जसो हीरवो शालु आंगपरा।
भक्त भक्तिमा त-लीन होसे कर वीठ्ल जयकारा।।

डी पी राहांगडाले 
     गोंदिया

श्रवण मास y c choudhari 19


         ।। संस्कार।।

बरसातमा आयो ऋतु सावनको
बदल गयोव रंग रुप धरतीको।।धु।।

जिवती पासुन महिना भरं
पोरा मारबतला जासे सरं
तिस दिवस व्रत अहींसाको।।१।।

धार्मिकता जन मन मा आवसे
सात्विकता या सबमा दिससे
ज्ञान क वृत्तीला बढावनको।।२।।

भाई बहिनको स्नेह बंधन
नागपंचमी ना  रक्षाबंधन
लाई चना उत्सव कानुबाको।।३।।

 सब या परंपरा  जपसेती 
आस्तिक पंचागलं चलसेती
सत्कार्य योव ग्रंथ पठनको ।।४।।

हिंदू संस्कृती जगमा श्रेष्ठ
येन कुड़ीला नहि करत भ्रष्ट
संस्कार आपलं संस्कृति को।।५।।

वाय सी चौधरी
गोंदिया

श्रावण मास sharda chaudhari 19


           
                        श्रावणमास
           ( चाल-चांदणं-चांदणं झाली रातं )      

अखाडं अखाडं को सरेव मासं
पुनवा को शुभं घडी आयेव श्रावण मासं ll

रिमझिम धारा बरसं सेती कोवरो सोनेरी तपन मां
कस्तुरी की सुगन्ध आवसें ओलो-ओलो माती मां
पहाड पर बादर की सजी से आरासं ll1ll

कारा-कारा बादर छाया सेती निळो-निळो अभार मां
पिवरा निशाण शोभं सेती सुंदर सा अंबर मां
इंद्रधनुष्य भी उधळं से सप्तरंगी रासं ll 2 ll

धरती नं नेसीस हिरवो शालू चीखल अना पाणी मां
रंग-बिरंगी हिरा मोती सज्या वोको साडी मां
अत्तर सारखों फुलईनको से सुवासं ll3ll

गाई बासरु चरंसेती हिरवो-हिरवो शिवार मां
हरणी बी खेलं सेती बछडा संग रानं मां
पाखरू बी गावं सेतं संगीत खासं ll4ll

गड-गड आवाज लक फुटं सेती भोम्बोडी कई डुंबर मां
चम्पा-चमेली पारीजातं फुलं सेती बगीचा मां
झुला बांध्या सेतं झाडइनला झकासं ll5ll

पूर आयेव जितं-उतं तरा बोडी नदी मां
कास्तकार दिन-रात राबं सेती आपलो खेती बाडी मां
किसान की बंध गयी से देखो आसं ll6ll
 
सण मंग सण आवसेती भक्ती बढ से हिरदा मां
श्रावण सोमवार करं सेती ध्यान लगावं सेती भजन मां
बहु करं से राखी ला माहेर की आसं ll7ll

मन फूलं सेती सबका लाजरो- बुजरो सावन मां
नाचं से मोर थुई-थुई हिरवो-हिरवो जंगल मां
निसर्ग की सुंदरता मन मा भरसे उल्हासं ll8ll

                              शारदा चौधरी
                                   भंडारा

श्रावण varsha patle rahangdale 19


झाडनं फेकीस जुना वस्त्र
अना आवन लग्या पाझर नवा
आयेव आयेव श्रावणमास
धरती न पेहरीस वस्त्र हिरवा 

तपन पाणी की लुकाछीपी चलसे
घडीभर तपन अना सरसर सीरवा
मौसम बी रव्ह से मदमस्त अना
दिवसा बी रव्हसे मस्त गारवा

हिवरी नऊवारी धरतीमाय पेहरसे
अंबर मंग लगातार देखसे
नही सबर होय अंबरलाबी म्हणून
ढग को रूपमा भेटनला आवसे

मनभावन नजारा दिससेत
धरतीमाता को आचल मा
असो  होसे फक्त अना फक्त
सुंदर,सुरस श्रावणमासमा

आनंदीत,उल्हासित होसे मन 
नभोमंडप मा फुलसे इंद्रधनू
मनला मोहिनी मा टाकसे
धरतीमाय आमरी कामधेनू

निलो आकाश मा लगसे
इलबीस ढग झुला झुलसे
धरती परा अचानक पडके
बागबगिचा सुंदर फुलसे

रंग हिवरो समाधान को साजरो
धरतीमायन लगसे पेहरीसेस
तीरपत काया होसे नजारा देखके
असोच साजश्रूंगार लेयीसेस

✍सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी (आमगांव)
जि. गोंदिया

श्रावण महिना devendra rahangdale 19


आयेव सावन मास,
सबला लगी आस,
बारिश आये जरूर,
बनेव मौसम खास.

निला बादल छाया,
सबको मनला भाया,
हिरवो हिरवो मौसममा,
सबका मन भर आया.

इंद्रधनुष को सप्तरंग,
मौसम बी भयेव भंग,
बारिश मा भिजन साती,
कोणीतरी पायजे संग.

आयेव हवा को झोंका,
मोरो मन भयेव बाका,
बारिश खेलन साती,
नहाय  मोला धोका .
★★★★★★★★★★★★★★
देवेंद्र (बंटी) रहांगडाले
मु.कमरगांव पो.मोहाडी
ता.गोरेगांव जि.गोंदिया
भ्र.क्र.७०३०५४३०९६
पिनकोड :-४४१८०१

श्रावण vandana katre 19


कारो कारो बादल को खेल
करसे उचो अंबरला आघात
सौदामिनी बि नाचे छमछम
बिन घुंगरु भयी से बरसात ।।1

बरस रइसे रिमझिम धारा
आयव केसर श्रावन मास
गर्भार धरती माय ला बि
भेटीसे नवांकुर कि रास ।।2

तपन,सावोली लुका छिपी
देसे जीवसृष्टी ला नवो सेज
इंद्र धनुस को सात रंग मा
चोवसे मुरलीधर को तेज ।।3

अधीर सरिता कवसे आता
कब करू सागर तोरी भेट?
पंख फडफडाय पक्षी गुंजन
पवन पिरम को संग मा थेट ।।4

रंग रंग का पान न फुल को
लतिका ला आयव सुंदर भेस
हिवरो सीवार को आयको ना
सन्मार्गी, चैतन्य भरेव संदेस ।।5

चिंब भिज्या पानदन ला बि
झलारसे रानफुल कि किनार
सुस्क पहाडीला आयी सोभा
केतरो सुंदर से यव धुवाधार!!।।6

जलाशय को आयना मा आभार
देखसे आरसपानी उ स्वरूप
रोम रोम मा पुलकित प्रकृती से
मंगल दुन मंगल सद् गुरु रुप ।।7

सांज सकारी झुला झुलन ला
आनंद विभोर होसेती सखी
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा मा
नाहती आता कोनी च दुखी ।।8

सन, त्योहार को फुल गुच्छा
मौलिकता को से सन्मान
संस्कृती, समृद्धी कि ठेव मा
श्रावन से आमरो अभिमान ।।9

श्रावन को सोरा सिनगार सदा
गावसे सुखी, तृप्ती को संगीत
निसर्ग को कोना कोना सांगसे
श्रावन!!तुच मोरो मन को मित ।।10

वंदना कटरे "राम-कमल'
गोंदिया
२९/०७/२०२०

सावनकी महिमा mahendrakuar patle 19


धरणी नट् से हिरवो रंगमा| प्रेमी झुल् से बारीस संगमा| 
जीत मिल जासे जंगमा| सावनकी महिमा||१||

आव् से बरसाद रातीला| सुट् से सुंगध मातीला|
काम बहू बाईको जातीला| येन् श्रावणमा||२||

सण त्योहारकी धुमधाम| सरत नही दिवसभर काम| 
जपसेत सब मुखमा राम| श्रावण महिनामा||३||

करसेत शंकरजीका उपास| भक्तिमा नही कोणी नापास|
लग् से चेतनाको तपास| आपलो अंतर्मनला||४||

जिवती, नागपंचमीको होरा| राखी, मारबत, पोरा| 
तीजा, कण्हेय्याको तोरा| दिससे सावनमा||५||

ठेवो खानपान शाकाहारी| नोको बनो मांसाहारी| 
मन बनावो सदाचारी| सांगसेत शास्त्र पुराण||६||

खेतीमा झुलसेती धान| नववधूका खुलसेती वान|
माहेरमा आवसे जान| टुरी आयेवलक||७||
*********************************
✍महेंद्रकुमार ईश्वरलाल पटले(ऋतुराज), किडंगीपार
ता. १९/०७/२०२०
भ्र. क्रं. ९५५२२५६१८९

श्रावण मास hargovind chikhlu tembhare 19



    हिरवो संसार

सजावो आता खेती बाड़ी की धुरा पार,
आयव आता धरती माय को त्योहार ll

भय गयव आता धरती माय को बेटा तैयार,
सजावन खेती बाड़ी की धुरा पार ll

आजु बाजू भय गयी से हिरवो हिरवो संसार,
आय गयव श्रावण मास को त्योहार ll

सज गयी से आता मोरी धरती माय,
सब मिलकर देवो वोला सजाय ll

चार चांद देवो आता लगया,
सुंदर सुंदर झाड़ लगाय ll

लगन लगी आता झुला की बहार,
सजन लग्या पशू पक्षी का संसार ll

होय जावो सब पोवार तैयार,
आय गयव श्रावण को त्योहार ll

भोले नाथ ला नमावो बार बार,
होय जाये पोवारी को कूल उद्धार ll

श्रावण मास को से पोवारी संस्कृति लक नाता,
गीत गांवो पोवारी का आता ll

सजावो दरबार भोले भंडारी को आता,
भोलेनाथ से सबको दाता ll

प्रा.डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया
मो९६७३१७८४२४

Tuesday, July 21, 2020

सांगू का एक बात chhaya pardhi 04




        सांगू का एक बात

भाऊ एक बात सांगु का तुमला?? नहीं भी कहो तरीबी सांगच देसू ना. पर कोनीला सांगो  नोको , आपस की बात आय….. हं... त मी का कवत होती…..गुड्डी का बाबूजी का कसेत मोला,. 
    "गुड्डी की आई काल धडाधडा पाणी आयेव् त परा धरबिन सकार पासून..तू बी चली जाजो परा लगावन,कोरोना लका तोला भी छुट्टी से त ना मोला भी, मिबी आऊन,"
 आता भाऊ बिचारच आयेव ,बीस साल पासून कभी परा नहीं लगायेव,स्कूल ना घरं….आता हो त कय देयेव। सारो सकार की उठी भाऊ,झाड बोहोर, सयपाक पाणी करेव, सिदोरी बनायेव ,ना इनको गाडिपरा गई खेतमा। बण्यार मोरो मंग मंगच आईं। अना हासि मज्याक करण बसी। पान सुपारी खायके बांधीमा उतरी,आता मी भी खोच खाच करेव ना उतरी बांधिमा,,,,आता बन्यार को सामने मी जरासी डगरच पाथ धरेव.

     मोठो हाऊस लक थोड़ासो दूर पाथ गई ना भाऊ कंबर दुखण बसी, आता काई खांबला लगावन की हिम्मत होत नोहती ,एक पाथ पाडेव ना घरं आई.
     वोत्तोमाच गुड्डी का बाबूजी भी आया,मी बिचारेव,"का भयेव त जी , जलदिच आयात ना," त कवन बस्या," का सांगू ,अर्धी बांधी ला पेंडी भरेव ना बटा असो दुखनो भरेव , त घर आयेव्.
    मी कयेव,मोरी भी गती तसीच भई जी,मून मी बी घरं आई,पर चिंता नोको,अज दुय तास काम कऱ्या सकारी चार तास करबिन, आदत पड जाये त सब बराबर होये…..वय भी कवन बस्या,.......
" सही बात कहेस, जाय तुरसी को पाना टाक ,ना मस्त चाय आनं , सकारी अदिक जाबिन परा बांधी पर"
    "करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान रसरी आवत जात ते, सिल पर पड़त निसान"

सिख: एकबार को प्रयास मा आमी सफल होबि असो नहाय,ओकोसाठी आमला निरंतर प्रयास करनो पडे.

तसोच आमरो समूह को भी से, बाल्यावस्था मा लका रांगणला सिकेव ना आब चलनला, त सब मीलके आधार देव ,की समूह बढिया धाये, फले फुले
सौ. छाया सुरेंद्र पारधी

Monday, July 20, 2020

बारमासी mahendrakumar patle 02


 बारमासी

(राधाको घरमा वोकी बहू खाटपर सोयी रव्हसे वोन् समय शेजारीणबाई मांदी बसनला आयेवपरकी बातचित)

कमला:- अवो राधे कहा सेस त् वो? तोला त् बाई घडीभरकी फुरसत नही भेट्?

राधा:- का करू कमले, "आपला नशिबच गांडू त् का करे पांडू".

कमला:- तू ना बाई कभी सिधो ढंगलक सांगजो त् कसम! 

राधा:- मंग का सांगू तोला टुराको बिह्या करके आनेव तबी मी बन्यारीन सारखोच काम कर रही सेव म्हुन.

कमला:- जान दे बाई, सांग तोरी बहू कहा गयी से त्? डोराला काही चोयी नही से दुय दिन पासून.

राधा:- पडी रहे पाठा....नही त् काम काजक से वोला, "डेडरा भर खानको ना टेटनसा रव्हन को."

कमला:- असी कसी बाई तोरी बहू? कायी सिकायीसेस का नही त् वोको मायन्? वोन्  कुनबिंकी, बहू बाई रच रच काम करसेत तबी हाय नही कव्हत.

राधा:- अना आमरी बहू देखो, जरासो काम करीस का फुटेव बोका. तसी बारमासी बिमारच से. अजकालको बहूइनला कामको मोठो नेट लग् से बाई.

कमला:- सही बात से बाई तोरी. आबकी बहू शेनमाकी इल्लीच रव्ह सेत. आमरो राजमा असो नोव्हतो बाई.

(वोतोमाच राधाको घरवालो सखाराम खेतलक आव् से)

सखाराम:- अवो राधे, घरकी बात बाहेर सांगके तोला का भेट् से वो. जब तू खटलापर पडी होतीस त वा बहूच धायी होती ना तोरी....वोनच सब सेवापानी करीस.

राधा:- तुम्ही ना हमेशा बहूकोच पक्ष लेसेव.

सखाराम:- मी सिरिप सत्यकोच पक्ष लेसू. कालपासून बहूबाईला अच्छो नही लग्. त् वोकी जरासी खबर बात ले. इत का गोष्टी करत बसिस? ध्यानमा ठेव हमेशा आपलाच धावसेत दुजा नही.

राधा:- तुमरी बात बी बरोबरच से जी, पर मीच एकटी कहा कहा देखू.

सखाराम:- तू आब् आपलो बहूको तब्येतकर देख, बाकी मी देख लेवू.

कमला:-(आपली दाल गलन की नही यव समजेव पर घर जान बसी.) जासू बाई आपलो घर, बहुत भयी मांदी.

महेंद्रकुमार ईश्वरलाल पटले(ऋतुराज), किडंगीपार 
ता. २०/०७/२०२०

नोको रोवु माय मोरी shekhramji yedekar 02



नोको रोवु माय मोरी

लेखक:- डॉ. शेखराम परसराम येळेकर
अंक पहिलो

(उनारोका दिवस, रातक १०बजे की बेरा, बंडू भाऊ आंगणमा खाट टाकस्यानी लेटेव होतो. वोतमाच रामु काकान टवकारा देईस)
बंडू:- कहान जासेवत् काकाजी
रामु:- जेवन भयोवत् पाय मोकरा करनला आयेव गा.
बंडू:- आवो ना काकाजी बसोनाजी. 
रामु:-  नही गा, सकारी आंबा उतरावनका सेती, कोनी उतरावनेवाला भेटसेती का मनुन देखुसु. 
बंडु :- मोडकुकाका उतरावसे पन वु बियायी क् गाव् गयी से. 
रामु:- जानदे बटाला गयेव त्. केताक बज्या गा बंडु. 
बंडू:- १० बज्या ना काकाजी. 
रामु:- जेवन भयोव का त? 
बंडु:- हो आबच भयेवना काकाजी. 
रामु:- काजक मालपाणी होतोत्
बंडु:- अं होतो असोच. बाल्याक मायन्  मस्त आंबाको रस ना घीवारी बनायीस, डटके जमायव मनुन  यन खाटपर लेटी सेव. अभारकन देखकन बुडगीकी खाट देखुसु. रातभर या बुडगी चीच का पाला हतरावत रवसे असी मोरी स्यायनी माय कवत होती. मनुन देखुसु येन् बुडगी जवर मोरी स्यायनी चोवसे का त् ? मनुन एकदुय दिवस आड अभारमा देखत रवुसु
रामु:- देख बुगी, तोर् स्यायनीला,  चोयीत् मोरीबी रामरामायी सांग देजो. मी जासु, कोनी आंबा उतरावनेवाला भेटसेती का त् देखुसु गावमा.
*(रामु गावमा गयेव ना बंडु ला गयरी निंद लग गयी. बंडुला सपनमा वक् स्यायनीन दर्शन देयीस, हाका मारन बसी.)*
स्यायनी:- बंडु अ बंडु, का करसेस त. 
बंडु:-  आयीस का व् मोरी स्यायनी, कसोटी से व् कुबड तोरो, टेकनकी काडी बी नही चोव् तोर् हातमा, आव बस मोर् जवर. मी जरासो पोवार समाज ना संस्कृतीक् बारामा लिखुसु. 
स्यायनी:- अरे व्वा, मोरो नाती त आब् समाजसुधारकच भयेव. 
बंडु:- मोरो सोड दे , जरासी करनो पडसे समाजसेवा. तू कशी सेस त व् स्वर्गमा. वन् अभारमाक बुडगी संग तोरी मुलाकात भयी का नही त? वा बुडगी रोज रोज रातमा चिचकोपाला हतरावसे कसेत, या गोष्ट खरी सेका? स्यायनी तू असी करजो, वक् खाटजवर  आपली खाट पाडजो ना जांबुरका पाला हतरावजो, मनजे वक् दुन तोरी खाट लवकर हतरायकन होये. स्वर्गमा बहुत पॉवरफुल होल्टवाला बल रवसे कसेत. वहानलक बल चालुबंद करजो मंग मी समज जावु या मोरी स्यायनी आय मनुन. पन तोरी टेकनकी काडी नोको फेकजो वऱ्यालक, नहीत् फोडजो मोरो डोस्का.
स्यायनी:- (मुसुर मुसुर हासन बसी) 
ह ह ह.. 
बंडु:- कायला मुसुर मुसुर हाससेस त् व् स्यायनीमाय. 
स्यायनी:- पयले दुन आब् तोरो दिमाक ज्यादा चलसे मनुन, तसोच मोरो नाती समाजसुधारक बन रही से मनुन मोला खुशी होसे. 
(अंक दुसरो)

बंडु:- काव् स्यायनी, समाजसुधारक बननो का बुरी बात से का? 
स्यायनी:- नही मोर् नाती, बिल्कुल बुरी बात नाहाय. समाजसेवा सारखो साजरो काम दुनिया मा कोनतोच नही. पन तू कोणतो समाजसुधारणा को काम करसेस मोर् नाती. 
बंडु:- मी समाज जनक् मनमा प्रेरणाकी ज्योत जगावनसाती हातमा प्रेरणा की ज्योत धरनको बिडाच उचली सेव.
बुडगी:- बंडु तू सबक् मनमा प्रेरणाकी ज्योत जलावनसाती हातमा ज्योतच धर, मोठो टेंबा नोको धरुस, मनजे भयेव.
बंडु:- अव स्यायनी, समाजहितसाती हातमा टेंबा बी धरनो पडसे. 
स्यायनी:-अरे बेटा, तोरो गलत वापर होय रही से. तोला लगसे घरघरमा ज्योत जलावनसाती हिंडुसु पन तू ज्योत जलावनसाती नहीत् घर जलावनसाती हिंडसेस. 
बंडु:- बयी भयीस काव्,अशी कशी कसेसव स्यायनी? तोरो गलत से. 
स्यायनी:- नही मोर् नाती नही, तोरो मन साफ से बेटा, तू दुसरोक घरमा प्रेरणा की ज्योत जलावसेस  या बात बराबर से पन आपल् मायको दिवो कायला बुजावसेस, मोर् सोन्या. तोरच सरीका टुरु पोटु ला सामने करस्यानी आपलच मायको अस्तित्व मिटावनको षडयंत्र रच रही सेस. पोवारी मायको  अस्तित्व मिटाय रही सेस. 
बंडु:- नही स्यायनी असो नही होय सिक. 
स्यायनी:- तू पोवार तोरी माय पोवारी बोली पोवारी पन तोला पोवारी लिखनकी उजागरी नाहाय. पवार लिखो कसेत ना तोला! तू हो मा हो मिलावसेस. धिक्कार से तोरो जिंदगानीपर. तोरा साथी आमला काही फरक नही पड कसेत, संस्कृतीक् अस्तित्व पर आघात सबदुन मोठो आघात रवसे बेटा. चारपाच जनन मिलस्यारी पोवार को पवार करस्यानी *नवपवार* अशी जात बदलायीन  बदलायीनत बदलायीन किताबमा पोवारी नावला जराशी जागा नही देयीन.पवारी ना पवारीच लिनक्स कोशिश करीन. पोवारका  बेटा बी मोरो का जासे? असो सोचकन चुपच बस्या. अस सोच न् साजर् सागुनक् लाकुडला उधयी को किडा लगेव असोच भयोव. पयले बी इतिहास संग छेडछाड भयी आब् होय रही से. 
तोर् मायको गुणगान वय नही करत, तेरा तथाकथित नेता बी नही करत.  पोवारी शब्द को पोवारइनक मनमा नफरत फैलावनकी साजीस होय रही से. एक लिखा सौ बखा, कयकन      तुमीच गलत संभ्रम मा पड जावो बेटा. 
जेला माय को नाव गलत लगसे वला का कये पाहिजे? यवच समजमा नही आव्.
बंडु:- स्यायनी माय, तोरी बात सोळाना सही से. तुन् मोरा डेरा खोलेस. मी बी त् उनक टोलीमा रयकन बाजा बजायेव. आपल पोवारी संग गलत व्यवहार करेव असो मोला लगसे. आब मी का करु. मोरी पोवारी माय मोला माफ नही करनकीव् स्यायनी. 
स्यायनी:- असो नोको सोचुस मोर् नाती. मोरो जीव दुकसे तोर् साती. तसो मोला मालुम से तोर् पोवारी माय मोठ मन की से, वको हृदय डगर से. वा तोला माफ करे, सिर्फ वको अस्तित्व नोको मिटावु ना मिटावन् वालोको साथ बी नोको देवु, मनजे भयेव. 
बंडु:- स्यायनी मी का कसु, मोर हातलका मोठी गलती होत होती. दुसर् क् माय की सेवा करनो साजरी बात से पन,  आपलच मायक सातीपर लात मारस्यानी आपलच मायको अस्तित्व मिटावनो यक् सारखो पाप यन दुनियामा कोणतेच नही. या बात मोला आब समजी. पोवारीको अस्तित्व मिटायकन पवार करनको कारस्थान आबबी मोर समजमा नही आय रही से. 
(वोतमाच नाराज नाराज पोवारी माय रोवत रोवत् आपल पदरलका डोरा पुसत प्रकट भयी) 
पोवारी माय:- बेटी तोरी स्यायनी कसे वा बात सोळाना सच से. मोरो संग सौतेलो व्यवहार होय रही से. मोर् बेटाइनला पोवारी नाव कायला खटकसे यवच समजमा नही आव. बेटा बंडु, तू बी त् बयकेव होतोस , मोलाच भुलस्यानी मोरचा आंगनमा दुसरोक् मायको दिवाना भयेव होतोस. दुसरा मोर् पोवारी नावकी नफरत करसेतच पन मोरा बेटा बेटी बी नफरत करसेत यकोच मोला दर्द से. पैसावाल् जवर पैसा मोजनला टाईम नाहाय, कास्तकारला काम धंदालक् फुरसत नाहाय, ड्युटीवालला ड्युटीक् नावपर फुरसत नाहाय, यको फायदा कारस्थानी  उठावसेत. लुगडावाली माय शहरमा आयी त वक् संग मोलकरीन सारखो व्यवहार नोको करो, बेटा. 
बंडु:- माय माय मोरी पोवारी माय, नोको रोवुस मोरी माय, तोरो अस्तित्व मीटावनक कारस्थानमा मी कबच सम्मिलीत नही होवु , यव बचन देसु. 
पोवारी माय:-बेटा मोरी लाज रख, तोला मोरो आशीर्वाद से. 
स्यायनी:- सोन्या मोरो बी तोला आशीर्वाद से. 
(पोवारी माय ना स्यायनी माय अंतरध्यान भयी. तसीच बंडु की निंद खुली.) 
बंडु:- (बंडु जोरलका नारा लगावसे) 
माय मोरी नोको रुसु, 
तोरा आसु त् मोरा आसु, 

माय बढावबिन तोरो मान
खतम करबीन कारस्थान
(पडदा पडसे)
डॉ. शेखराम परसराम येळेकर (सिंदीपार) नागपूर
२०/७/२०२०

मुसर D.P.Rahangdale 02


          मुसर
( हरबा नावको एक कुणबी होतो, वू मोठो भाविक 
होतो, ओक बायको को नाव होतो सुंदरी वा बऴि 
कनका डाईन होती, एक दिवस ऊनक घर एक 
साधु बाबा आयेव  तब.................................)
हरबा' :- आवो माहाराज जी, बसो. बहुत दिवस 
           भया  तुमरा दर्शन भयाच नही. अरे कांहा
            गयीस रे  माहाराज आया सेती. पाय 
            धोवन पाणी आण. 
(पायपाणी भयेव,आसन देईस ना लाहानांग गयेव)
हरबा :- अरे बहुत दिवस मा माहाराज आयी से 
           काही  तरण पुरण बनाय ले कसु.
सुंदरी :- कायको माहाराज, उन्हाळो का दिवस 
           सेती.यतर  गर्मीमा चुलो कोन पेटाए कसु,
           पर तुमी  कसेव त दुकान परलक काही    
           मालमसाला  ना सामान आनदेव कसु.
हरबा :- ठिक से, दे झोरा दुकान पर जासु.
   (हरबा दुकान पर जासे, सुंदरी मोठांग जायशान )
सुंदरी :- तुमी कायला आयात माहाराज,आमर 
           घरको मुराट्‌या ढिवर घर मुसर आनन गयी   
           से,आमर  घर कोणी आया त उनला मुसर
          लक मारसे ना उनकी मालमता हिसकसे.
साभु :- वायह्‌याद से, मी पराय जासु बाबा.
सुंदरी :- वए गली करलका आयेती, तुमी लाहांनाग
           लका पराय जाव तुमरो जान बचजाए.
(साधु माहाराज परासे हरबा सामान लेकर आवसे )
हरबा :- अरे या सामान धर, ना काही बनाए ले 
           कसु पर माहाराज काहां गयेव दिस नहीना.
सुंदरी :- काय को माहाराज आय. मोला मुसर च   
           मांग.नाहाय कहेव त  पराय गयेव.
हरबा :-देयदेन को होतो जसो खराट्‌या माहाराज 
          ला   खराटा, गाडगे बाबाला गाडगा,तसो 
          एव  मुसर्‌या महाराज होए.
सुंदरी :-  तुमला गरज रहे त लेयदेवना मुसर. 
हरबा :-  दे ऊ मुसर लेयदेसु.
(मुसर माहाराज ला देखायशान जोरलक कसे, 
माहाराज मुसर धरो, मुसर ला देखशानी माहाराज भलतोच समजसे ना सुटमुंडा करसे.)

डी पी राहांगडाले
    गोंदिया

मतदान chiranjiv bisen 02


                मतदान
                  
         बात तब की आय जब मतपत्र (बायलट पेपर) ल् मतदान होत होतो. असोच एक लोकसभा क् चुनाव मा तीन दोस्त वोट देयकर आया.अना आपस मा चर्चा करन लग्या. 

१ लो दोस्त - अबे, इमानदारी ल् सांगो कोण कोणला वोट देईस त्? 

२ रो दोस्त - मी सांगू का, मोला पंजा वोलो न् १०० रूपया, घडी वालो न् १०० रूपया अना फूल वालो न् ५० रूपया देई होतीन. मी सोचेव कोणी को फुकट नही खाये पायजे. मून मीन् तीनही झनला एक एक वोट देय कर आयेव. 

३ रो दोस्त- तोरी त् चांगली २५० रूपया की कमाई भय गई. मोला नही भेट्या भाऊ एकबी पैसा. तसा मी वोट का पैसा लेव बी नही. 

१ लो दोस्त - पर वोट कोणला देयेस ऊत् सांग? 

३ रो दोस्त - कोनला मंजे. कोणीकाच पैसा नही भेट्या त् कोणीलाच वोट नही देयेव. कोरोच पेटीमा टाक देयेव. 

२ रो दोस्त - चांगलो करेस कोणीलाच नही देयेस त्. तसो वोट देयेव ल् काही फायदा बी नाहाय. आता तू सांग भाऊ, कोणला देयेस त् वोट? 

१ लो दोस्त - मोला बी दुय झन करल पैसा भेट्या. पर मीन् बिचार करेव सब झन चुनकर आवन साती उभा भया सेती. कोणीको अपमान नही करें पाहिजे. मून मीन् ७ उमेदवार होता उनला सबला एक एक वोट देय देयो. 

            चिरंजीव बिसेन 
                     गोंदिया.

आबं जासू y.c. Chaudhary 02



       आबं जासू

राधा-अहो आयक्यात का?कन्हारकं पारपरको आंबा फरी सेना.आंबा हो-या खासेती,वय तोड़लेता कसू.
 
श्रीधर-मग का कवनो से.
राधा-बाईघर पठाय देता  ,गोड़ कड़ी, आमटी बनाया रव्हता कसू.

श्रीधर-मी बापकं राजमा आंबाक झाड़पर चगेंव नही ,आता चंगू कसेस,

राधा-आयको नही ना आपलीच जुपसेव.

श्रीधर-ना पड़ेव झाड़परलं त, चारानाको आंबासाठी बाराआना खर्च करू कसेस.
 
राधा-तसो नही कव्ह मी.गणू सेना,ओला पठावता कसू.

श्रीधर-उ झखड़पर चंगे कसेस.
सिड़ीपर चंगसेत खाल्या देख नही.

राधा-मग तुम्ही आनोका?जरासो सेंग तोड़नला स्टुलपर उभा होसेव त लवर -लवर कापसेव.
गणूच आने झोड़श्यानी.

श्रीधर-सांगजो पर लक्षपुर्वक चंगजो ना उतरजो कवजो नहीत लेनकं देनमा पड़ जाय .
(ओतमाच गणू टंग्या धरश्यानी आवसे)

राधा-टाईमपरच आयेसरे.
गणू- कोनतो काम करनको से तजी.

राधा-कन्हारपरका आंबा तोड़नका होता.ना तुभी लिजाय रव्हतोस.

गणू-आब जासू ना आनुसूजी.

श्रीधर-जरा हिसाबलं चंगजो ,बांभुड़ा सेती झाड़पर.

गणू-असा केतरा झाड देखेवजी .बटाला झोड़श्यानीच आणुसू.

राधा-हो हो कसाहि आण पर आण.
(गणू जासे थोडो टाईममा धावत आवसे)

श्रीधर-काजक भयोव तगा. बाघ मंग धायवानी परात आयेस.

गणू-का सांगूजी आंबाको खादाच पड़ेव ईलेक्टीकं वायरपर ईसतोको भपका भयव ना वायर टुटेव.

श्रीधर-हट बटा अटबैल्या तोरो काम असोच से.आता आयी ना पंचाईत.येलातं बस बाईघर पठाय देता ना आमटी खाय लेता.
आता दंड भरनो पडे़. 

राधा-खरीच तोला नाव शोभसेरे 
बेकारच सांगेव तोला.बजारमाका 
लेया रव्हतात बेस भयोव रव्हतो.
(कार्य कुसलता ओळखश्यानी
काम सांगो.नहीत पसतावनकी
पारी आवसे)

वाय सी चौधरी
गोंदिया
दि.२०/ ०७/२०२०

Thursday, July 16, 2020

सफलता की कुंजी chhaya pardhi 06


      सफलता की कुंजी

             एक गण की बात आय । एक गाँव मा प्रज्ञाप्रकाश नाव को एक विद्वान रवत होतो । धन – धान्य लक  संपन्न होतो. ... ज्ञान उनको जवर येतो होतो  कि दूर – दूर लक लोक आपलो समस्या को समाधान साती उनको जवर आवत होता । सब उनला *गुरूजी*  कवत होता।
         एक दिस की बात आय,,, एक नवयुवक गुरूजी  जवर आयेव ना कहीस   – “ गुरूजी मोला सफल होणको  रहस्य सांगो,  मोला भी लगसे की मी तुमरो सरिखो  विद्वान बनकर आपली गरीबी दूर कर सकून ।”

गुरूजी हास्या अना नवयुवक ला दुसरो दिवस झुंनझुरका  नदी पर बुलाईन  । युवक ला भी आंग धोवण को होतो मून ऊ भी कपडा धरके दुसरो दिवस झुंनझुरका नदी पर पोहचेव। 

गुरूजीन ओंन युवक ला नदीमा गयरो पानी मा लिजाईन जहान पाणी गरो को वरत्या भयेवं त ओला डूबाय देईन ।  युवक को नाक तोंडमा पाणी गयेव त युवक मसरी वाणी तडफडान बसेव ... मंग गुरुजीन वोला सोड देइन  । युवक लाहकत लाहकत नदी को बाहर परायेव । जब ऊ होसमा आयेव ,,,, कहीस  – “ तुमि मोला काहे डूबावत होतात गुरुजी?"  

गुरूजी: – “ नहीं बेटा ,मी  तोला,सफलता को रहस्य सांगत होतो । अच्छा सांग ? जब मींन तोरी मान पाणी मा डूबायेव तब तोला सबदून जादा कोणतो चीज की इच्छा होत होती ?”

युवक – “ साँस लेनकी ।”

गुरूजी – “ बस येवच सफलता को रहस्य से । जबं तोला सफलता साती असि उत्कंठ इच्छा होये, तबन तोला सफलता मिल जाये । यको बिना अखिन कोंतो  रहस्य नहाय ।”

*सिख*  – जीनगी मा सफलता हासिल करनो रहे त ओनं चीज साती रातदिवस एक कर दे ये पायजे।
*अब्दुल कलाम जी न कही सेन*…….
*सपने वो नहीं होते जो आप सोने के बाद देखते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते*

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

Monday, July 13, 2020

कसी बनी मामाजी mahendrakumar patle 01


   कसी बनी मामाजी

(शुक्रवारको आमगाव बैल बजारलक आयेवको बादमा तीन बिहाईको जेवणको पंगतपरको संवाद..... 
स्थान:- चतुरजीको टुराकी ससराल )

रामाजी:- अज कयी दिवसको बाद कटारकी श्याक खायके असी आत्मा तृप्त भयी.

गोमाजी:- बरोबर कह्यात बिहाई, अज त् खानोमा मज्या आय गयी. 

चतुरजी:- मोरो बहूको हातमा जादुच से बिहाई, मोला त् इनको हातकी श्याक खायके मोरो मायकी याद आय जासे.

रामाजी:- कायी बी सांगो बिहाई, पर असी झक्कास श्याक तुमरी टुरी भी नही बनाव्. 

गोमाजी:- बिहाई तुमरी भी त् टुरी भी तसीच से जी, कभी श्याक खारी बनाय देसे, त् कभी अलोनी.

चतुरजी:- बिहाई खोट त् तुमरोमाच से जी. कभी बजारलक कायी चांगली भाजी आनो नही, ना बहू इनला खोट देसेव.

गोमाजी:- खरी कह्यात बिहाई, ये रामाभाऊ त् बजार सरेव परच बजार करनला जासेत; ना आनसेत दुय रूपयाका चार किलो भेदरा.

रामाजी:- येती बढाई सांगो नोको बिहाई, तुम्ही त् शुड्डू  का पैसा बच्याच त् आनसेव बजार, नही त् दुकानदारको सडेव पडेवच सही.

चतुरजी:- तुम्ही दुही बिहाई ना,  एक नंबरका पैसा का चोचल्या सेव.

रामाजी:- जान देयेव बिहाई, तसी आमरीच टुरी शहानी से. म्हुन तुम्ही येतरी मोठी मोठी बात् सांगसेव.

बहूबाई:- त् सांगो, "कसी बनी मामाजी पिकेव कटार की श्याक......?"

सब बिहाई:- बडी मिठी, बडी मिठी.
********************************
महेंद्रकुमार ईश्वरलाल पटले (ऋतुराज)
ता. १३/०७/२०२०

टूरा टूरी ला देखन गयो पर kalyani patle 01


 टूरा टुरी ला देखन गयो पर

माय: चलो जल्दी जल्दी तयारी करो तूमला टुरी देखन जानो से नहीं त मोटर निकल जाये.

फुफा: हव मी अच्छी तयारी करूसू, मी टुरा की फुफा आव ना काही मोरो भी रूबाब पड़े पाहीजे.

टूरा: तुम्ही कांता मावसी आव ना, तुम्हारा केस कारा कसा भया.

मावसी: मीन अजच केसंला वू का कसेत रे वोला........  टाय लगायो.

टूरा: मावसी टाय नहीं डाय.

    (टुरी को घर आवनो पर)
(टूरी को माय ला आय क नो मा दिकत रवसे)
माय: आवो बाई बसो आवो

फुफा: भाऊ गीन कहा गया त.

माय: नहीं बाई मी कहीं नहीं जाव मी घरच रवुसू.

फुफा: टुरी कहा सेत बुलावोना.

माय: नहीं बाई आमला एकच टुरी से.

मावसी: (जोर लक) टुरी ला बुलावो कयो.
           (टुरी आवसे)
फुफा: काजक नाव सेत बाई

टुरी: दार भात खाई.

मावसी: कहातक पढ़ी सेसत बाई.

टुरी: अर्धो दिन तक पढ़ी.
 (अर्धो दिन=१२ वरी)
टूरा: तोला गाना आव से.

टुरी: हव.

टूरा: गायके देखाव.

टुरी: (कारो चश्मा लगायके) गोरे गोरे मुखड़े पे काला काला चश्मा...........
  
     कु.कल्याणी पटले
      दिघोरी, नागपुर

समझदारी hirdilalji thakre 01


               समजदारी 
एक बरबसपुरा गाव मा एक वकील साहाब
रव्हसेत ,,,,वकील साहाब ला एक अटर्णी की आवश्यकता रव्हसे,,,,, इतवार छुट्टी को दिवस वकील साहाब अटर्णी को तलास मा गाँव गाँव फीरत रव्हसेत,,,, ,फीरता फीरता भजियापार को आखरपर पंहुँच जासेत,,,,, भजियापार को आखरपर चाँय खर्रा की दुकान सुरू होती ,,,,,,एक दुकानपर हिरदीलाल नाव को एक आदमी ऊभो होतो,,,,,, कारो प्यांट पांढरो शर्ट, बाल हिप्पीकट, कव्हन को मतलब, बेलबांटम हिप्पीकट अमिताभ बच्चन चकाचक,,,,, वकील साहाब समज गया येव माणुस आपलो काम को से,,,, अटर्णी को काम बिलकुल सावधानी लक कर सकसे !!
           वकील साहाब हिरदीलाल जवर गया दुही हात जोडकर भाऊ राम राम जी,,,,,, हिरदीलाल दुही हात जोडकर जय राजा भोज जय माहामाया गडकालीका,,,,, हिरदीलाल कसे सांगोजी भाऊ कसो आवनो भयेव,,,, वकील साहाब कसे मोला एक अटर्णी की आवश्यकता से अना येन काम साती तुम्ही बिलकुल परफेक्ट सेव तुम्ही काम करो का जी,,,,,, हिरदीलाल कसे भाऊ आपलोला पैसा कमावनो से,,,,, काम करनला कायकी शरम ना लाँज काम रे भयी काम,,,,,, दुहीजन मा बातचित भयी पर महत्वपूर्ण बात वकील साहाब न हिरदीलाल ला पढाई लिखाई नही खबर लेईस,,,,, हिरदीलाल सोमवार पासून डिवटी पर सुरु!! 
           सोमवार ला बरोबर 9 बजे वकील साहाब को घर् जायकर हिरदीलाल कसे सर नमस्कार मी डिवटी पर हाजर सेव तुम्ही हुकूम करो जी,,,,,,, वकील साहाब कसे हिरदीलाल आब आता कचेरीला टाइम से बाजु को दुकान लक 10 रु की चिल्लर आणले,,,,,, वकील साहाब न 10 रु की नोट देईस हिरदीलाल दुकानपर गयेव दुकानदाराला चिल्लर मांगीस,,,,,, ,दुकानदार कसे 1 2 का सिक्का देऊका 5 5 का दुय देऊ, हिरदीलाल ला समज नही आयेव 5+5 दस होसेत,,,,, वकील साहाब ला खबर लेसे 5 5 का दुय आनु का?  ,,वकील साहाब कसे आणले,,,,,
         दुसरो दिवस वकील साहाब अटर्णी ला कसे ,,,,,, हिरदीलाल तोला मोरो एक काम करनो पडे करजो का,,,,, हिरदीलाल कसे साहाब सिर्फ काम सांगो जी,,,, वकील साहाब कसे मोला एक टुरी से जी भाऊ वोको बिह्याको टेंनसन से जी भाऊ,,,, टुरी बहुत लीखी पडी से त मगं आपलोला टुरा भी लिखेव पडेवच पायजे,,,,,  अना महत्त्वकी बात टुरा 30 साल को पायजे असो काम से जी भाऊ,,,,, हिरदीलाल कसे साहाब टुरा गुणवान बुद्धीमान शीलवाण देखु जमत पावत लक 30 साल को देखु अना नही मीलेव अगर नही मिलेव 30 साल को त मगं,,,,, वकील साहाब कसे वापस आय जाजो सकारी देखबीन,,,, हिरदीलाल कसे साहाब एकच कामला दस गंन जानो ऊचित नाहाय,,,, मोरो हिसाब लक गुणवान बुद्धिमान देखु जमत पावत लक 30 साल को भी देखु अगर 30 साल को नही भेटेव त बटाला 15,15 ,साल का दुय टुरा जमाकर आऊ पर वापस नही आव जी,,,,,, वकील साहाब कसे 15,15 ,साल का दुय नही चलत,,,, हिरदीलाल कसे साहाब जब 5,5, का दुय सिक्का चलसेत त मंग 15 ,15 ,साल का दुय जवाई काहे नही चलत?  वकील साहाब समजगयेव की हिरदीलाल पुरो अठ्ठया को अठ्ठयाच से जी येला काही समजदारी नाहाय असो मोला लगसे!!
           येकोपर लक मोला असो बोध होसे,,,,, जसी स्थिती आहे तशा परि राहे कौतुक ते पाहे संचिताचे,,,,, बुद्धिको अना बेलबांटम हिप्पीकट अमिताभ बच्चन चकाचक को काही संबध नाहाय,,,,, चांगला ऊच्चो श्रेणी का कपडा डाकने वालो आदमी बुद्धिजीवी रहे येव अनुमान लगावनो गलत होय सकसे,,,,,,, अना फाटेव कपडा टाकनेवालो अणपड रहे येव अनुमान लगावनो भी गलत से जी भाऊ माहामाया गडकालीका सबको कल्याण करे जय राजा भोज 
                  
       श्री हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे 
पोवार समाज एकता मंच परिवार पुर्व नागपुर

आंबा को भाव chiranjiv bisen 01


             आंबा को भाव
               
(सिताराम बजार मा आंबा लेन जासे) 

सिताराम - भाऊ, आंबा का भाव देयात? 

दुकानदार - दस रूप्या मा बीस लिजाव. 

सिताराम- असो करो, मोला २५ रूप्या का ५० देय देव. 

दुकानदार - नही भाऊ, दस रूप्या का बीस मिलेती. वोक् दुन कम या जादा नाही. 

सिताराम - वुचत् कसू, १० का २० वोक् मानल् २५ का ५० देय देव. 

दुकानदार - मोला उल्लू समझसेव का? १० का २० म्हणजे १० का २०. एक कम नही ना जादा नही. 

सिताराम - अच्छा ५ रूप्या का केतरा आहेती? 

दुकानदार - १० का २० त् ५ का १०. 

सिताराम - ठीक से. तू असो कर १० - १० रूप्या का दुय जागा अना ५ रूप्या का १ जागा आंबा दे? 

दुकानदार - ठीक से. ये १० का २० ये दुसरा १० का २० अना ये ५ का १०. धरो. 

सिताराम- आता तोला केतरा रूप्या भेट्या. 

दुकानदार - १० ना १० भया २०. अना २० ना ५ भया २५. 

सिताराम- मोला आंबा केतरा देयेस? 

दुकानदार - २० ना २० भया ४०. अना ४० ना १० भया ५०. 

सिताराम - देख २५ रूप्या का ५० आंबा भया. असोच त् तोला कव्हत होतो. 

दुकानदार - अजी, मोर् दिमाख माच् नही बसेव. 

                चिरंजीव बिसेन 
                     गोंदिया

रोज की कहानी sharda chaudhary 01


             
                     रोज की कहानी
                  
रखमा:  अजी कहान गयात तं, आयक्यात का  मी का           सांगूसू तं.
रघु : जोर लक कायला  चिल्लासेस  तं, बयरा समजसेस का मोला ?
रखमा: का कहेव तं तुमला, एक दिवस चांगली गोष्टी नही सांगो.
रघु: मी का पागल सेव तोरो संग गोष्टी सांगनला?
रखमा: मी न असो कहा कहेव तं, तुमीच खुदला  पागल कसेव.
रघु: तोंड तं मार चलावसेस.
रखमा: मी तं तोंडच चलावुसू, तुमरो सारखा हाथ तं नही चलावू, दिवसभर मोबाइल पर चीपकेव रवनला पाहिजे पोवारी कविता लिखन साठी.
रघु: तं मंग तोरो पर लिखु कविता? मोठी अप्सराच सेस का नही.
रखमा: मीनं कहा कहेव तं मी अप्सरा सेव मनुन, पर तुमरो पेक्षा चार हाथ सरस सेव.
रघु: हे भगवान! कोण येको तोंड ला लगे... शेरी वानी चर चर कातंसे.
रखमा: तुम्ही बी काही कमी नाहाव, हिंडसेव रोज मरद-माना को संगं, बाई को नाव बदनाम से,  पर कमी गोष्टी नही सांगत मरद माना.
रघु: कोण तोरो तोंड ला पुरे... जान दे.सांग का सांगत होतीस तं.
रखमा: आता आयात नही रस्ता पर. मी कहेव आपलो बिह्या लगाइतीस वू पंडित मरेव मनुन सांगं सेती.
रघु: अच्छो भयेव बटा मरेव तं, आपलो करम का फल भोगीस वोनं.
रखमा: कोण घडी मा येको संग नसीब को पाला पडेव तं कोण जाणे!  या रोजकीच कहानी बन गयी से.【रखमा डोक्सा पर हात मारस्यान उगी-मुगी रय गयी】

     शारदा चौधरी
     भंडारा

खाजो Y.C Chaudhary 01


      
             खाजो 

सुधा-अवो आयक्यात का?काहानी गयात मालुम नही.घड़ीभर घरमा पाय ठहरत नही.रामु कहा गयारे तोरा अजी.

रामु-दुकानपर गया सेत तंबाकू लेनला.

सुधा-कायको यव व्यसन आयतं ,समजं नही बाई.तंबाकू तोंडमा भरलेसेती ना पिरीक पिरीक थुकत रव्हसेती, दिवालं खराब कर टाकीन.

गगाराम_कायला बड़बडासेस तं
काजक भयोव?

सुधा-अखाड़ लगताको खाजो बाईघर लिजाय देतात.ना मुलाखात करश्यानी आवतात कसु.

गंगाराम-हं हं मग बनावना खाजो खुरमी ,सेव झना चिवड़ा .

सुधा-हो हो,सामान आनदेव दुकानपरलं.रातमा बनावू ,मग सकारीच चली जावो पहिलं मोटरलं.

राजू-मी भी जावू गावं अजीक संग.
सुधा- हो हो जाजोस ,ना खाजोको झोरा तुच धरजो गयसालं तोरा  अजीगी गया होता.
त सातुका लाडु फुट गया होता कव बड़ीबाई .थैला धरको होश नही रव्ह ईनला.

गंगाराम-जरासा कड़क बनायी रव्हतीस त ,नही फुट्या रव्हता.हातमा धरीस त फुटत ,अर्धो लाड़ू
खाल्या सडं.

सुधा-मंग रवाका बनावुसू चांगला कड़क लाड़ू

गंगाराम-हं  हातोड़ी नहीत अड़कीता देय देजो
लाड़ू फोड़नला.

सुधा -बस तुम्हलातं मजाकच समजसे . बनावो तब मालुम पड़से.

गंगाराम-तसी तू सुगरन सेस ,मुहुन योव घर संसास सुखी से, आब आनुसू समान.

सुधा-गोष्टी खपालत नोको रहो लवकर आवो नहीत तंबाकू मलत रहो दुकानपर.

गंगाराम- बस गयोव का आयोव.
(गंगाराम जासे ना सुधा आपलं घर कामला लगसे)
संवाद लेखन
वाय सी चौधरी 
गोंदिया

नवीन पिढी D P Rahangdale 01


                    नविन पिढ़ी
                    
एक गावमा रघु नावको एक मुशाफिर आयेव, 
आखरपरा काही टुरा खेलत होता रघु न एक 
टुराला हाकलीस तब ....................
रघु :- अरे बापु इतन त आव, ओन्ज्या का करसेव?
टुरा:-{ धावत रघु जवऴ आयशान } अंधरा सेव का
       दिस  नही आमी खेल सेजन त.
रघु :- बापरेबाप तु कोण को टुरा आस त?
टुरा :- आपल मायको.............बापको काहे नही?
        .............मोला जनम देईस वा माय ना ओंन     
         जेको नाव  सांगीस ऊ बाप मणुनच पयले
          मायको नाव.
रघु :- मोला आपल घर लिजाजो का?
टुरा :- नही,मी तुमरो वजन नही धर सकु तुमला 
         आपल पायलकाच चलनो पऴे. 
रघु :- तुमरो घर कांहा से त.
टुरा :- मंदिर क सामने...... ना मंदिर.? ...... 
         ऊ आमर घरक सामने च से.
रघु:- एव रस्ता तुमर घर ला जासेका?
टुरा :- नही, रस्ता जाहां को वाहाच रव्हसे, आपलो 
        लाच जानो पऴसे.
रघु :- तुमर घर केतीक भसी सेती, वय केतोक दुध      
         देसेती?
टुरा :- पाच सय भसी सेती, पर वय दुध देत नही, 
         दुध आपलो लाच काहाऴनो पऴसे , 
         बहयाऴा कहींको.
रघु :- हं हं ज़ास्त नोको सांगुस, उर्मट च से बापा.
                        
डी पी राहांगडाले
     गोंदिया
9089216540                     

संस्कार D.P.Rahangdale 18


                संस्कार 
                      
संस्कारकी व्याख्या करण बसेव संस्कार योकाहाय
गुण को गुणाकार ना दोषको भागाकार असो आय

मोठइनकी गुण को गुणाकार करो त बऴत जासेती
दोष को  तुमी करो भागाकार लाच संस्कार कसेती

आपल मायबाप को आचरण,  गुरु बचन पर ध्यान
ओकीच पऴसे छाप,उच संस्कार ओकोच से मान

गर्भ संस्कार बाल  उपनयन असा संस्कार सेती
धार्मिक,सामजीक कौटुम्बीक संस्कारभी रवसेती

जसो मातीला गिलावा देयशान आकार देसे कुंभार
तसीच कोरी पाटी संतानकी चांगला देवो संस्कार 

गर्भकी छाया,मायबापकी माया ना गुरुको आशीर्वाद
संतान होय हुशार सदाचारी कुलवंत धनीक नीर्वीवाद

अभीमन्यूला भएव गर्भ संस्कार चक्रव्यूव भेदनको
धृव ला भयेव बाल संस्कार विष्णु नाव जपनको 

वाल्याला भएव उपनयनसंस्कार सोऴीस माया सारी
साधुसंत लका आध्यात्मिक संस्कार से सबपर भारी

चांगलो समाज का चांगला संस्कार नाव मोठो करो
माया जाल लका निकलशानी गुरु का चरण धरो

डी पी राहांगडाले
      गोंदिया
९०२१८९६५४०

संस्कार shekhram yedekar 18

       संस्कार

घरमा संस्कार, संसार उध्दार
धर्म को आकुर, सुखरुप।। १।। 

अजी ना मायका, संस्कार टुरामा
जगन की सीमा, शिकावसे।। २। 

जेक् संग रहे, संस्कार को वास
जींदगी को नाश, नही होय।। ३।। 

जेक संगतीला, संस्कार की कमी
सन्मान की हमी, कशी भेटे? ।। ४।। 

जेक् भवनमा, संस्कार की खाण
बुज्रुक सन्मान, चोये वहा।। ५।। 

अज का संस्कार, सकारी चोयेती
पीढीमा आयेती, बेलासक।। ६।। 

कवसे शेखर, जपो यव धन
पराये दुर्गुण, बहु दुर ।। ७।। 

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर*
दि १२/७/२०२०

संस्कार mahendra patle 18


विषय:- संस्कार(प्रकार:- अभंग)
 संस्कार की बात

संस्कारकी बात| मुखमाच बसी| 
सांगसेती तसी| दिस् नही||१||

कोरो यव ज्ञान| कायको काम् को| 
ईज्जत घाम् को| सब करो||२||

परीभाषा येकी| नाहाय जरुरी|
नजर करारी| ठेवो आता||३||

अनेक संस्कृती| संस्कार अलग|
सबला सलग| कसो जोडो||४||

मास ना मदिरा| वर्ज्य सेत कही|
काहीसाती सही| वोय सेती||५||

घड् से मानुस| जसी गा संगत| 
तसीच पंगत| वोला भेटे||६||
 
सबको अनोखो| रव्हसे आचार| 
जसो गा बिचार| तसो बने||७||

चांगलो गलत| मनकी धारना|
संस्कार पारना| झुले आता||८||
महेंद्रकुमार ईश्वरलाल पटले(ऋतुराज)
ता. १२/०७/२०२०

संस्कार vandana katre 18


संस्कार

संस्कार से सोपस्कार
माय बाप घर का दान
गर्भगृह मा  च भेटसेत
योग्य, अयोग्य उ वान ।।

धर्म कि वा सिदोरी
ठेवसे सज्जन को संग
दुर्जन को प्रतिकार
षड्रिपु ला करसे भंग ।।

कष्ट सांगसे महिमा
पसीना मा भेटे राम
कृष्ण को गीता सार
जीवन को मुक्तीधाम ।।

समभाव, भूतदया
प्रेमभाव कि से शान
परमहित साधन को
से यव अमृत ज्ञान ।।

सम्मान की परिभाशा
सुखी होसे तन मन
संस्कारित अमृत वानी
होसे अनमोल धन ।।

कर्म कर्तव्य को गाव
जपसे स्वाभिमान
निंगरा परा चलनोमा
बढावसे अभिमान ।।

टुरा हो या टूरी रहे
मान संस्कृती को ऋण
सुसंस्कार लक होये
भारत कि सिधी मान ।।

वंदना कटरे। "राम-कमल"
गोंदिया
12/07/2020

संस्कार chiranjiv bisen 18

             संस्कार
              
आदमी ला माणूस बनावन मा जिनको से हात, 
वोको नाव से संस्कार,करसेत दुर्गुण पर मात. 

संस्कार कई प्रकार का सेती पालन करन साती, 
लहानपण पासून देया गया त् फायदा करसेती. 

आपल् दून मोठो ईनके करसे आदर सन्मान, 
संस्कार मा से येको समावेश बनसे वु महान. 

गरीब,दुर्बल ला मदत,नारी को बी होसे सन्मान, 
वु घर धरतीपर बनसे स्वर्ग समान. 
परिश्रम की आदत अना समयपर करसे काम, 
वोकी होसे तरक्की, पावसे जगमा नाम. 

बुजुर्ग की देखभाल अना होसे जहॉ सेवा, 
वोन् घर को सबला रव्हसे आदर ना हेवा. 

लवकर उठनो,साफसफाई करनो, परिश्रम करनो, 
येव बी  संस्कार कोच् भाग आय सच जानो. 

अतिथी सत्कार बी आय संस्कार कोच् भाग, 
माय बाप गुरू को आदर करसेत वोय आत महाभाग. 

भाई भाई जहॉ रव्हसेती मिल जुल कर संगमा, 
धन,धान्य,संपत्ती वहॉ रव्हसे मुबलक हमेशा. 

                रचना- चिरंजीव बिसेन 
                              गोंदिया.

संस्कार का भाव kalyani patle 18


संस्कार का भाव

संस्कार का भाव,आती आदर सम्मान,
भारतीय लोकइनन देयीन, येको फरमान।।

इन्सान न बनाईस, जाती-पाती,
वोकाच सदगुन, दिस सेती।।

संस्कार को बीना,समाज से अधूरो,
मोठो इनको आदर, करनो से पुरों।।

पूर्वज को चालीरीति लक, चल से घर,
अज को पीढ़ीला,नहाय कोई को डर।।

आदर सम्मान लक, सब संग रवबीन,
पुर्वज को धरोहर ला, संभालके ठेवबीन।।

         कु. कल्याणी पटले
            दिघोरी, नागपुर

संस्कार sharda chaudhary 18


                   संस्कार

आज को माणूस ला गरज से उपचार की
संस्कार या किमती चीज आय येनं संसार की ll

येनं जमानो मा केवल शब्द बन्या संस्कार
कसेती असाआपला बडा बुजुर्ग बारंबारं
संस्कार आय वाणी आमरो ऋषी मुनी की ll1ll

रिश्तो को नहाय मोल ना कोणी को आदर
आज की या पिढी करसे प्यार पैसा पर
संस्कार धरोहर आय आपली पुरो जिंदगी की ll2ll

येनं दुनिया मा आया आम्ही जन्म दाता का उपकार
सुख दुःख सहस्यांनी देईन उन नं लाड-प्यार
उनकी कदर कर सेती संस्कार पड्या जिनको पर ll3ll

विद्या बनीसे शिक्षा गुरू रहेवं सिर्फ मास्तर बनकर
चेला न लगाय देइस ताकत विध्वंसक कार्य पर
समाज ला गरज से अर्जुन अन द्रोणाचार्य की ll4ll

संस्कार नही रहेत तं सब व्यर्थ से संसार 
बिना संस्कार को माणूस करसे पशुसम व्यवहार
संस्कार आय कडी जीवन सफल बनावन की ll5ll

जेतरा गहरा घड्या रहेती कोणी माणूस पर संस्कार 
वू हमेशा लेतो रहे धर्म सत्य न्याय को आधार
संस्कार नीव आय माणूस को आचरण की ll6ll

         शारदा चौधरी
              भंडारा

जीवन संस्कार hargovind chikhulu tembhare 18



जीवन संस्कार

पुरानो जमानो की बात निराली,
आजा-आजी लक होती संस्कार की जागवली ll

आजा आजी की कहानी आता भय पुरानी, दुनिया भई इंटरनेट की दिवानी ll

आयकसेती कथा कहानी पर नही बन बात,जसी सुनाव आजी माय कहानी ll

संस्कार विहिन टूरु-पोटू भया गुगल ज्ञान का गुरू,
समझ नही आव आता कसी होये संस्कार शाळा घर की सुरु ll

पाश्चात्य संस्कृती ला धरनो आय,
आपरो संस्कृती संस्कार को नाश करनो ll

टुरी  को मंग होय स्यारी दिवानो,
फिरसे पगला वानी जमानो ll

माय-बाप को कमाई पर करसे मनमानी,
गलत काम मा बीत गयी जवानी ll 

माटी मोल होय जाये संस्कार-संस्कृती,
मन मा आये जब गलत बिचारं की विकृती ll

जगावो सबमा आता जनजागृती,
बचावनो से अगर संस्कार संस्कृती ll

प्रा.डाँ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे
मु.पो.दासगांव ता.जि.गोंदिया
मो.९६७३१७८४२४

संस्कार varsha patle rahangdale 18



     संस्कार

माय  तोरा संस्कार करीन मोला गुणी
तोरो ममता को  रहु मी सदैव ऋणी।।

लहानपण की वा थापड तोरी 
आबबी से मोरो ध्यान मा कायम
वोको बादमा माय तोरा शब्द
कान मा पड्या होता मुलायम।।

संस्कार की शिदोरी तु आमला देयेस
खरो खोटो की समज मनमा भरेस
आई होती गरीबी घरमा तरी माय
स्वाभिमान आपलो नही सोडेस।।

आपलो घरकी होतीस तू मोठी बहु 
बहुत गरीबी देखेस माय तून घरमा
कभी कभी चाऊर को कण नही रव्हत होतो
पोटखोली को खालत्या को भदाडमा।।

शेन पुंजा बाहार,बोहोर अना सयपाक पाणी
कसी सांगु माय तोरो कष्ट की मी कहाणी
आबबी याद आया  वय दिवस म्हणजे
मोरो डोरा मा भरके आवसे बडो पाणी।।

माय घरका तोरा संस्कार जपेस तू 
घरकी बात कभी बाहेर नही काहाळेस तू
वयच संस्कार धरके मी बी आब सेव
जसो बालशिक्षण देयेस तून मोला तू
सौ.वर्षा पटले रहांगडाले
बिरसी आमगांव

विकास y.c.chaudhary 18


संस्कार

      विकास
(तर्ज-अभंगकी)
    
मानव नरदेह, एकबेरा भेटसे
कार्य करो थोर, जिवनमा।
राजाभोज सरीका ,होवो चक्रवर्ती
पोवारकी किर्ती ,जगभर।।१।।

टुरा- टुरीला देवं, चांगला संस्कार
उनको भविष्य, सुखीहोय।
शिक्षण शिकावो,ऊच्च दर्जाको
समाजमा मान ,कुटूंबको।।२।।

डॉक्टर मास्तर, भया ईंजिनीअर
मारो गरूड़ झेप ,कलेक्टर।
शिक्षण चांगलो,आदर्श आपलो
ठेवो सबसाठी, समाजमा।।3।।

नौकरी साठीसब, सोड़िन घरदार
घर संसार कर ,लक्षठेवो।
मायना बापकी ,करो तुम्ही से्वा
श्रावन बाळ जसी ,किर्तीहोय।।४।।

समाजमा सुंदर, शिकी टुरी सेती
दुसरं जातीकी ,आनोनोको।।
जमानोकी रीत ,बदल गयीसे
दुसरोकं घरं ,जानलगी।।५।।

दुसरं जातीमा ,नोको करो बिह्या
परीवारकी नाक ,  कापोनोको।
घर संसारला, स्वर्ग करो आता
धन्य सासु-बहु, मायबेटी।।६।।

सुकार्यकी किर्ती, चौबाजु पसरसे
प्रसिद्धी मिळसे, जिवनमा।
थोरकं सरीका,जरा कार्यकरो
प्रसिद्धी मिड़ावो ,समाजमा।।७।।

आपला संस्कार ,दुसरा चलेती
उद्धार करेती ,कुटुंबको।
संधिको फायदा, लेव सुसंस्कार
समाजको विकास, तब होय।।८।।

वाय सी चौधरी
से .नि.मुख्याध्यापक
गोंदिया

संस्कार chhaya pardhi 18


           संस्कार
तेजस्पर्श लक दूर होसे अंधकार,
जसो जळमूल को वृक्षला आधार
शिल्पला आकार देसे शिल्पकार,
तसो मनला घडसेत साजरा संस्कार।।१।।

गर्भधारणा पासून करसेत गर्भसंस्कार
साजरो साहित्य,विचार ठेवसे स्त्री गर्भार
शिशु की विचारशक्तिला मिलसे आकार
करिस अभिमन्यु चक्रव्यूह रचना साकार।।२।।

जन्म को बादमा सूतुक केशवपन संस्कार
बारा दिसमा होसे बारसो नामकरण संस्कार
दिवारी को दिस करसेत अन्नप्राशन संस्कार
आयकनकी शक्ति बढ़ावसे कर्नछेदन संस्कार।।३।।

गुणवान पुत्रपुत्री बढावसे कुल को नाम
संस्कार लक पीढ़ी होए सुसंस्कारी निर्माण
जिजाऊ माता को संस्कारमा बढेव शिवबा
पर स्त्रीला समजत शिवाजी माता समान।।४।।

आईंको संस्कार की महती *श्यामको आईमा*
संस्कार नहीं भेटत लेयेलका बाजार हाटमा
अनुकरणशिल रवसेत आमरा लहान बच्चा
देव संस्कार असा  वय बनेत जगमा सच्चा।।५।।
सौ. छाया सुरेंद्र पारधी

Saturday, July 11, 2020

पोवारी स्वागत गीत chhaya surendra pardhi

     पोवारी स्वागत गीत

हर कली कर रही से तुमरो स्वागतम्
स्वागतम् स्वागतम् स्वागतम् स्वागतम्।।ध्रु।।

        बड़ों सुंदर सुहावन समय आयी से्
        अतिथि आया यहां,सबको स्वागत से्
भगवान् सरिसो पूजन,करबी अज सब्
स्वागतम् स्वागतम् स्वागतम् स्वागतम्।।१।।

         शब्द सुमन् का मालामा पिरोया मनी
         श्रद्धा लका बनाया ,या माला आमि
करसेजन् अर्पित मिलकर श्रद्धा सुमन्
स्वागतम् स्वागतम् स्वागतम् स्वागतम्।।२।।

          पोवार समाज को मेळावा यहाँ अज् से
          अतिथियों लका सजी या फूलबाग से
करसेजंन अर्पित उनला शब्द सुमन्
स्वागतम् स्वागतम् स्वागतम् स्वागतम्।।३।।

सौ.छाया सुरेंद्र पारधी

Friday, July 10, 2020

बरसात chhaya pardhi

        बरसात

अवचित आयेव वू रुणझुणत
मृदंग वा ढगकी बजावत
रूप श्याम भयेव अंबर को
बिजली कड़कड़ कडकावत।।१।।

धूल्ला उडेव परकर धरके
खिडकी खटखट लगी बजन
जूही की बेल बड़ी शरमाई 
देखन बसी ढूक ढुक कन।।२।।

सज्ज भई अवनी प्रिया
बरसात को स्वागत करण
बुड़गो बड़ उभो खट रहेव
तरा भी सज्ज भयेव भरण।।३।।

आयेव आब टप टप पानी
जोरदार जलधारा बरसी
भिजेव धरनी को रूप सुंदर
सुगंध फुटेव अत्तर सरिसि।।४।।

पशु पक्षी सब हरसाया
अंकुर मातिला फुटेव
नवांकुर की नवी गाथा
कण कण ला हास्य फुटेव।।५।।

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

महाराजा भोजदेव chhaya pardhi

महाराजा भोजदेव

मोरो खून मा बडो उबाल से
मोरो धार मा बसेव प्राण से
मोरी बोली मोरी पहचान से
मोरी अलबेली नगरी धार से

एक राजा होतो बडो विद्वान
संपूर्ण होतो ऊ शस्त्रकलामा
पारंगत भोज वेदोको ज्ञानमा
भक्त वूं लीन वांग्देवीको भक्तिमा

राजाभोज की राजधानी धारमा
मालवा की महाराणी वा शानमा
बड़ो शूरवीर महाप्रतापी शौर्यमा
कई राजाला धूल चटाईस रणमा

बहत्तर कलामा होतो पारंगत  
चौरयाशी ग्रंथ को रचियता 
भोजशाला सरस्वतीसदन बन्या
ज्ञान को प्रचार प्रसारमा

पंडित छिटपला होतो महाज्ञान
*कालिदास* उपाधि कोओला मान
रोहंतक बुद्दिसागर दुही बड़ा विद्वान
राजाको दरबार होतो नवरत्नों की खान

कर्णदेव न चालुक्य राजा भीम संग 
करिस मालवा पर  आक्रमण मंग
वृद्ध राजा घातक बीमारी होती संग                                    हार गयेव लूट गयेव मालवा को रंग

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

श्रावण महीना D.P.Rahangdale

           श्रावण महीना

श्रावण  महीना खुशीसे मनमा आसपास हीरवोगार
घऴीभर मोठी तपन लगसे घऴीमा पाणी थंडोगार

वरत्या  देखो इन्द्र धनूस से ज़सो गोफ गुफीसे दुहेरी 
जसी तोरन बंधीसे वरत्या आकाशमा लटकीसे दोरी

घऴीमा होसे अंधारो दिससे जसो दिवस बुऴजासे
धऴीभरमा तपन निंघसे त दिवस वर त्या  दिससे

कावऴ कावऴया काहाऴशानी कसेत हर महादेव
कोणी मंदीर पुजा करसेत कसेत मोला सुखी ठेव

थंडीथंडी हवा चलीसे मनमा भई खुशी भारी
खेतमा जासे खार खंदसे परा लगावसे नारी

जितऊत हीरवोहीरवो जसो हीरवो शालु आंगपरा
भक्त भक्तिमा त-लीन होसे कर वीठ्ल जयकारा

डी पी राहांगडाले 
     गोंदिया

नवरा को महत्व D.P. Ranangdale

नवरा को महत्व 

नवरा मनजे काय गरोको हार।
सुखको संसार, नवरा लका ।। १।।

भांगोभांग कुकु नवरा की निशानी।
जसा राजा राणी, नांदसेती।। २।।

कपार को कुकु  बाई को गहनो।
पती देव मानो, बहीणी मोरी।। ३।।

देव, पतीदेव, नवरदेव तिन।
तिनहीका गुण, एक जानो।। ४।।

पतीदेव आय घरकी राखन।
घर की बऴे शान, नवरालका।। ५।।

बायको याच माय ना बहीन भी आय।
सेवा करत रहे, नवराकी।। ६।।

नवरा बायको दुही संसार का च क्का।
संसार चले बाका, किरती होय।। ७।।

दुय मालक एक कमजोर पऴेव।
गाऴो गा मुऴेव संसार को।। ८।।

एकमेकला कमी नोको लेखो कोणी।
एतरी से विनवणी, चरनमा।। ९।।

डी पी राहांगडाले
   गोंदिया

Tuesday, July 7, 2020

अखाडी Tumesh patle 17


अखाड़ी (नवती बहु)

नवती बहु गिनन, पेहनीसेत नवी साड़ी,
मातामाय पर जानो से, अज से अखाड़ी!

नवी बहु ला आव से, अज याद वोकि माई,
अज वोला देखेती, गांव की सब दाई-माई!
बड़ा-सुआरी अना कुसुम धरके, चलसे मंगह,
वोको मोहरा-मोहरा, चलसे  सासु बाई!
नवती बहु गिनकी, पड़ गईन ठंडी नाड़ी!
मातामाय पर जानो से, अज से अखाड़ी!

पारी-धुरा कुदर-कुदर के, टोंड पड़ गयो कारो,
तन मोरो फूल जसो, सुख के पड़ गयो चारों!
मातामाय तोला मी सुमरु सु, तन-मन ल आब,
अगली अखाड़ी तक मोरो, सब दुख ला टारो!
लकरधकर वापस भईन, जसि चल सेत गाड़ी!
मातामाय पर जानो से, अज से अखाड़ी!

घर आय के वोन नौरा ला, सांगिस आपरो सार,
वोन पटिल को बहु जोर, से दूय तोला को हार, 
वसोच हार की फरमाईश, करके वा त सोय गयी,
पर सकार भई त सासु की, चलन लगी सरकार,
घुइयां-आदो लगावनला चलनो से अज बाड़ी!
मातामाय पर जानो से, अज से अखाड़ी!

नवती बहु गिनन, पेहनीसेत नवी साड़ी,
मातामाय पर जानो से, अज से अखाड़ी!

तुमेश पटले "सारथी"
केशलेवाड़ा, बालाघाट (म. प्र.)
दिनांक-०५/०७/२०२०

अखाडी Sharda Chaudhary 17

       
              अखाडी
   (चाल-प्रीतीचं झुळ झुळ पाणी )
 
पोवारइनको पयलो सन अखाडी
आषाढ शुक्ल पक्ष को घडी
त्योहार  की सुरुवात से अखाडी
साथमा रिमझिम बरसात की झडी ll1ll

मनावं सेत सर्व वेदव्यास को जन्म पर्व
अलग खंड मा बाटीस ऋग यजु साम अथर्व
व्यास पौर्णिमा कसेती सब हर्व गर्व
रामायण महाभारत पासून गुरू महत्वपूर्व
अंगठा कापस्यानी एकलव्य न देइस गुरू पर्वणी बडीll2ll

पयली गुरू माय वंदन वोको चरण मां
दुजो गुरुजी से भविष्य घडावन मां
येनं दिन टूरा जासेती शाळा मां
करसेती पाटी पूजा नमन गुरू चरण मां
गुरू सें आपलो ज्ञान को भंडार की कडीll3ll

सडा-सारवन कर सेती बहू नवी- नवती
बुड्या- भज्या पानबडा भाजी थाल सजावंसेती
नारीयल हल्दी-कुमकुम उदबत्ती
माता माय ला पूजकर प्रसाद बाटसेती
मोठोइनकोआशीर्वाद लेनकी परंपरा से बडीll4ll

शारदा चौधरी
भंडारा 

अखाडी Dr. Shekhramji Yedekar 17


         अखाडी
आयेव अखाडी को सण, करो सडा सारवण
करो भज्या बडा पुरी, माता मायको जेवण

कडुलिंब झाड खाल्या, माता मायको वावर
माता माय देये सबला, सुख समृद्धी को  वर

नवी नवरी बाईला, अखाडीको मोठा सण
माता मायला पुजसे, लगे जींदगीको ध्यान

करत होता यन् दिस, आमी पाटी को पुजन
वर भेट् गुरुजी को, बनो तुमी भाग्यवान

पाटी पर खडुलका, रव आेमको आकार
पाटी पर बेल फुल, पाटी भविष्य आधार

असो अखाडी को सण, तेलरांदाला उधान
माता माय ना गुरूला, चलो करबी नमन

डॉ. शेखराम परसराम येळेकर
५/७/२०२०

अखाडी परंपरा Y.C. Chaudhary 17


             परंपरा
 आसाडी पोर्णिमा कं येन पावन पर्वपर
अखाडी त्योहारकी धुम रव्हसे घर।।

कुसुम सुकूड़ा भज्या बुल्याको सुगंध
सबकचं घर आवसे खमंग.मंद मंद।।

नविन बिह्यावाली बहु सुसरो घर आवसे।
पुजाकी आरती मातामाय जवळ लिजासे।।

गावका बुजरूक रव्हसे बश्या धड़ीपर।
गावमाकं बहुको निरीक्षन करसेती आयपर।।

परंपरा या आम्हरी सबदुन निराली से।
समाजकं आदर्शकी सबला शिख देसे।।

अखाडीको पाहुनचार चखसे तब पाणी आवसे।
किसान आपला घोड़ा फन पठ्ठा खेतमा लीजासे।।

खेतमा चलसे रोवना गितकं धुनपर।
सालभरको योव सन आनंद देसे आयपर।

गुरुपुजा पाठीपुजा सबला आदर्श शिकावसे।
गुरु भक्ति गुरुशिस्य परंपराको ज्ञान मिड़से।।

अशी याआपली संस्कृती चालु ठेवबिन।
 पोवारकी या परंपरा नव पिढीला शिकावबिन।।

वाय सी चौधरी
गोंदिया

कृष्ण अना गोपी

मी बी राधा बन जाऊ बंसी बजय्या, रास रचय्या गोकुलको कन्हैया लाडको नटखट नंदलाल देखो माखनचोर नाव से यको!!१!! मधुर तोरो बंसीकी तान भू...